चंडीगढ़: कोरोना काल में घर से पढ़ाई करना बच्चों के लिए नया मंत्र बन गया है. ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए बच्चे स्कूल जाने से तो बच रहे हैं, लेकिन इसका सीधा मतलब ये है कि बच्चों को ज्यादा घंटों तक कंप्यूटर और टीवी स्क्रीन के सामने बैठना पढ़ रहा है. अचानक आए इस बदलाव से बच्चों की पढ़ाई तो प्रभावित हो ही रही, वहीं बच्चों की आंखों पर भी बुरा असर पढ़ रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों पर पड़ रहे बुरे असर पर चंडीगढ़ की डॉ. मीनाक्षी जिंदल और पुनीता वढेरा ने एक रिसर्च की है, जिसे इंटरनेशनल जर्नल में जगह दी गई है.
डॉ. मीनाक्षी जिंदल और पुनीता वढेरा ने इस रिसर्च में 9 छात्र-छात्राओं को भी शामिल किया. ईटीवी से बात करते हुए डॉ मीनाक्षी जिंदल ने बताया इस रिसर्च को करने के दो मुख्य मकसद थे.
- बच्चों पर ऑनलाइन स्टडी के पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जाना जा सके.
- बच्चों को भी यह बताया जा सके कि किसी सब्जेक्ट पर रिसर्च कैसे की जाती है.
'बच्चों ने सीखा रिसर्च करने का तरीका'
डॉ. मीनाक्षी जिंदल के मुताबिक रिसर्च करने की जानकारी होना भी बच्चों के लिए बेहद जरूरी है. हमारे इस रिसर्च से हमें अपने विषय के आंकड़े तो मिल गए साथ-साथ बच्चों ने भी यह जाना कि रिसर्च कैसे करते हैं.
'बच्चों का बढ़ा स्क्रीन टाइम'
वहीं इस रिसर्च की दूसरी रिसर्चर पुनीता वडेरा ने बताया कि इस रिसर्च में सबसे अहम बात निकल कर सामने आई है कि बच्चों का स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा बढ़ गया है. बच्चे पूरा दिन मोबाइल या लैपटॉप स्क्रीन के सामने गुजारते हैं. बच्चों जब ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर रहे होते हैं, तो भी वो स्क्रीन के सामने होते हैं. वहीं अब बच्चे ऑनलाइन खाना मंगवाने लगे हैं.
बच्चे पहले ही से ज्यादा जंक फूड खा रहे हैं और उनकी फिजिकल एक्टिविटी भी बिल्कुल बंद हो चुकी है जो उनके लिए बेहद हानिकारक है. इन सब के बीच एक सबसे बड़ी चुनौती ये सामने आ रही है कि ऑनलाइन कक्षाओं का समय कम होने के बावजूद भी बच्चों का स्क्रीन टाइम कम नहीं हो रहा है. बच्चे भी मोबाइल और लैपटॉप पर उतना ही समय बीता रहे हैं.
'ऑनलाइन पढ़ाई में तकनीकी दिक्कतों से होती है परेशानी'
वहीं इस रिसर्च में शामिल स्कूली छात्र तनिष्क ने बताया कि बहुत से बच्चों को लगता है कि भविष्य में भी पढ़ाई ऑनलाइन तरीके से ही होगी. ऑनलाइन पढ़ाई में भी बच्चों को काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं. कभी इंटरनेट कनेक्शन कट जाता है कभी वीडियो साफ नहीं होता है. कभी-कभी आवाज नहीं आती इसलिए बच्चे भी चाहते हैं कि अब सामान्य पढ़ाई शुरू हो जाए.
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