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आंखों में उम्मीद लिए कांपते होठों से निकलती मजदूरों की पीड़ा, 'साहब, कोरोना नहीं भूख से मरने का डर'

चरखी दादरी में अपने घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक बाजार में पहुंचे. इस दौरान इन लोगों ने अपनी पीड़ा सुनाई.

प्रवासी श्रमिक
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Published : May 10, 2020, 3:15 PM IST

चरखी दादरी: अपने घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पहुंचे प्रवासी मजदूरों का दर्द छलक पड़. लॉकडाउन के दौरान अपने राज्यों में घरों तक पहुंचना चाह रहे प्रवासी श्रमिकों ने अपनी पीड़ा सुनाई. ये सभी रजिस्ट्रेशन करवाने चरखी दादरी बाजारों में आए थे.

'घर से कमाने आए थे, अब भूखे मरने की आई नौबत'

इनका कहना है कि कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने से उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ नहीं हो रहा है. वे अपने घर से यहां कुछ कमाने के लिए आए थे लेकिन लॉकडाउन लगने से उनके काम-धंधे बंद हो गए, जिन ठेकेदारों के पास रूके हुए थे, वहां राशन मिलना बंद हो गया. अब वे अपने राज्यों में जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाकर बसों का इंतजार कर रहे हैं.

चरखी दादरी में अपने घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक बाजार में पहुंचे. इस दौरान इन लोगों ने अपनी पीड़ा सुनाई.

आंखों में घर जाने की उम्मीद के साथ मजदूरों ने कहा कि 'साहब, काम-धंधे बंद हो गए तो ठेकेदारों ने निकाल दिया, यहां राशन नहीं मिल रहा है, हमें कोरोना का नहीं बल्कि भूख से मरने का डर सता रहा है. इससे तो अच्छा है कि घर पर जाकर ही मर जाएं. हम कैसे भी अपने घर जाना चाहते हैं, चाहे हमें पैदल ही क्यों ना जाना पड़े.'

प्रवासी श्रमिक ज्योति, श्रीराम, राजू व शकील इत्यादि ने बताया कि उनको कोरोना का इतना डर नहीं है. वे अपनी रोजी-रोटी के लिए आए थे. काम बंद होने पर निकाल दिया. अब दर-दर की ठोकरें खाने से तो अच्छा है कि अपने घर चले जाएं. घर में भी चिंता हो रही है.

ये भी पढ़िए: आतंकी रियाज नाइकू का मददगार मोस्ट वांटेड 'चीता' सिरसा से गिरफ्तार

श्रमिकों को भेज रहे हैं घर

डीसी श्यामलाल पूनिया ने फोन पर बताया कि जिला प्रशासन द्वारा श्रमिकों की सूची तैयार करवाई गई है. साथ ही रजिस्ट्रेशन करने वाले श्रमिकों को उनके घरों में भिजवाने की व्यवस्था की जा रही है. प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से करीब ढाई हजार श्रमिकों को उनके घर भेजा जा चुका है और बाकियों को भी जल्दी भेजा जाएगा.

चरखी दादरी: अपने घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पहुंचे प्रवासी मजदूरों का दर्द छलक पड़. लॉकडाउन के दौरान अपने राज्यों में घरों तक पहुंचना चाह रहे प्रवासी श्रमिकों ने अपनी पीड़ा सुनाई. ये सभी रजिस्ट्रेशन करवाने चरखी दादरी बाजारों में आए थे.

'घर से कमाने आए थे, अब भूखे मरने की आई नौबत'

इनका कहना है कि कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने से उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ नहीं हो रहा है. वे अपने घर से यहां कुछ कमाने के लिए आए थे लेकिन लॉकडाउन लगने से उनके काम-धंधे बंद हो गए, जिन ठेकेदारों के पास रूके हुए थे, वहां राशन मिलना बंद हो गया. अब वे अपने राज्यों में जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाकर बसों का इंतजार कर रहे हैं.

चरखी दादरी में अपने घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक बाजार में पहुंचे. इस दौरान इन लोगों ने अपनी पीड़ा सुनाई.

आंखों में घर जाने की उम्मीद के साथ मजदूरों ने कहा कि 'साहब, काम-धंधे बंद हो गए तो ठेकेदारों ने निकाल दिया, यहां राशन नहीं मिल रहा है, हमें कोरोना का नहीं बल्कि भूख से मरने का डर सता रहा है. इससे तो अच्छा है कि घर पर जाकर ही मर जाएं. हम कैसे भी अपने घर जाना चाहते हैं, चाहे हमें पैदल ही क्यों ना जाना पड़े.'

प्रवासी श्रमिक ज्योति, श्रीराम, राजू व शकील इत्यादि ने बताया कि उनको कोरोना का इतना डर नहीं है. वे अपनी रोजी-रोटी के लिए आए थे. काम बंद होने पर निकाल दिया. अब दर-दर की ठोकरें खाने से तो अच्छा है कि अपने घर चले जाएं. घर में भी चिंता हो रही है.

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श्रमिकों को भेज रहे हैं घर

डीसी श्यामलाल पूनिया ने फोन पर बताया कि जिला प्रशासन द्वारा श्रमिकों की सूची तैयार करवाई गई है. साथ ही रजिस्ट्रेशन करने वाले श्रमिकों को उनके घरों में भिजवाने की व्यवस्था की जा रही है. प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से करीब ढाई हजार श्रमिकों को उनके घर भेजा जा चुका है और बाकियों को भी जल्दी भेजा जाएगा.

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