चंडीगढ़: हरियाणा में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में भ्रष्टाचार की शिकायत पर लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा का नोटिस मिलते ही प्रदेश सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. नगर पालिकाओं, नगर निगमों, नगर परिषदों में प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने वाली जयपुर की याशी कम्पनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है. साथ ही कंपनी के 8 करोड़ 6 लाख 36 हजार 69 रुपये के बकाया बिलों के भुगतान पर भी रोक लगा दी है.
कंपनी का टेंडर एग्रीमेंट रद्द- इतना ही नहीं, इस मामले में ठेका लेते समय कंपनी द्वारा जमा कराई गई लाखों रुपये की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी राशि सरकार ने जब्त कर ली है और टेंडर एग्रीमेंट भी रद्द कर दिया है. इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने शिकायत में घोटाले की जांच सीबीआई से करवाकर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने, सर्वे करने वाली याशी कम्पनी को ब्लैक लिस्ट करने औपर भुगतान की गई 57.55 करोड़ की पेमेंट ब्याज सहित वसूल करने की मांग की थी.
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आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर की इस शिकायत का संज्ञान लेते हुए लोकायुक्त ने 8 अगस्त को नोटिस भेजकर सरकार से 8 नवंबर तक जांच रिपोर्ट तलब की थी. इसके बाद सरकार की तरफ से ये बड़ी कार्रवाई की गई है.
घोटाले को ऐसे दिया गया अंजाम- टेंडर वर्क ऑर्डर की शर्त संख्या 37.6.7 के अंतर्गत याशी कम्पनी द्वारा किए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे का सभी नगर निगमों के आयुक्तों, नगर परिषदों के ईओ और सभी नगर पालिकाओं के सचिवों ने मौका वेरीफिकेशन करना था. सर्वे कार्य का मौका वेरिफिकेशन सही पाए जाने पर ही इन अधिकारियों को साईन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करने थे. उसके बाद ही पेमेंट की जानी चाहिए.
सर्वे में निकली भयंकर गलती- बताया जा रहा है कि सभी 88 शहरों के अधिकारियों ने अपनी-अपनी वेरिफिकेशन रिपोर्ट में सर्वे को शत-प्रतिशत सही बताते हुए साईन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करके याशी कम्पनी को 57.55 करोड़ रुपये की पेमेंट करवा दी, जबकि ग्राउंड लेवल पर कंपनी का सर्वे पूरी तरह बोगस निकला. सर्वे में किसी का नाम गलत, किसी का एरिया गलत, किसी का टैक्स गलत तो कहीं रिहायशी प्रॉपर्टी को कमर्शियल बना दिया गया. इसके उलट कमर्शियल प्रॉपर्टी को रिहायशी बना दिया गया. यही नहीं कहीं किराएदार को ही बिल्डिंग मालिक बना दिया गया.
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