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चरखी दादरी में तीन कमरों का सरकारी स्कूल, अपग्रेड करके ग्रांट देना भूल गई सरकार - झोझू खुर्द गांव मिडिल स्कूल टोहाना फतेहाबाद

झोझू खुर्द गांव के मिडिल स्कूल में नौनिहाल सिर्फ तीन कमरों के सहारे भविष्य तलाश रहे हैं. तीन कमरों के इस स्कूल में एक कमरा स्टाफ का है. बचे दो कमरों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के बैठाने की जगह है.

Jhozhu Khurd village of Charkhi Dadri
चरखी दादरी में तीन कमरों का सरकारी स्कूल
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Published : Dec 25, 2019, 11:18 PM IST

चरखी दादरी: झोझू खुर्द गांव का सरकारी स्कूल बदहाली के आंसू रो रहा है. तीन कमरों के इस स्कूल में ना तो विद्यार्थियों के लिए बेंच है और ना ही छत. जिसकी वजह से छात्र भरी ठंड में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. परेशानी तो तब होती है जब एक ही कमरे में तीन कक्षाओं के बच्चे पढ़ते हैं.

सिर्फ तीन कमरों के सहारे भविष्य तलाश रहे हैं नौनिहाल
इस मिडिल स्कूल में नौनिहाल सिर्फ तीन कमरों के सहारे भविष्य तलाश रहे हैं. तीन कमरों के इस स्कूल में एक कमरा स्टाफ का है. बचे दो कमरों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के बैठाने की जगह है. हैरानी की बात तो ये है कि स्कूल की चारदीवारी तक नहीं है. जिसकी वजह से आवारा पशु स्कूल में घूमते रहते हैं.

झोझू खुर्द गांव के मिडिल स्कूल में नौनिहाल सिर्फ तीन कमरों के सहारे भविष्य तलाश रहे हैं.

प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड कर दिया, लेकिन ग्रांट नहीं मिली
साल 2007 में सरकार ने ग्राम पंचायत के अनुरोध पर प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड पर मिडिल स्कूल बनाया था. जिसके बाद पुरानी जर्जर बिल्डिंग को तोड़कर तीन कमरों का निर्माण करवाया गया. जिसके बाद ना स्कूल के लिए कोई ग्रांट मिली और ना कोई सुविधा. एक तरफ सरकार सरकारी स्कूलों के लिए करोड़ों रुपये का बजट और बेहतरी का दावा करती है, दूसरी तरफ सच्चाई आपके सामने है.

ये भी पढ़ें- अंबाला में कल बंद रहेंगे सरकारी और प्राइवेट स्कूल, कड़कड़ाती ठंड के चलते लिया गया फैसला

शिकायत के बाद भी नहीं हुई सुनवाई
गांव के सरपंच और स्कूल प्रबंधन कमेटी के प्रधान के मुताबिक कई बार इसकी शिकायत संबंधित विभाग और अधिकारियों से की गई. ना तो स्कूल के लिए कोई फंड आया और ना ही स्कूल में किसी तरह की कोई सुविधा दी गई. गांव के सरपंच के मुताबिक बारिश के दिनों में तो स्कूल की हालत और दयनीय हो जाती है. गर्मियों में भी बच्चों को तपती धूप में पढ़ाई करनी पड़ती है. जिसकी वजह से बच्चे बीमार होते हैं.

चरखी दादरी: झोझू खुर्द गांव का सरकारी स्कूल बदहाली के आंसू रो रहा है. तीन कमरों के इस स्कूल में ना तो विद्यार्थियों के लिए बेंच है और ना ही छत. जिसकी वजह से छात्र भरी ठंड में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. परेशानी तो तब होती है जब एक ही कमरे में तीन कक्षाओं के बच्चे पढ़ते हैं.

सिर्फ तीन कमरों के सहारे भविष्य तलाश रहे हैं नौनिहाल
इस मिडिल स्कूल में नौनिहाल सिर्फ तीन कमरों के सहारे भविष्य तलाश रहे हैं. तीन कमरों के इस स्कूल में एक कमरा स्टाफ का है. बचे दो कमरों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के बैठाने की जगह है. हैरानी की बात तो ये है कि स्कूल की चारदीवारी तक नहीं है. जिसकी वजह से आवारा पशु स्कूल में घूमते रहते हैं.

झोझू खुर्द गांव के मिडिल स्कूल में नौनिहाल सिर्फ तीन कमरों के सहारे भविष्य तलाश रहे हैं.

प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड कर दिया, लेकिन ग्रांट नहीं मिली
साल 2007 में सरकार ने ग्राम पंचायत के अनुरोध पर प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड पर मिडिल स्कूल बनाया था. जिसके बाद पुरानी जर्जर बिल्डिंग को तोड़कर तीन कमरों का निर्माण करवाया गया. जिसके बाद ना स्कूल के लिए कोई ग्रांट मिली और ना कोई सुविधा. एक तरफ सरकार सरकारी स्कूलों के लिए करोड़ों रुपये का बजट और बेहतरी का दावा करती है, दूसरी तरफ सच्चाई आपके सामने है.

ये भी पढ़ें- अंबाला में कल बंद रहेंगे सरकारी और प्राइवेट स्कूल, कड़कड़ाती ठंड के चलते लिया गया फैसला

शिकायत के बाद भी नहीं हुई सुनवाई
गांव के सरपंच और स्कूल प्रबंधन कमेटी के प्रधान के मुताबिक कई बार इसकी शिकायत संबंधित विभाग और अधिकारियों से की गई. ना तो स्कूल के लिए कोई फंड आया और ना ही स्कूल में किसी तरह की कोई सुविधा दी गई. गांव के सरपंच के मुताबिक बारिश के दिनों में तो स्कूल की हालत और दयनीय हो जाती है. गर्मियों में भी बच्चों को तपती धूप में पढ़ाई करनी पड़ती है. जिसकी वजह से बच्चे बीमार होते हैं.

Intro:इस स्कूल के एक कमरे में लगती हैं तीन-तीन कक्षाओं की क्लासें
: मिडिल स्कूल की नहीं बिल्डिंग, तीन कमरों में पढऩे को मजबूर हैं विद्यार्थी
: खुले आसमान के नीचे जमीन पर पढ़ रहे हैं
प्रदीप साहू
चरखी दादरी : सर्द मौसम में विद्यार्थियों के लिए इस स्कूल में ना तो बैंच हैं और ना ही छत है। कभी खुले आसमान के नीचे तो कभी एक कमरे में तीन-तीन कक्षाओं की क्लासें चलानी पड़ रही हैं। मिडिल स्कूल में सिर्फ तीन कमरों के सहारे बच्चे अपना भविष्य तलाश रहे हैं। तीन कमरों में भी एक कमरा स्टाफ का है वहीं दो कमरों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के बैठाने की जगह है। ऐसे में विद्यार्थियों को या तो खुला आसमान के नीचे या फिर बरामदे में जमीन पर बैठकर पढऩा पड़ रहा है।Body:यह हाल चरखी दादरी जिले के गांव झोझू खुर्द के राजकीय मिडिल स्कूल का है। हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों के लिए करोड़ों रुपए के बजट देने व प्रर्याप्त प्रबंधों के बीच पढ़ाई के दावे किए जा रहे हैं। बावजूद इसके ये दावें कितने सहीं हैं, यह स्कूल के हालातों को देखकर लगता है। स्कूल की चारदिवारी का नामोनिशान ही नहीं है। स्कूल स्टाफ द्वारा अपने स्तर पर झाडिय़ां डालकर अस्थाई चारदिवारी बनाने का प्रयास किया है। लेकिन फिर भी स्कूल में आवारा पशुओं का हमेशा भय सताता रहता है। राजकीय मिडिल स्कूल के दो कमरों में ही पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ रही है। कमरों की कमी के चलते कड़कड़ाती ठंड में बच्चों को खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठना पड़ रहा है।
बता दें कि गांव की पंचायत के अनुरोध पर वर्ष 2007 में प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड पर मिडिल स्कूल बनाया गया था। उस दौरान स्कूल की पुरानी बिल्डिंग में बच्चों को पढ़ाया जाता था। लेकिन बिल्डिंग जर्जर होने के कारण स्कूल की पुरानी बिल्डिंग को तोड़कर तीन कमरों का निर्माण करवाया गया। स्कूल के लिए कोई ग्रांट नहीं आने के कारण ग्राम पंचायत व स्कूल स्टाफ सदस्यों द्वारा अपने स्तर पर की कुछ सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। बिल्डिंग की कमी के चलते दोनों कमरों व बरामदे में विद्यार्थियों को बैठाया जा रहा है।Conclusion:बाक्स:-
स्कूल अपग्रेड करने के बाद नहीं ली सूध
सरपंच मनोज कुमार ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2007 में गांव के प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड कर मिडिल स्कूल बनाया था। अपग्रेड होने के बाद से सरकार व विभाग ने कोई सूध नहीं ली। ग्राम पंचायत ने अपने स्तर पर पुरानी जर्जर बिल्डिंग को तुड़वाकर तीन कमरों का निर्माण करवाया है। अब सिर्फ तीन कमरों में आठ कक्षाएं लगानी पड़ रही हैं। हालांकि इस संबंध में ग्राम पंचायत द्वारा अनेकों बार संबंधित विभाग के आला अधिकारियों से लेकर सरकार तक गुहार लगाई जा चुकी हैं। सिर्फ आश्वासन के अलावा स्कूल की किसी ने कोई सूध नहीं ली।
बाक्स:-
हमेशा बना रहता है भय
स्कूल प्रबंधन कमेटी के प्रधान श्रीनिवास ने बताया कि ठंड में बच्चों को जमीन पर बैठकर पढऩा पड़ रहा है। स्कूल की चारदिवारी व कमरें नहीं होने के कारण आसपास से आवारा पशुओं व कीड़ों का भय हमेशा रहता है। विद्यार्थियों को पढऩे की बजाए अपनी सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंता रहती है।
विजवल:- 1
मिडिल स्कूल का मेन गेट, कड़कड़ाती ठंड के बीच एक कमरे में पढ़ते तीन कक्षाओं के बच्चे, बरामदे में पढ़ाई करते विद्यार्थी, टूट पड़े बैंच व स्कूल परिसर के कट शाटस
बाईट:- 2
मनोज कुमार, सरपंच
बाईट:- 3
श्रीनिवास, स्कूल प्रबंधन कमेटी प्रधान
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