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चरखी दादरी में हवन-यज्ञ कर बड़े धूमधाम से मनाया भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव - चरखी दादरी में भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव

चरखी दादरी में भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिवस जांगिड़ सभा ने बड़े धूमधाम से मनाया. इस मौके पर जांगिड़ दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी थी. वहीं विश्वकर्मा सेवक संघ द्वारा धर्मशाला में हवन-यज्ञ कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया.

celebration birthday of Lord Vishwakarma in charkhi dadri
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Published : Oct 29, 2019, 1:31 PM IST

चरखी दादरी: पूरे भारत में भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिवस बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. चरखी दादरी में भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिवस जांगिड़ सभा ने बड़े धूमधाम से मनाया. इस मौके पर जांगिड़ दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी थी. वहीं विश्वकर्मा सेवक संघ द्वारा धर्मशाला में हवन-यज्ञ कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. विश्वकर्मा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर पूजा करने के बाद लोगों को प्रसाद वितरित किया गया. इस मौके पर सभी दुकानदारों ने अपनी दुकानों और कारखानों के औजारों की सफाई कर विश्वकर्मा भगवान की पूजा की. कार्यक्रम में विचार गोष्ठी में भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बारे में बताया गया.

भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव मनाया गया, देखें वीडियो

भगवान विश्‍वकर्मा को निर्माण का देवता भी कहा जाता है

भगवान विश्‍वकर्मा को निर्माण का देवता कहा जाता है. मान्‍यता है कि उन्‍होंने देवताओं के लिए अनेकों भव्‍य महलों, आलीशान भवनों, हथियारों और सिंहासनों का निर्माण किया. ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन निर्माण के देवता विश्‍वकर्मा का जन्‍म हुआ था. विश्‍वकर्मा को देवशिल्‍पी यानी कि देवताओं के वास्‍तुकार के रूप में पूजा जाता है.

दफ्तरों, कारखानों की होती में होती है विशेष पूजा

इस दिन पूजा के मौके पर ज्‍यादातर दफ्तरों, दुकानों और कारखानों में छुट्टी होती है और कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दौरान औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा करने का विधान है. भगवान विश्‍वकर्मा के जन्‍मदिन को विश्‍वकर्मा पूजा, विश्‍वकर्मा दिवस या विश्‍वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है. इस दिन मशीनों, दफ्तरों और कारखानों की सफाई की जाती है साथ ही विश्‍वकर्मा की मूर्तियों को सजाया जाता है. घरों में लोग अपनी गाड़‍ियों, कंप्‍यूटर, लैपटॉप और अन्‍य मशीनों की पूजा करते हैं. मंदिर में विश्‍वकर्मा भगवान की मूर्ति या फोटो की विधिवत पूजा करने के बाद आरती की जाती है. अंत में प्रसाद वितरण किया जाता है.

ये है मान्यता

मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्‍म लिया था. भगवान विश्‍वकर्मा को 'देवताओं का शिल्‍पकार', 'वास्‍तुशास्‍त्र का देवता', 'प्रथम इंजीनियर', 'देवताओं का इंजीनियर' और 'मशीन का देवता' कहा जाता है. विष्‍णु पुराण में विश्‍वकर्मा को 'देव बढ़ई' कहा गया है मान्‍यता है कि विश्‍वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में दिन-दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है. मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण भी उन्होंने ही किया था.

ये भी जाने- भैया-दूज की धूम, भाई के माथे पर तिलक लगा बहन करती है लंबी उम्र की कामना

चरखी दादरी: पूरे भारत में भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिवस बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. चरखी दादरी में भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिवस जांगिड़ सभा ने बड़े धूमधाम से मनाया. इस मौके पर जांगिड़ दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी थी. वहीं विश्वकर्मा सेवक संघ द्वारा धर्मशाला में हवन-यज्ञ कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. विश्वकर्मा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर पूजा करने के बाद लोगों को प्रसाद वितरित किया गया. इस मौके पर सभी दुकानदारों ने अपनी दुकानों और कारखानों के औजारों की सफाई कर विश्वकर्मा भगवान की पूजा की. कार्यक्रम में विचार गोष्ठी में भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बारे में बताया गया.

भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव मनाया गया, देखें वीडियो

भगवान विश्‍वकर्मा को निर्माण का देवता भी कहा जाता है

भगवान विश्‍वकर्मा को निर्माण का देवता कहा जाता है. मान्‍यता है कि उन्‍होंने देवताओं के लिए अनेकों भव्‍य महलों, आलीशान भवनों, हथियारों और सिंहासनों का निर्माण किया. ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन निर्माण के देवता विश्‍वकर्मा का जन्‍म हुआ था. विश्‍वकर्मा को देवशिल्‍पी यानी कि देवताओं के वास्‍तुकार के रूप में पूजा जाता है.

दफ्तरों, कारखानों की होती में होती है विशेष पूजा

इस दिन पूजा के मौके पर ज्‍यादातर दफ्तरों, दुकानों और कारखानों में छुट्टी होती है और कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दौरान औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा करने का विधान है. भगवान विश्‍वकर्मा के जन्‍मदिन को विश्‍वकर्मा पूजा, विश्‍वकर्मा दिवस या विश्‍वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है. इस दिन मशीनों, दफ्तरों और कारखानों की सफाई की जाती है साथ ही विश्‍वकर्मा की मूर्तियों को सजाया जाता है. घरों में लोग अपनी गाड़‍ियों, कंप्‍यूटर, लैपटॉप और अन्‍य मशीनों की पूजा करते हैं. मंदिर में विश्‍वकर्मा भगवान की मूर्ति या फोटो की विधिवत पूजा करने के बाद आरती की जाती है. अंत में प्रसाद वितरण किया जाता है.

ये है मान्यता

मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्‍म लिया था. भगवान विश्‍वकर्मा को 'देवताओं का शिल्‍पकार', 'वास्‍तुशास्‍त्र का देवता', 'प्रथम इंजीनियर', 'देवताओं का इंजीनियर' और 'मशीन का देवता' कहा जाता है. विष्‍णु पुराण में विश्‍वकर्मा को 'देव बढ़ई' कहा गया है मान्‍यता है कि विश्‍वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में दिन-दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है. मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण भी उन्होंने ही किया था.

ये भी जाने- भैया-दूज की धूम, भाई के माथे पर तिलक लगा बहन करती है लंबी उम्र की कामना

Intro:हवन-यज्ञ कर मनाया विश्वकर्मा का जन्मोत्सव
चरखी दादरी। भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिवस को जांगिड़ सभा ने धूमधाम से मनाया गया। जहां जांगिड़ दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी वहीं विश्वकर्मा सेवक संघ द्वारा धर्मशाला में हवन-यज्ञ आदि कार्यक्रम किया गया। उपकरणों, मशीनरी व भगवान विश्वकर्मा के बारे में बताया गया। जंहा बाद में विश्वकर्मा के उपलक्ष्य में प्रसाद वितरण करायाBody:विश्वकर्मा सेवक संघ द्वारा दादरी शहर की काठमंडी स्थित जांगिड़ धर्मशाला में विश्वकर्मा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमेें हवन यज्ञ की परिक्रमा की और विश्वकर्मा प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर प्रसाद वितरण किया गया। जांगिड़ सभा के प्रधान विष्णु ने बताया कि हर साल की भांति इस वर्ष भी विश्वकर्मा की प्रतिमा को भव्य रूप से सजाया गया। उनकी पूजा की गई और लोगों को प्रसाद वितरण किया गया। इस दिन सभी दुकानदार अपनी दुकानों के औजारों की सफाई कर विश्वकर्मा भगवान की पूजा की जाती है। कार्यक्रम में विचार गोष्ठी में भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बारे में बताया गया। कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण के साथ किया गया। पूजन के बाद भगवान विश्वकर्मा की आरती की गई और प्रसाद वितरण किया गया। सभी ने हवन यज्ञ में भगवान विश्वकर्मा के चित्र के समक्ष माथा टेका और यज्ञ में आहुति डालकर आशीर्वाद लिया।
विजवल:- 1
शहर की दुकानें बंद, विश्वकर्मा दिवस पर आरती करते, हवन व अन्य कट शाटस
बाईट:- 2
विष्णु कुमार, प्रधान जांगिड़ सभाConclusion:

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