चरखी दादरी: सरकार का नारा है 'पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया', लेकिन सवाल उठता है कैसे पढ़ेगा इंडिया? क्योंकि जो चरखी दादरी के गांव नान्धा के सरकारी स्कूल के हालात हैं, अगर ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो यकीन मानिए इतनी कभी नहीं बढ़ पाएगा इंडिया.
कड़ाके की ठंड में पढ़ाई करते हैं बच्चे
कड़ाके की ठंड है, लोग घरों में अपनी रजाइयों मे ठिठुर रहे हैं, लेकिन गांव नान्धा में बच्चे सर्द जमीं पर बैठ कर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं. चार साल पहले स्कूल में कमरों का निर्माण होना शुरू हुआ था, लेकिन बाकी सरकारी कामों की तरह बीच में ही रुक गया. स्कूल में छटी से बारहवीं कक्षा के दौ सौ के करीब बच्चे हैं, मगर बैठने के लिए एक भी कमरा नही है, लेकिन पढ़ाई तो जरूरी है. इसलिए बच्चे इन सर्द दिनों में खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई कर रहे हैं.
स्कूल में किसी भी तरह की सुविधा नहीं है- परिजन
अब कमरे नहीं है तो जरूरी सुविधाओं की बात सोचना ही बेईमानी होगी. स्कूल स्टॉफ के मुताबिक स्कूल और गांव की पंचायत की ओर से कई बार शिक्षा विभाग को लिखा गया है, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई है. वहीं गांव के लोगों का कहना है कि स्कूल के आगे रोड़ पर हमेशा पानी भरे होने से भी बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कई बार तो बच्चे गंदे पानी में गिर चुके हैं, लेकिन कोई आज तक समाधान नही हुआ है.
जल्द ही कमरों का निर्माण शुरू होगा- शिक्षा अधिकारी
बच्चों की समस्या को लेकर हमारी टीम जिला शिक्षा अधिकारी के पास भी पहुंची, तो कैमरा देख कर महोदय ने चार साल से बनी परेशानी का जल्द-जल्द समाधान दिलाने की बात कर दी. शिक्षा अधिकारी का कहना है कि अब उनके संज्ञान में मामला आया है. संबंधित ठेकेदार से बात भी हो गई है, जल्द ही कमरों के निर्माण का कार्य शुरू करवा भी दिया जाएगा.
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सुनिए शिक्षा मंत्री जी!
गांव वालों के मुताबिक शिक्षा विभाग हमेशा आश्वासन के सिवा कुछ नहीं देता, लेकिन शिक्षा मंत्री जी तो अपने विभाग की बड़ी-बड़ी शेखी बघारते हैं, शायद उन्हें नान्धा गांव के सरकारी स्कूल के बारे में जानकारी ना हो, अगर जानकारी है तो क्या जब वो गद्दा लगी कुर्सी पर बैठते हैं तो उन्हें इन मासूम बच्चों का कष्ट महसूस नहीं होता होगा.