चरखी दादरी: झोझू खुर्द गांव का सरकारी स्कूल बदहाली के आंसू रो रहा है. तीन कमरों के इस स्कूल में ना तो विद्यार्थियों के लिए बेंच है और ना ही छत. जिसकी वजह से छात्र भरी ठंड में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. परेशानी तो तब होती है जब एक ही कमरे में तीन कक्षाओं के बच्चे पढ़ते हैं.
सिर्फ तीन कमरों के सहारे भविष्य तलाश रहे हैं नौनिहाल
इस मिडिल स्कूल में नौनिहाल सिर्फ तीन कमरों के सहारे भविष्य तलाश रहे हैं. तीन कमरों के इस स्कूल में एक कमरा स्टाफ का है. बचे दो कमरों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के बैठाने की जगह है. हैरानी की बात तो ये है कि स्कूल की चारदीवारी तक नहीं है. जिसकी वजह से आवारा पशु स्कूल में घूमते रहते हैं.
प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड कर दिया, लेकिन ग्रांट नहीं मिली
साल 2007 में सरकार ने ग्राम पंचायत के अनुरोध पर प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड पर मिडिल स्कूल बनाया था. जिसके बाद पुरानी जर्जर बिल्डिंग को तोड़कर तीन कमरों का निर्माण करवाया गया. जिसके बाद ना स्कूल के लिए कोई ग्रांट मिली और ना कोई सुविधा. एक तरफ सरकार सरकारी स्कूलों के लिए करोड़ों रुपये का बजट और बेहतरी का दावा करती है, दूसरी तरफ सच्चाई आपके सामने है.
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शिकायत के बाद भी नहीं हुई सुनवाई
गांव के सरपंच और स्कूल प्रबंधन कमेटी के प्रधान के मुताबिक कई बार इसकी शिकायत संबंधित विभाग और अधिकारियों से की गई. ना तो स्कूल के लिए कोई फंड आया और ना ही स्कूल में किसी तरह की कोई सुविधा दी गई. गांव के सरपंच के मुताबिक बारिश के दिनों में तो स्कूल की हालत और दयनीय हो जाती है. गर्मियों में भी बच्चों को तपती धूप में पढ़ाई करनी पड़ती है. जिसकी वजह से बच्चे बीमार होते हैं.