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World Peace Day: जल्द खत्म होगा संकट, अफगानिस्तान बनेगा दुनिया का सबसे अमीर देश!

विश्व शांति दिवस (International World Peace Day 2021) के अवसर पर युवसत्ता एनजीओ के संचालक प्रमोद शर्मा ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में फैली अशांति को लेकर कहा कि आज अफगानिस्तान की स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन जल्दी ही अफगानिस्तान में शांति बहाल होगी और अगले कुछ सालों में अफगानिस्तान तरक्की की राह पकड़ लेगा. भविष्य में अफगानिस्तान दुनिया का सबसे अमीर देश बनने जा रहा है.

International World Peace Day 2021
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Published : Sep 20, 2021, 8:03 PM IST

Updated : Sep 21, 2021, 1:44 AM IST

चंडीगढ़: 21 सितंबर का दिन दुनिया भर में विश्व शांति दिवस (International World Peace Day) के तौर पर मनाया जाता है. इसको लेकर हमने युवसत्ता एनजीओ के संचालक प्रमोद शर्मा के बात की. प्रमोद शर्मा 20 से ज्यादा देशों में विश्व शांति को लेकर कार्यक्रम चलाते हैं और लोगों को दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए जागरूक करते हैं. उन्होंने इस मौके पर अफगानिस्तान संकट को लेकर भी बातचीत की. विश्व शांति दिवस को लेकर उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दी और कहा कि आज भले ही कई देश हिंसा के शिकार हैं, लेकिन हमें यह बात देखनी होगी कि पिछली सदी के मुकाबले यह सदी में दुनिया में शांति बढ़ी है. क्योंकि पिछली सदी में दुनिया के बहुत सारे देश आपस में लड़ रहे थे.

उन्होंने कहा कि दुनिया ने दो विश्वयुद्ध देखें और उसके बाद बहुत से देशों ने आजादी की लड़ाई लड़ी, लेकिन ये सदी पिछली सदी के मुकाबले में कम हिंसक है. भविष्य में विश्व शांति की ओर ही बढ़ेगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि विकासशील देशों खासतौर पर दक्षिण एशियाई देशों को यह समझना होगा कि अगर उन्हें विकसित देश बनना है तो उन्हें शांति की ओर बढ़ना होगा. हिंसा और अशांति का रास्ता अपनाकर वे कभी विकसित नहीं हो पाएंगे.

युवसत्ता एनजीओ के संचालक प्रमोद शर्मा से खास बातचीत

अफगानिस्तान बनेगा दुनिया का सबसे अमीर देश- अफगानिस्तान में फैली अशांति को लेकर प्रमोद शर्मा ने कहा कि आज अफगानिस्तान की स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन जल्दी ही अफगानिस्तान में शांति बहाल होगी और अगले कुछ सालों में अफगानिस्तान तरक्की की राह पकड़ लेगा. भविष्य में अफगानिस्तान दुनिया का सबसे अमीर देश बनने जा रहा है. क्योंकि दुनिया में तेल के भंडार खत्म हो रहे हैं और दुनिया इलेक्ट्रिक बैटरी की तरफ जा रही है. बैटरी निर्माण के लिए दुनिया को बड़ी मात्रा में लिथियम की जरूरत पड़ेगी और लिथियम का सबसे बड़ा भंडार अफगानिस्तान के पास है. जिससे दुनिया लिथियम को लेकर अफगानिस्तान पर निर्भर हो जाएगी. जिससे अफगानिस्तान आर्थिक तरक्की की ओर बढ़ेगा और उसकी सूरत पूरी तरह से बदल जाएगी.

कई बड़े देश नहीं चाहते विश्व शांति- अमेरिका जैसे देशों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कई बड़े देश दुनिया में शांति स्थापित होने देना नहीं चाहते क्योंकि अगर दुनिया में शांति स्थापित हो गई तो उनका हथियार बेचने का धंधा बंद हो जाएगा. इसीलिए वे इस तरह के काम कर रहे हैं कि छोटे देश आपस में लड़ते रहे.

ये भी पढ़ें- अरुणाचल की पहाड़ियों के बीच दौड़ती सुपरकार्स का नजारा आपका भी मन मोह लेगा

एक दिन भारत-पाकिस्तान भी करेंगे मिलकर काम- भारत-पाकिस्तान के मसले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध में कई यूरोपीय देश आपस में लड़े थे, लेकिन आज भी सभी देश मिलकर एक साथ काम कर रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं. भारत-पाकिस्तान को भी यह बात जल्द समझ में आ जाएगी कि अगर दोनों देशों के बीच शांति स्थापित में हुई तो दोनों देश बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएंगे. उम्मीद है दोनों देश जल्द ही इस बात को समझेंगे. जिससे भारत और पाकिस्तान का मसला भी जल्द खत्म हो जाएगा और यह दोनों देश भी मिलकर एक साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा कि आने वाली सदी एशिया की है. यूरोप और पश्चिमी देश अब पीछे रहने वाले हैं और एशियाई देश उनसे आगे निकल जाएंगे.

आपको बता दें कि प्रमोद शर्मा पिछले काफी समय से विश्व शांति को लेकर काम कर रहे हैं. बहुत से देशों में वह इस कार्यक्रम को चला रहे हैं. इतना ही नहीं वे हर साल भारत में एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. जिसमें बहुत से देशों के छात्र और एक्सपर्ट शामिल होते हैं. वे अलग-अलग देशों में जाने वाले शरणार्थियों के लिए भी काम करते हैं और उन्हें सहायता मुहैया करवाते हैं.

ये भी पढ़ें- पीएम मोदी का अमेरिकी दौरा: कमला हैरिस और एप्पल प्रमुख से करेंगे बैठक

विश्व शांति दिवस का इतिहास- विश्व शांति दिवस या अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस की शुरुआत साल 1981 संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी. जिसके बाद पहली बार 1982 में शांति दिवस मनाया गया था. 1982 से लेकर 2001 तक अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस सितंबर महीने के हर तीसरे मंगलवार को मनाया जाता था, लेकिन 2002 में इसमें यूएन ने बदलाव करते हुए कहा कि अब अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस हर साल 21 सितंबर को मनाया जाएगा. 2002 से लेकर अब तक हर साल अब 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है. विश्व शांति दिवस के दिन दुनियाभर के लोग मानवता को अपनाते हैं और रंग-रूप, समाज के सभी अंतरों को भूल एक-दूसरे की भलाई के बारे में सोचते हैं. संयुक्त राष्ट्र सभी देशों को इस दिन अपने-अपने शत्रुता की समाप्ति का सम्मान करने के लिए आमंत्रित करता है.

क्या है इस साल की थीम (International World Peace Day 2021 theme)- युक्त राष्ट्र महासभा ने अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस को 24 घंटे अहिंसा और संघर्ष विराम के माध्यम से शांति के आदर्शों को मजबूत करने के लिए समर्पित दिन के रूप में घोषित किया है. यूएन ने कहा कि सभी देशों को ये सोचना चाहिए कि कैसे सभी को बेहतर तरीके से ठीक किया जाए और सभी लोगों को जीने का एक समान अवसर मिले. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2021 के अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस की थीम रखी है- "Recovering Better for an Equitable and Sustainable World".

ये भी पढ़ें- प्राइमरी स्कूल रीओपन: पहले दिन 50 फीसदी से भी कम संख्या में पहुंचे छात्र

चंडीगढ़: 21 सितंबर का दिन दुनिया भर में विश्व शांति दिवस (International World Peace Day) के तौर पर मनाया जाता है. इसको लेकर हमने युवसत्ता एनजीओ के संचालक प्रमोद शर्मा के बात की. प्रमोद शर्मा 20 से ज्यादा देशों में विश्व शांति को लेकर कार्यक्रम चलाते हैं और लोगों को दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए जागरूक करते हैं. उन्होंने इस मौके पर अफगानिस्तान संकट को लेकर भी बातचीत की. विश्व शांति दिवस को लेकर उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दी और कहा कि आज भले ही कई देश हिंसा के शिकार हैं, लेकिन हमें यह बात देखनी होगी कि पिछली सदी के मुकाबले यह सदी में दुनिया में शांति बढ़ी है. क्योंकि पिछली सदी में दुनिया के बहुत सारे देश आपस में लड़ रहे थे.

उन्होंने कहा कि दुनिया ने दो विश्वयुद्ध देखें और उसके बाद बहुत से देशों ने आजादी की लड़ाई लड़ी, लेकिन ये सदी पिछली सदी के मुकाबले में कम हिंसक है. भविष्य में विश्व शांति की ओर ही बढ़ेगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि विकासशील देशों खासतौर पर दक्षिण एशियाई देशों को यह समझना होगा कि अगर उन्हें विकसित देश बनना है तो उन्हें शांति की ओर बढ़ना होगा. हिंसा और अशांति का रास्ता अपनाकर वे कभी विकसित नहीं हो पाएंगे.

युवसत्ता एनजीओ के संचालक प्रमोद शर्मा से खास बातचीत

अफगानिस्तान बनेगा दुनिया का सबसे अमीर देश- अफगानिस्तान में फैली अशांति को लेकर प्रमोद शर्मा ने कहा कि आज अफगानिस्तान की स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन जल्दी ही अफगानिस्तान में शांति बहाल होगी और अगले कुछ सालों में अफगानिस्तान तरक्की की राह पकड़ लेगा. भविष्य में अफगानिस्तान दुनिया का सबसे अमीर देश बनने जा रहा है. क्योंकि दुनिया में तेल के भंडार खत्म हो रहे हैं और दुनिया इलेक्ट्रिक बैटरी की तरफ जा रही है. बैटरी निर्माण के लिए दुनिया को बड़ी मात्रा में लिथियम की जरूरत पड़ेगी और लिथियम का सबसे बड़ा भंडार अफगानिस्तान के पास है. जिससे दुनिया लिथियम को लेकर अफगानिस्तान पर निर्भर हो जाएगी. जिससे अफगानिस्तान आर्थिक तरक्की की ओर बढ़ेगा और उसकी सूरत पूरी तरह से बदल जाएगी.

कई बड़े देश नहीं चाहते विश्व शांति- अमेरिका जैसे देशों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कई बड़े देश दुनिया में शांति स्थापित होने देना नहीं चाहते क्योंकि अगर दुनिया में शांति स्थापित हो गई तो उनका हथियार बेचने का धंधा बंद हो जाएगा. इसीलिए वे इस तरह के काम कर रहे हैं कि छोटे देश आपस में लड़ते रहे.

ये भी पढ़ें- अरुणाचल की पहाड़ियों के बीच दौड़ती सुपरकार्स का नजारा आपका भी मन मोह लेगा

एक दिन भारत-पाकिस्तान भी करेंगे मिलकर काम- भारत-पाकिस्तान के मसले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध में कई यूरोपीय देश आपस में लड़े थे, लेकिन आज भी सभी देश मिलकर एक साथ काम कर रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं. भारत-पाकिस्तान को भी यह बात जल्द समझ में आ जाएगी कि अगर दोनों देशों के बीच शांति स्थापित में हुई तो दोनों देश बर्बादी की कगार पर पहुंच जाएंगे. उम्मीद है दोनों देश जल्द ही इस बात को समझेंगे. जिससे भारत और पाकिस्तान का मसला भी जल्द खत्म हो जाएगा और यह दोनों देश भी मिलकर एक साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा कि आने वाली सदी एशिया की है. यूरोप और पश्चिमी देश अब पीछे रहने वाले हैं और एशियाई देश उनसे आगे निकल जाएंगे.

आपको बता दें कि प्रमोद शर्मा पिछले काफी समय से विश्व शांति को लेकर काम कर रहे हैं. बहुत से देशों में वह इस कार्यक्रम को चला रहे हैं. इतना ही नहीं वे हर साल भारत में एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. जिसमें बहुत से देशों के छात्र और एक्सपर्ट शामिल होते हैं. वे अलग-अलग देशों में जाने वाले शरणार्थियों के लिए भी काम करते हैं और उन्हें सहायता मुहैया करवाते हैं.

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विश्व शांति दिवस का इतिहास- विश्व शांति दिवस या अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस की शुरुआत साल 1981 संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी. जिसके बाद पहली बार 1982 में शांति दिवस मनाया गया था. 1982 से लेकर 2001 तक अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस सितंबर महीने के हर तीसरे मंगलवार को मनाया जाता था, लेकिन 2002 में इसमें यूएन ने बदलाव करते हुए कहा कि अब अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस हर साल 21 सितंबर को मनाया जाएगा. 2002 से लेकर अब तक हर साल अब 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है. विश्व शांति दिवस के दिन दुनियाभर के लोग मानवता को अपनाते हैं और रंग-रूप, समाज के सभी अंतरों को भूल एक-दूसरे की भलाई के बारे में सोचते हैं. संयुक्त राष्ट्र सभी देशों को इस दिन अपने-अपने शत्रुता की समाप्ति का सम्मान करने के लिए आमंत्रित करता है.

क्या है इस साल की थीम (International World Peace Day 2021 theme)- युक्त राष्ट्र महासभा ने अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस को 24 घंटे अहिंसा और संघर्ष विराम के माध्यम से शांति के आदर्शों को मजबूत करने के लिए समर्पित दिन के रूप में घोषित किया है. यूएन ने कहा कि सभी देशों को ये सोचना चाहिए कि कैसे सभी को बेहतर तरीके से ठीक किया जाए और सभी लोगों को जीने का एक समान अवसर मिले. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2021 के अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस की थीम रखी है- "Recovering Better for an Equitable and Sustainable World".

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Last Updated : Sep 21, 2021, 1:44 AM IST
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