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‘म्हारी रीत म्हारे गीत’: हरियाणवी लोक गीतों ने बांधा समा

विभिन्न अवसरों पर गाए जाने वाले हरियाणवी लोकगीतों की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन दादरी के जनता कॉलेज सभागार में किया गया.

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Published : Mar 1, 2019, 9:53 PM IST

लोकगीतों की प्रस्तुति देती छात्राएं

चरखी दादरी: विभिन्न अवसरों पर गाए जाने वाले हरियाणवी लोकगीतों की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन दादरी के जनता कॉलेज सभागार में किया गया. प्रतियोगिता में प्रदेश भर के कालेजों से आई छात्राओं की टीमों ने ‘म्हारी रीत म्हारे गीत’ से हरियाणवी संस्कृति का जलवा दिया. साथ ही उन्होंने बिना यंत्र के लोकगीतों के माध्यम से आने वाली पीढ़ी तक स्थानांतित करने का आह्वान किया. प्रतियोगिता में जनता कॉलेज की टीम ने प्रथम स्थान पाया.
बता दें कि राज्य स्तरीय ‘म्हारी रीत म्हारे गीत’ प्रतियोगिता का उद्घाटन निदेशक युवा कल्याण विभाग के रणबीर सिंह राठी ने किया. प्रतियोगिता में प्रदेशभर के महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की टीमों ने भाग लिया.

लोकगीतों की प्रस्तुति देती छात्राएं

इस मौके पर मुख्य अतिथि रणबीर सिंह राठी ने कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएं हरियाणवीं संस्कृति को बचाए रखने के लिए अति आवश्यक है. विभिन्न अवसरों जैसे होली, दीवाली, फागण, कातक, भात, जलड़ी, तीज, देवी, धाम, सिटणे, बान तेल, जापा, मुंडन पर गाए जाने वाले लोकगीत हरियाणवीं संस्कृति को अगली पीढ़ी तक स्थानांतरित करने के लिए पिछले 50 सालों के दौरान पहला प्रयास है.

गौरतलब है कि प्रतियोगिता में दादरी के जनता कॉलेज की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय की टीम ने द्वितीय, जी.वी.एम. महाविद्यालय की टीम ने तृतीय तथा राजकीय महाविद्यालय भिवानी की टीम को सांत्वना पुरस्कार मिला.

चरखी दादरी: विभिन्न अवसरों पर गाए जाने वाले हरियाणवी लोकगीतों की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन दादरी के जनता कॉलेज सभागार में किया गया. प्रतियोगिता में प्रदेश भर के कालेजों से आई छात्राओं की टीमों ने ‘म्हारी रीत म्हारे गीत’ से हरियाणवी संस्कृति का जलवा दिया. साथ ही उन्होंने बिना यंत्र के लोकगीतों के माध्यम से आने वाली पीढ़ी तक स्थानांतित करने का आह्वान किया. प्रतियोगिता में जनता कॉलेज की टीम ने प्रथम स्थान पाया.
बता दें कि राज्य स्तरीय ‘म्हारी रीत म्हारे गीत’ प्रतियोगिता का उद्घाटन निदेशक युवा कल्याण विभाग के रणबीर सिंह राठी ने किया. प्रतियोगिता में प्रदेशभर के महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की टीमों ने भाग लिया.

लोकगीतों की प्रस्तुति देती छात्राएं

इस मौके पर मुख्य अतिथि रणबीर सिंह राठी ने कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएं हरियाणवीं संस्कृति को बचाए रखने के लिए अति आवश्यक है. विभिन्न अवसरों जैसे होली, दीवाली, फागण, कातक, भात, जलड़ी, तीज, देवी, धाम, सिटणे, बान तेल, जापा, मुंडन पर गाए जाने वाले लोकगीत हरियाणवीं संस्कृति को अगली पीढ़ी तक स्थानांतरित करने के लिए पिछले 50 सालों के दौरान पहला प्रयास है.

गौरतलब है कि प्रतियोगिता में दादरी के जनता कॉलेज की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया. चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय की टीम ने द्वितीय, जी.वी.एम. महाविद्यालय की टीम ने तृतीय तथा राजकीय महाविद्यालय भिवानी की टीम को सांत्वना पुरस्कार मिला.


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From: Pardeep Sahu <sahupardeep@gmail.com>
Date: Fri 1 Mar, 2019, 17:07
Subject: ‘म्हारी रीत म्हारे गीत’ द्वारा हरियाणवी संस्कृति कायम करने का जलवा
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‘म्हारी रीत म्हारे गीत’ द्वारा हरियाणवी संस्कृति कायम करने का जलवा
: बिना यंत्र के छात्राओं ने लोकगीतों में बांधा समा
: राज्य स्तरीय लोकगीत प्रतियोगिता में जनता कालेज छाया
: हरियाणवी संस्कृति को अगली पीढ़ी तक स्थानान्तरित करने का आह्वान किया
चरखी दादरी। विभिन्न अवसरों पर गाए जाने वाले हरियाणवी लोकगीतों की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन दादरी के जनता कालेज सभागार में किया गया। प्रतियोगिता में प्रदेश भर के कालेजों से आई छात्राओं की टीमों ने ‘म्हारी रीत म्हारे गीत’ द्वारा हरियाणवी संस्कृति का जलवा दिया। साथ ही उन्होंने बिना यंत्र के लोकगीतों के माध्यम से आने वाली पीढ़ी तक स्थानांतित करने का आह्वान किया। प्रतियोगिता में जनता कालेज की टीम ने प्रथम स्थान पाया।
राज्य स्तरीय ‘म्हारी रीत म्हारे गीत’ प्रतियोगिता का उद्घाटन निदेशक युवा कल्याण विभाग के रणबीर सिंह राठी ने किया। प्रतियोगिता में प्रदेशभर के महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की टीमों ने भाग लिया। मुख्यातिथि रणबीर सिंह राठी ने कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएं हरियाणवीं संस्कृति को बचाए रखने के लिए अति आवश्यक है। विभिन्न अवसरों जैसे होली, दीवाली, फागण, कातक, भात, जलड़ी, तीज, देवी, धाम, सिटणे, बान तेल, जापा, मुंडन पर गाए जाने वाले लोकगीत हरियाणवीं संस्कृति को अगली पीढ़ी तक स्थानान्तरित करने के लिए पिछले 50 सालों के दौरान पहला प्रयास है। क्योंकि आज की पीढी आधुनिक युग के चलते हमारे रिती-रिवाज भूल चुके हैं। ऐसे में प्राचीन हरियाणवीं संस्कृति को जीवन्त रखना एवं विद्यार्थियों के परिचित कराना प्रयास शुरू हुआ है। कालेज प्राचार्य डा. यशवीर सिंह ने कहा कि ‘म्हारी रीत म्हारे गीत’ प्रतियोगिता का आयोजन करने का मतलब आने वाली पीढी को हमारी संस्कृति से अवगत करवाना है। प्रतियोगिता में दादरी के जनता कालेज की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय की टीम ने द्वितीय, जी.वी.एम. महाविद्यालय की टीम ने तृतीय तथा राजकीय महाविद्यालय भिवानी की टीम को सांत्वना पुरस्कार मिला।
विजवल:- 1
प्रतियोगिता का शुभारंभ करते मुख्यातिथि, हरियाणवी लोकगीत प्रस्तुत करती छात्राओं की टीम, निर्णायक मंडल, उपस्थित विद्यार्थियों की भीड़ के कट शाटस
बाईट:- 2
रणबीर सिंह राठी, निदेशक युवा कल्याण विभाग
बाईट:- 3
डा. यशवीर सिंह, प्राचार्य

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Charkhi Dadri 



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