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हरियाणा के लिंगानुपात में सुधार, बेटी बचाने में पहले पायदान पर पहुंचा चरखी दादरी - Improvement in sex ratio of Haryana

एक साल पहले तक लिंगानुपात के मामले में फिसड्डी जिलों में शामिल दादरी जिला अब पहले पायदान पर पहुंच गया (Charkhi Dadri Sex Ratio improved) है. ताजा सीआरएस रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश में पहले नंबर पर दादरी जिला है.

Charkhi Dadri Sex Ratio improved
चरखीदादरी जिला लिंगानुपात के मामले पहले पायदान पर आ गया है.
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Published : Feb 18, 2022, 12:51 PM IST

Updated : Feb 18, 2022, 3:49 PM IST

चरखी दादरी: हरियाणा के लोगों में शायद लिंगभेद की सोच को लेकर काफी परिवर्तन आया है. अब हरियाणा के लोग बेटे- बेटियों में अंतर नहीं कर रहे हैं. इसी के चलते हरियाणा के औसत लिंगानुपात में 20 अंक का सुधार आया है. जनवरी 2022 तक सीआरएस (Civil Registration System) रिकॉर्ड के अनुसार लिंगानुपात में पहले नंबर पर दादरी जिला है. जबकि सबसे अंतिम पायदान पर कैथल जिला है. नए आंकड़ों के अनुसार अब हरियाणा में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 914 से बढ़कर 934 हो गई हैं. बता दें कि करीब एक साल पहले दादरी जिला लिंगानुपात के मामले में 23 वें पायदान पर था.

चरखीदादरी के स्वास्थ्य अधिकारियों, शिक्षा विभाग और आंगनबाड़ी वर्करों के प्रयास की बदौलत चरखी दादरी इस मुकाम पर पहुंच पाया है. दादरी जिले में लिंगानुपात में हुए सुधार को लेकर सीएमओ ने कहा कि कि ग्रामीण स्तर पर गर्भवती महिलाओं की काऊंसलिंग कर बेटा और बेटी के बीच भेदभाव को खत्म करने को लेकर प्रयास किए गए. इसके अलावा लोगों में लिंगभेद को दूर करने को लेकर ग्रामीण स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए. जिन गर्भवती महिलाओं की दो लड़कियां या एक लड़की है. उनका ना केवल सुपरवीजन बढ़ाया बल्कि उनकी हर महीने स्वास्थ्य की चेकिंग की गई. इसके अलावा उनकी निरंतर काऊंसलिंग की गई. उनकी मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान दिया गया तब जाकर लिंगानुपात में ये अभूतपूर्व सुधार हुआ है.

लडका-लडक़ी के भेदभाव को खत्म करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूसीडी और शिक्षा विभाग ने मिलकर पिछले एक साल के दौरान महिला सप्ताह, नेशनल गर्ल चाईल्ड डे, महिला शक्ति को सम्मानित करने, महिलाओं के क्षेत्र में कार्य करने वाली सामाजिक संस्थाओं व सामाजिक लोगों को सम्मानित करने के कार्य किए. इसी का नतीजा रहा कि हरियाणा में दादरी जिले का जनवरी 2022 में लिंगानुपात 1179 तक पहुंच गया जो प्रदेश भर में सर्वाधिक है. इसके अलावा लिंग जांच करने वाले रैकेट को पकडने और पीएनडीटी एक्ट को कड़ाई से लागू करने की गतिविधियों को भी बढ़ाया गया जिसका परिणाम लिंगानुपात सुधार के रूप में देखने को मिला.

बेटियों के नाम से प्रसिद्ध है ये गांव- चरखी दादरी जिले का कमोद गांव बेटियों के नाम से प्रसिद्ध है. इस गांव में बेटी पैदा होने पर उसके नाम से पेड़ लगाने की प्रथा शुरू की गई है. इसके अलावा बेटियों के नाम से घर के बाहर से नेम प्लेट लगाई गई हैं. निवर्तमान सरपंच सुदर्शन कुमार ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा बेटियों को जन्म देने वाले माता-पिता को 26 जनवरी और 15 अगस्त के कार्यक्रमों में सम्मानित करने का कार्य किया गया. इससे महिलाओं के दिल-दिमाग में बेटियों को लेकर हीन भावना समाप्त हुई. इससे उनमें समाज की मुख्य धारा की समझ पैदा हुई और लिंगानुपात में सुधार हुआ.

ये भी पढ़ें-इस साल धूमधाम से मनाया जाएगा चंडीगढ़ में रोज फेस्टिवल, जानें क्या है खासियत

समाजसेवी अंजू आर्य व विरेंद्र फौजी ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या को रोकने में दादरी जिला ने अभूतपूर्व भूमिका निभाई. गर्भवती महिलाओं और बेटियों को जन्म देने वाले पिता ने जो अपनी सोच में परिवर्तन किया वे लिंगानुपात सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सफल रहे. आज चरखी दादरी जिला में महिलाएं बेटियों को जन्म देकर मायूस नहीं, बल्कि गौरवान्वित महसूस करती है.

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चरखी दादरी: हरियाणा के लोगों में शायद लिंगभेद की सोच को लेकर काफी परिवर्तन आया है. अब हरियाणा के लोग बेटे- बेटियों में अंतर नहीं कर रहे हैं. इसी के चलते हरियाणा के औसत लिंगानुपात में 20 अंक का सुधार आया है. जनवरी 2022 तक सीआरएस (Civil Registration System) रिकॉर्ड के अनुसार लिंगानुपात में पहले नंबर पर दादरी जिला है. जबकि सबसे अंतिम पायदान पर कैथल जिला है. नए आंकड़ों के अनुसार अब हरियाणा में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 914 से बढ़कर 934 हो गई हैं. बता दें कि करीब एक साल पहले दादरी जिला लिंगानुपात के मामले में 23 वें पायदान पर था.

चरखीदादरी के स्वास्थ्य अधिकारियों, शिक्षा विभाग और आंगनबाड़ी वर्करों के प्रयास की बदौलत चरखी दादरी इस मुकाम पर पहुंच पाया है. दादरी जिले में लिंगानुपात में हुए सुधार को लेकर सीएमओ ने कहा कि कि ग्रामीण स्तर पर गर्भवती महिलाओं की काऊंसलिंग कर बेटा और बेटी के बीच भेदभाव को खत्म करने को लेकर प्रयास किए गए. इसके अलावा लोगों में लिंगभेद को दूर करने को लेकर ग्रामीण स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए. जिन गर्भवती महिलाओं की दो लड़कियां या एक लड़की है. उनका ना केवल सुपरवीजन बढ़ाया बल्कि उनकी हर महीने स्वास्थ्य की चेकिंग की गई. इसके अलावा उनकी निरंतर काऊंसलिंग की गई. उनकी मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान दिया गया तब जाकर लिंगानुपात में ये अभूतपूर्व सुधार हुआ है.

लडका-लडक़ी के भेदभाव को खत्म करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूसीडी और शिक्षा विभाग ने मिलकर पिछले एक साल के दौरान महिला सप्ताह, नेशनल गर्ल चाईल्ड डे, महिला शक्ति को सम्मानित करने, महिलाओं के क्षेत्र में कार्य करने वाली सामाजिक संस्थाओं व सामाजिक लोगों को सम्मानित करने के कार्य किए. इसी का नतीजा रहा कि हरियाणा में दादरी जिले का जनवरी 2022 में लिंगानुपात 1179 तक पहुंच गया जो प्रदेश भर में सर्वाधिक है. इसके अलावा लिंग जांच करने वाले रैकेट को पकडने और पीएनडीटी एक्ट को कड़ाई से लागू करने की गतिविधियों को भी बढ़ाया गया जिसका परिणाम लिंगानुपात सुधार के रूप में देखने को मिला.

बेटियों के नाम से प्रसिद्ध है ये गांव- चरखी दादरी जिले का कमोद गांव बेटियों के नाम से प्रसिद्ध है. इस गांव में बेटी पैदा होने पर उसके नाम से पेड़ लगाने की प्रथा शुरू की गई है. इसके अलावा बेटियों के नाम से घर के बाहर से नेम प्लेट लगाई गई हैं. निवर्तमान सरपंच सुदर्शन कुमार ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा बेटियों को जन्म देने वाले माता-पिता को 26 जनवरी और 15 अगस्त के कार्यक्रमों में सम्मानित करने का कार्य किया गया. इससे महिलाओं के दिल-दिमाग में बेटियों को लेकर हीन भावना समाप्त हुई. इससे उनमें समाज की मुख्य धारा की समझ पैदा हुई और लिंगानुपात में सुधार हुआ.

ये भी पढ़ें-इस साल धूमधाम से मनाया जाएगा चंडीगढ़ में रोज फेस्टिवल, जानें क्या है खासियत

समाजसेवी अंजू आर्य व विरेंद्र फौजी ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या को रोकने में दादरी जिला ने अभूतपूर्व भूमिका निभाई. गर्भवती महिलाओं और बेटियों को जन्म देने वाले पिता ने जो अपनी सोच में परिवर्तन किया वे लिंगानुपात सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सफल रहे. आज चरखी दादरी जिला में महिलाएं बेटियों को जन्म देकर मायूस नहीं, बल्कि गौरवान्वित महसूस करती है.

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Last Updated : Feb 18, 2022, 3:49 PM IST
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