चरखी दादरी: छोटे-छोटे बच्चे, उनके पैरों में चप्पल नहीं और मासूम को गोद में लिए प्रवासी मजदूर परिवार मंजिल पाने की चाह में पैदल ही निकल पड़े. लॉकडाउन के दौरान एक गांव के सरपंच ने प्रवासी मजदूर परिवार को घर से निकाला तो सभी सदस्य सिर पर सामान लेकर पैदल ही चल पड़े.
पैदल चले रहे प्रवासी मजदूर को देखकर कुछ लोगों ने प्रशासन को अवगत करवाया और प्रवासी मजदूर परिवारों के लिए शेल्टर होम में व्यवस्था करवाने की मांग की तो स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रवासी मजदूर को शेल्टर होम में शरण दी गई.
उत्तर प्रदेश से हरियाणा में दो पैसे कमाने के लिए कई प्रवासी मजदूर परिवार आए थे. कोरोना को लेकर लगे लॉकडाउन में फंसने पर एक गांव में रूके. राशन-पानी समाप्त होने पर सरपंच से न्याय की गुहार लगाई. कुछ दिन तो राशन-पानी मिला. बाद में उन्हें ये कहकर निकाल दिया कि प्रवासी मजदूर परिवारों के लिए प्रशासन द्वारा वाहनों का प्रबंध करके भेजा जा रहा है.
ऐसे में प्रवासी मजदूर परिवारों के करीब दो दर्जन सदस्य सामान सिर पर ही लादकर पैदल ही निकल पड़े. चरखी दादरी के पास करीब 15 किलोमीटर का सफर तय करने के सड़क पर ही रूके तो स्थानीय लोगों ने प्रशासन को अवगत करवाया.
प्रवासी मजदूर रामभूल, राजू, पार्वती इत्यादि ने बताया कि वे यहां पर पैसे कमाने के लिए यूपी से आए थे. लॉकडाउन के कारण काम-धंधा बंद हो गया. एक गांव में रुककर सरपंच से राशन-पानी लिया. अब उन्हें ये कहकर भेज दिया कि प्रशासन ने वाहनों का प्रबंध करके घर भेजा जा रहा है. कोई साधन नहीं मिला तो पैदल ही निकल पड़े.
उन्होंने बताया कि वे करीब 30 लोग हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. अब उन्हें पता ही नहीं कि साधन कहां मिलेंगे और वे कब घर पहुंच पाएंगे. वहीं समाजसेवी जितेंद्र जटासरा ने प्रवासी मजदूर के पैदल चलने की जानकारी स्थानीय प्रशासन को दी. उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूर को गांव से बिना वाहन निकालना गलत है. ऐसे में प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
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