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PM ने किया चौधरी छोटू राम को याद, जानें उनको जिनका सपना था भारत में 'राम राज्य'

पीएम मोदी गुरुवार को मेरठ में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे. जहां पीएम ने एक फिर चौधरी छोटू राम को याद किया. पीएम ने कहा कि अब देश चौधरी छोटू राम के सपनों को साकार करने जा रहा है. बता दें कि पीएम ने चौधरी छोटू राम को अपने आदर्शों में से एक मानते हैं.

पीएम मोदी और सर चौधरी छोटू राम
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Published : Mar 28, 2019, 2:21 PM IST

चंडीगढ़/मेरठ: पीएम मोदी गुरुवार को मेरठ में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे. जहां पीएम ने एक फिर चौधरी छोटू राम को याद किया. पीएम ने कहा कि अब देश चौधरी छोटू राम के सपनों को साकार करने जा रहा है. बता दें कि पीएम ने चौधरी छोटू राम को अपने आदर्शों में से एक मानते हैं.

पीएम ने किया था 64 फुट प्रतिमा का अनावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में सांपला में सर छोटूराम की 64 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था. इस मौके पर उन्होंने कहा था- 'उनका कद और व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि सरदार पटेल ने छोटूराम के बारे में कहा था कि आज चौधरी छोटूराम जीवित होते तो पंजाब की चिंता हमें नहीं करनी पड़ती, छोटूराम जी संभाल लेते'. पीएम मोदी ने कहा कि सर छोटूराम का किसान और देश में काफी अहम योगदान है. चलिए चौधरी छोटू राम की शख्सियत पर एक नजर डालते हैं.

PM modi and sir choturam
सर छोटू राम की प्रतिमा को प्रणाम करते हुए पीएम

ऐसे माहौल में पले बढ़ें थे चौधरी छोटूराम
हरियाणा के एक छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ था. उनका असली नाम रिछपाल था और वो घर में सबसे छोटे थे, इसलिए उनका नाम छोटू राम पड़ गया. उन्होंने अपने गांव से पढ़ाई करने के बाद दिल्ली में स्कूली शिक्षा ली और सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया. साथ ही अखबार में काम करने से लेकर वकालत भी की.

कहा जाता है कि सर छोटूराम बहुत ही साधारण जीवन जीते थे. और वे अपनी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा रोहतक के एक स्कूल को दान कर दिया करते थे. वकालत करने के साथ ही उन्होंने 1912 में जाट सभा का गठन किया और प्रथम विश्व युद्ध में उन्होंने रोहतक के 22 हजार से ज्यादा सैनिकों को सेना में भर्ती करवाया.

किसानों के मसीहा थे छोटूराम
उन्हें ब्रिटिश शासन में किसानों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने के लिए जाना जाता था. वे पंजाब प्रांत के सम्मानित नेताओं में से थे और उन्होंने 1937 के प्रांतीय विधानसभा चुनावों के बाद अपने विकास मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्हें नैतिक साहस की मिसाल और किसानों का मसीहा माना जाता था. उन्हें दीनबंधू भी कहा जाता है.

sir choturam
सर चौधरी छोटू राम की तस्वीर (फाइल फोटो)

1916 में जब रोहतक में कांग्रेस कमेटी का गठन हुआ तो वो इसके अध्यक्ष बने. लेकिन बाद में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से असहमत होकर इससे अलग हो गए. उनका कहना था कि इसमें किसानों का फायदा नहीं था. उन्होंने यूनियनिस्ट पार्टी का गठन किया और 1937 के प्रोवेंशियल असेंबली चुनावों में उनकी पार्टी को जीत मिली थी और वो विकास व राजस्व मंत्री बने.

छोटूराम को साल 1930 में दो महत्वपूर्ण कानून पास कराने का श्रेय दिया जाता है. इन कानूनों के चलते किसानों को साहूकारों के शोषण से मुक्ति मिली. ये कानून थे पंजाब रिलीफ इंडेब्टनेस, 1934 और द पंजाब डेब्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट, 1936. इन कानूनों में कर्ज का निपटारा किए जाने, उसके ब्याज और किसानों के मूलभूत अधिकारों से जुड़े हुए प्रावधान थे.

चंडीगढ़/मेरठ: पीएम मोदी गुरुवार को मेरठ में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे. जहां पीएम ने एक फिर चौधरी छोटू राम को याद किया. पीएम ने कहा कि अब देश चौधरी छोटू राम के सपनों को साकार करने जा रहा है. बता दें कि पीएम ने चौधरी छोटू राम को अपने आदर्शों में से एक मानते हैं.

पीएम ने किया था 64 फुट प्रतिमा का अनावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में सांपला में सर छोटूराम की 64 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था. इस मौके पर उन्होंने कहा था- 'उनका कद और व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि सरदार पटेल ने छोटूराम के बारे में कहा था कि आज चौधरी छोटूराम जीवित होते तो पंजाब की चिंता हमें नहीं करनी पड़ती, छोटूराम जी संभाल लेते'. पीएम मोदी ने कहा कि सर छोटूराम का किसान और देश में काफी अहम योगदान है. चलिए चौधरी छोटू राम की शख्सियत पर एक नजर डालते हैं.

PM modi and sir choturam
सर छोटू राम की प्रतिमा को प्रणाम करते हुए पीएम

ऐसे माहौल में पले बढ़ें थे चौधरी छोटूराम
हरियाणा के एक छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ था. उनका असली नाम रिछपाल था और वो घर में सबसे छोटे थे, इसलिए उनका नाम छोटू राम पड़ गया. उन्होंने अपने गांव से पढ़ाई करने के बाद दिल्ली में स्कूली शिक्षा ली और सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया. साथ ही अखबार में काम करने से लेकर वकालत भी की.

कहा जाता है कि सर छोटूराम बहुत ही साधारण जीवन जीते थे. और वे अपनी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा रोहतक के एक स्कूल को दान कर दिया करते थे. वकालत करने के साथ ही उन्होंने 1912 में जाट सभा का गठन किया और प्रथम विश्व युद्ध में उन्होंने रोहतक के 22 हजार से ज्यादा सैनिकों को सेना में भर्ती करवाया.

किसानों के मसीहा थे छोटूराम
उन्हें ब्रिटिश शासन में किसानों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने के लिए जाना जाता था. वे पंजाब प्रांत के सम्मानित नेताओं में से थे और उन्होंने 1937 के प्रांतीय विधानसभा चुनावों के बाद अपने विकास मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्हें नैतिक साहस की मिसाल और किसानों का मसीहा माना जाता था. उन्हें दीनबंधू भी कहा जाता है.

sir choturam
सर चौधरी छोटू राम की तस्वीर (फाइल फोटो)

1916 में जब रोहतक में कांग्रेस कमेटी का गठन हुआ तो वो इसके अध्यक्ष बने. लेकिन बाद में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से असहमत होकर इससे अलग हो गए. उनका कहना था कि इसमें किसानों का फायदा नहीं था. उन्होंने यूनियनिस्ट पार्टी का गठन किया और 1937 के प्रोवेंशियल असेंबली चुनावों में उनकी पार्टी को जीत मिली थी और वो विकास व राजस्व मंत्री बने.

छोटूराम को साल 1930 में दो महत्वपूर्ण कानून पास कराने का श्रेय दिया जाता है. इन कानूनों के चलते किसानों को साहूकारों के शोषण से मुक्ति मिली. ये कानून थे पंजाब रिलीफ इंडेब्टनेस, 1934 और द पंजाब डेब्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट, 1936. इन कानूनों में कर्ज का निपटारा किए जाने, उसके ब्याज और किसानों के मूलभूत अधिकारों से जुड़े हुए प्रावधान थे.

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