चरखी दादरी: झुग्गियों में रह रहे 40 परिवारों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले किसी तरह मेहनत-मजदूरी करके घर चल जाता था, लेकिन लॉकडाउन के बाद उनके घरों की स्थिति बद से बदतर हो गई है. इन परिवारों ने सरकार और प्रशासन से राशन उपलब्ध करवाने की मांग की है.
भंडारे का सहारा
लोगों का कहना है कि दिहाड़ी-मजदूरी बंद हो गई है. जो पैसा उनके पास था, वो भी खत्म हो गया है अब दो समय का भोजन कहीं भंडारे या राहत शिविरों में जाकर खा लेते हैं, लेकिन बच्चों के लिए दूध सहित अन्य सामान नहीं मिल रहा. सेनीटाइजर की तो कोई जानकारी ही नहीं है, साबुन तेल और अन्य सामान के लिए वे पिछले 10 दिन से तरस रहे हैं. इन लोगों ने आस-पड़ोस के लोगों से भी सहातया मांगी लेकिन इनकी सहायता के लिए कोई आगे नहीं आया है.
बता दें कि कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा प्रवासी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि प्रशासन द्वारा सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से गरीब और जरूरतमंदों को राशन कीट उपलब्ध करवाई गई थी, लेकिन ये राशन अब समाप्त हो गया तो इनके सामने फिर से संकट आ गया है.
स्वास्थ्य सुविधाओं से भी वंचित
झुग्गियों में रहने वाले जगदीश, लीला देवी सहित अन्य लोगों ने बताया कि दो दिन पूर्व एक महिला की डिलीवरी के लिए सरकारी अस्पताल लेकर गए थे, लेकिन चिकित्सकों ने डिलीवरी करने से मना कर दिया. पैसे नहीं होने पर चंदा एकत्रित करके निजी अस्पताल में डिलवरी करवानी पड़ी.
सरकार के दावे फेल!
लोगों की मानें तो वो राशन खत्म होने पर अधिकारियों के पास भी गए थे, लेकिन राशन नहीं मिला. अब ऐसे में वे करें तो क्या करें. ऐसे में सरकार के तमाम दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. प्रवासियों के लिए ना मेडिकल सुविधाएं हैं ना ही खाने के लिए अनाज, ऐसे में लॉकडाउन के नाम पर मजदूर और गरीबों ही सबसे ज्यादा परेशान नजर आ रहे हैं.
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