चंडीगढ़: किसान आंदोलन के बीच मंगलवार को दिल्ली में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के आवास पर जेजेपी विधायकों की बैठक हुई. डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को लंच पर बुलाया था. इस बैठक में जेजेपी प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. के.सी बांगड़ मौजूद रहे.
लंच में कौन-कौन से विधायक पहुंचे
- अनूप धानक, विधायक, उकलाना
- जोगीराम सिंह, विधायक, बरवाला
- देवेंद्र बबली, विधायक, टोहाना
- अमरजीत ढांडा, विधायक, जुलाना
- रामनिवास सूरजाखेड़ा, विधायक, नरवाना
- रामकरण काला, विधायक, शाहाबाद
हरियाणा में जननायक जनता पार्टी के कुल 10 विधायक हैं. लेकिन दुष्यंत चौटाला के घर पर हुए लंच में सिर्फ 7 विधायक ही पहुंचे. ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं कि जो विधायक नहीं पहुंचे वो सरकार से नाराज हो सकते हैं. लंच में गुहला चीका से विधायक ईश्वर सिंह नहीं पहुंचे. कारण दिया गया कि वो बीमार हैं.
रामकुमार गौतम पहले ही नाराज हैं!
इसके अलावा, नारनौंद से जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम भी लंच में नहीं पहुंचे. हालांकि वो खुल तौर पर दुष्यंत चौटाला का विरोध करते नजर आते हैं. कई बार वो जेजेपी और दुष्यंत चौटाला के खिलाफ बयान भी दे चुके हैं. ऐसे में उनकी नाराजगी से कोई इनकार नहीं कर सकता. बाढड़ा से विधायक नैना चौटाला भी लंच में नहीं पहुंची. हालांकि उनके ना पहुंचने के कारण अलग हो सकते हैं.
सरकार बचाने की कवायद जारी
मिली जानकारी के अनुसार लंच तो सिर्फ बहाना था इस बैठक में किसान आंदोलन और हरियाणा की मौजदूा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा हुई. सियासी गलियारों में चर्चा है कि जेजेपी और बीजेपी सरकार बचाने की कवायद में लगी हुई है. अभी सोमवार को 4 निर्दलीय विधायकों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ लंच पर बैठक की थी. ये बैठक बिजली मंत्री रणजीत चौटाला के आवास पर हुई थी.
रामकरण काला भी थे लंच में
शाहाबाद से जेजेपी विधायक रामकरण काला भी दुष्यंत चौटाला के आवास पर पहुंचे थे. बता दें कि रामकरण काला कृषि कानून के विरोध में धरना भी दे चुके हैं. उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा देने की बात तक कह दी है. काला ने कहा है कि अगर 26 जनवरी तक नए कृषि कानून वापस नहीं होते तो वो विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे. ऐसे में दुष्यंत चौटाला के घर पर हुए इस लंच में उनको भी साथ लाने की कोशिश की गई होगी. ताकि सरकार पर किसी भी तरह का संकट ना आए.
सरकार का गणित क्या है?
हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 46 सीटें चाहिए. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 40 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी. जिसके बाद उन्हें जेजेपी के समर्थन से सरकार बनानी पड़ी जिसके 10 विधायक हैं. सरकार को 2019 में 7 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल था जिनमें से 2 ने समर्थन वापस ले लिया है. खाप पंचायतों का कहना है कि वो बाकी निर्दलीय विधायकों पर भी समर्थन वापस लेने का दबाव बनाएंगे. फिलहाल सरकार के पास गोपाल कांडा को मिलाकर 56 विधायकों का समर्थन है कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं और इनेलो का एक विधायक है.
विधानसभा की मौजूदा स्थिति
- बीजेपी-40
- कांग्रेस- 31
- जेजेपी- 10 (2 सरकार से नाराज)
- निर्दलीय- 7 (5 सरकार के साथ)
- हलोपा- 1
- इनेलो- 1
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