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चरखी दादरी: कोरोना के डर से बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे अभिभावक - कोरोना महामारी चरखी दादरी स्कूल

हरियाणा सरकार ने भले ही 9वीं से 12वीं क्लास तक स्कूल खोलने के आदेश दे दिए हो, लेकिन कोरोना के डर से अभी भी अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं.

charkhi dadri Corona epidemic
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Published : Jan 23, 2021, 4:38 PM IST

चरखी दादरी: कोरोना संक्रमण के चलते बाधित हुई पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर नहीं आ पाई है. सरकार ने स्कूल खोले के आदेश तो दे दिए, लेकिन बहुत की कम संख्या में छात्र स्कूलों में आ रहे हैं. जिसकी वजह से स्कूलों में बच्चों की हाजिरी पर असर पड़ रहा है.

कोरोना के डर से ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे. ऐसे में इस समय शिक्षण संस्थानों में बच्चों की उपस्थिति 25 से 30 फीसदी ही दर्ज हो पा रही है. उधर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि सरकार की एडवाइजरी अनुसार पूरी एतिहात बरती जा रही है.

कोरोना के डर से बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे अभिभावक

25 से 30 फीसदी स्कूल पहुंच रहे बच्चे

सरकार की मंशा के मुताबिक जो उपस्थिति स्कूलों में होना चाहिए, वो उम्मीद के मुताबिक जरूरत से ज्यादा कम है. ऐसे में आने वाले दिनों में होने वाली वार्षिक परीक्षाओं के दौरान विद्यार्थियों को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है. केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है. विभाग ने कहा है कि कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल बुलाने और उन्हें पढ़ाई में होने वाली दिक्कतों को दूर किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- 9वीं से 12वीं की संस्कृत परीक्षाएं: BSEH ने बढ़ाई स्कूलों के मान्यता की आवेदन तारीख

अभिभावकों कहा कहना है कि भले ही स्कूल प्रशासन कोरोना गाइडलाइन की सख्ती से पालना कर रहा हो, लेकिन फिर भी उन्हें अपने बच्चों को स्कूल में भेजने से डर लग रहा है. अभिभावकों ने माना कि भले ही बाजार में कोरोना वैक्सीन आ चुकी है. लेकिन अभी तक कोरोना को लेकर डर उनके अंदर से नहीं गया है.

चरखी दादरी: कोरोना संक्रमण के चलते बाधित हुई पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह पटरी पर नहीं आ पाई है. सरकार ने स्कूल खोले के आदेश तो दे दिए, लेकिन बहुत की कम संख्या में छात्र स्कूलों में आ रहे हैं. जिसकी वजह से स्कूलों में बच्चों की हाजिरी पर असर पड़ रहा है.

कोरोना के डर से ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे. ऐसे में इस समय शिक्षण संस्थानों में बच्चों की उपस्थिति 25 से 30 फीसदी ही दर्ज हो पा रही है. उधर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि सरकार की एडवाइजरी अनुसार पूरी एतिहात बरती जा रही है.

कोरोना के डर से बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे अभिभावक

25 से 30 फीसदी स्कूल पहुंच रहे बच्चे

सरकार की मंशा के मुताबिक जो उपस्थिति स्कूलों में होना चाहिए, वो उम्मीद के मुताबिक जरूरत से ज्यादा कम है. ऐसे में आने वाले दिनों में होने वाली वार्षिक परीक्षाओं के दौरान विद्यार्थियों को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है. केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है. विभाग ने कहा है कि कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल बुलाने और उन्हें पढ़ाई में होने वाली दिक्कतों को दूर किया जाएगा.

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अभिभावकों कहा कहना है कि भले ही स्कूल प्रशासन कोरोना गाइडलाइन की सख्ती से पालना कर रहा हो, लेकिन फिर भी उन्हें अपने बच्चों को स्कूल में भेजने से डर लग रहा है. अभिभावकों ने माना कि भले ही बाजार में कोरोना वैक्सीन आ चुकी है. लेकिन अभी तक कोरोना को लेकर डर उनके अंदर से नहीं गया है.

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