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गौरक्षक दल के छापेमारी का मामला, हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को किया जवाब-तलब

हरियाणा के नूंह जिले में गौरक्षा दल के सदस्यों ने एक शख्स के घर छापा मारा था. इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब-तलब किया है.

Punjab and Haryana high court Chandigarh
Punjab and Haryana high court Chandigarh
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Published : May 5, 2021, 7:54 AM IST

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में हरियाणा सरकार से गौ रक्षक दलों द्वारा लोगों के घरों पर छापा मारने के अधिकार पर जवाब-तलब किया है. हाई कोर्ट ने कहा कि निजी व्यक्तियों द्वारा कानून को अपने हाथों में लेकर लोगों के घरों में घुसकर छापेमारी करना कहां तक वैध है.

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर मित्तल ने ये मेवात निवासी मूवी उर्फ मुबीन को गौ रक्षा कानून के तहत उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर में जमानत देते हुए कहे हैं. हाई कोर्ट को बताया कि मुबीन के खिलाफ दर्ज मामले में आरोप है कि स्थानीय गौ रक्षा दल के अध्यक्ष के नेतृत्व में याचिकाकर्ता के घर पर छापा मारा गया और वहां पर एक बैल एक गाय और एक बछड़ा पाया गया.

हाई कोर्ट ने सरकार से किया जवाब तलब

याचिकाकर्ता मौके से भाग गया और उसे पकड़ा नहीं जा सका. दल ने स्थानीय पुलिस को सूचित किया और 11 मार्च 2021 को हरियाणा गोवंश संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2015 की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन पिछोर जिला नूंह में एक एफआईआर दर्ज की गई. बहस के दौरान याची के वकील ने कहा कि उपरोक्त अधिनियम की धारा 3 में गौ हत्या पर प्रतिबंध है, लेकिन इस मामले में किसी भी गाय का वध नहीं हुआ है.

गौ रक्षा कानून की धारा 8 में भी इसकी बिक्री पर रोक है, क्योंकि कोई वध नहीं है, इसलिए बीफ़ की बिक्री का कोई सवाल नहीं है. इसलिए आरोप बेबुनियाद है. वकील ने दलील दी कि स्थानीय गौ रक्षा दल और उसके जिला अध्यक्ष को याचिकाकर्ता के घर पर छापा मारने के लिए अधिकृत किया था. हाई कोर्ट ने कहा कि स्थानीय गौ रक्षा दल इस तरह की कार्रवाई कर खुद कानून के खिलाफ एक अपराधी की तरह काम कर रही है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में शुरू हो सकती है ऑक्सीजन की होम डिलीवरी, हाई कोर्ट ने सरकार को दिए ये आदेश

इस पर हाई कोर्ट ने गौ रक्षा बलों द्वारा नागरिकों के घरों पर छापेमारी करने पर सवाल खड़ा करते हुए सरकार को आदेश दिया कि ये बताइए कि गौरक्षा दोनों को किस आधार पर छापेमारी की शक्ति दी गई है. अगर ऐसा नहीं है तो यह छापेमारी क्यों हो रही है.

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में हरियाणा सरकार से गौ रक्षक दलों द्वारा लोगों के घरों पर छापा मारने के अधिकार पर जवाब-तलब किया है. हाई कोर्ट ने कहा कि निजी व्यक्तियों द्वारा कानून को अपने हाथों में लेकर लोगों के घरों में घुसकर छापेमारी करना कहां तक वैध है.

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर मित्तल ने ये मेवात निवासी मूवी उर्फ मुबीन को गौ रक्षा कानून के तहत उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर में जमानत देते हुए कहे हैं. हाई कोर्ट को बताया कि मुबीन के खिलाफ दर्ज मामले में आरोप है कि स्थानीय गौ रक्षा दल के अध्यक्ष के नेतृत्व में याचिकाकर्ता के घर पर छापा मारा गया और वहां पर एक बैल एक गाय और एक बछड़ा पाया गया.

हाई कोर्ट ने सरकार से किया जवाब तलब

याचिकाकर्ता मौके से भाग गया और उसे पकड़ा नहीं जा सका. दल ने स्थानीय पुलिस को सूचित किया और 11 मार्च 2021 को हरियाणा गोवंश संरक्षण और संवर्धन अधिनियम 2015 की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन पिछोर जिला नूंह में एक एफआईआर दर्ज की गई. बहस के दौरान याची के वकील ने कहा कि उपरोक्त अधिनियम की धारा 3 में गौ हत्या पर प्रतिबंध है, लेकिन इस मामले में किसी भी गाय का वध नहीं हुआ है.

गौ रक्षा कानून की धारा 8 में भी इसकी बिक्री पर रोक है, क्योंकि कोई वध नहीं है, इसलिए बीफ़ की बिक्री का कोई सवाल नहीं है. इसलिए आरोप बेबुनियाद है. वकील ने दलील दी कि स्थानीय गौ रक्षा दल और उसके जिला अध्यक्ष को याचिकाकर्ता के घर पर छापा मारने के लिए अधिकृत किया था. हाई कोर्ट ने कहा कि स्थानीय गौ रक्षा दल इस तरह की कार्रवाई कर खुद कानून के खिलाफ एक अपराधी की तरह काम कर रही है.

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इस पर हाई कोर्ट ने गौ रक्षा बलों द्वारा नागरिकों के घरों पर छापेमारी करने पर सवाल खड़ा करते हुए सरकार को आदेश दिया कि ये बताइए कि गौरक्षा दोनों को किस आधार पर छापेमारी की शक्ति दी गई है. अगर ऐसा नहीं है तो यह छापेमारी क्यों हो रही है.

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