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क्या है ट्रांसकैथेटर एग्जॉटिक एओट्रिक वाल्व इम्प्लांटेशन विधि, एक्सपर्ट से जानिए इससे ओपन हार्ट सर्जरी इससे कैसे होगी आसान

चंडीगढ़ में टीएवीआई विधि के साथ ओपन हार्ट सर्जरी को डॉक्टरों ने आसान बना दिया है. चलिए सबसे पहले जानते हैं कि आखिर क्या है ट्रांसकैथेटर एग्जॉटिक एओट्रिक वाल्व इम्प्लांटेशन तकनीक और क्या कहते हैं विशेषज्ञ. (Transcatheter Exotic Aortic Valve Implantation)

tavi method in chandigarh
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Published : Mar 20, 2023, 3:21 PM IST

पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग प्रोफेसर परमिंदर सिंह ओटल ‌

चंडीगढ़: पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग में रोजाना हार्ट अटैक के सैकड़ों मरीज पहुंचते हैं. इसके अलावा यहां बच्चों और महिलाओं की भी एक भीड़ लगी रहती है. एडंवास कार्डियोलॉजी सेंटर चंडीगढ़ के डॉक्टरों का मानना है कि उन्हें मरीजों के बढ़ते भार को देखते हुए तकनीकों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग की ओर से पिछले साल विभाग के सीनियर प्रोफेसर को टीएवीआई के फेलोशिप के लिए इंग्लैंड भेजा गया था. बता दें कि इस तकनीक से ओपन हार्ट सर्जरी को आसान बनाया जाएगा.

बीते साल पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग प्रोफेसर परमिंदर सिंह ओटल ‌को इंग्लैंड के लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट हॉस्पिटल से ट्रांसकैथेटर एग्जॉटिक एओट्रिक वाल्व इम्प्लांटेशन तकनीक के लिए फेलोशिप दी गई थी, जिसके चलते उन्होंने इंग्लैंड में अपनी नौ से दस महीनों के दौरान टीएवीआई फेलोशिप करते सैकड़ों मरीजों पर अनुभव किया है.

tavi method in chandigarh
टीएवीआई तकनीक को समझें

टीएवीआई तकनीक को समझें: टीएवीआई तकनीक एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसका उपयोग ओपन हार्ट सर्जरी ‌के लिए किया जाता है. ऐसे में ‌हृदय रोग से ग्रसित मरीज में वाल्व नामक पाइप को नए वाल्व से बदला जाता है. वहीं, इंग्लैंड में रहते हुए 200 से अध‌िक मरीजों पर टीएवीआई तकनीक का इस्तेमाल करने के बाद अब यह पीजीआई के मरीजों में यूज किया जाएगा.

प्रोफेसर परमिंदर सिंह ओटल ने बताया कि उन्होंने पिछले साल पीजीआई की ओर से इंग्लैंड के लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट हॉस्पिटल में फेलोशिप के लिए भेजा गया था. इंग्लैंड के लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट हॉस्पिटल से ट्रांसकैथेटर एग्जॉटिक एओट्रिक वाल्व इम्प्लांटेशन जिसे टीएवीआई भी कहा जाता है. उसके संबंध में यह पूरी फेलोशिप थी क्योंकि यह विधि‌ काफी मुश्किल होती है.

ऐसे में उन्हें इस तकनीक को सीखने के लिए माहिरा की टीम के साथ काम करने का मौका मिला. उन्होंने बताया‌ कि यूके देश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान रखता है. यहां लोगों को अक्सर इमरजेंसी के दौरान ही सर्जरी के लिए सीधा ले जाया जाता है. ऐसे में उन्हें टीएवीआई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 200 से अधिक सर्जरी करने का मौका‌ मिला. वहीं, इस दौरान उन्हें यूके के डॉक्टरों द्वारा इस तकनीक में म‌ाहिर होने का सर्टिफिकेट से भी नवाजा गया है.

यह भी पढ़ें-हरियाणा में क्यों बढ़ रहे हैं कैंसर मरीज, सरकार कराएगी अध्ययन: अनिल विज

क्या है टीएवीआई तकनीक: डॉ. परमिंदर ने बताया कि उनके पूरे ट्रेनिंग के दौरान एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है. टीएवीआई तकनीक एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसका उपयोग ओपन हार्ट सर्जरी के बिना रोग ग्रस्त वाल्व को नए वाल्व से बदलने के लिए किया जाता है. उन्होंने टीएवीआई प्रक्रिया में विश्व प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉक्टर एपलबी क्लियर के नेतृत्व वाली टीएवीआई टीम के मार्गदर्शन में काम करते हुए उन्होंने काफी कुछ सीखा. उन्होंने ने बताया कि टीएवीआई प्रक्रिया को करने में शामिल न्यूनतम तकनीकों की जानकारी प्राप्त हुई है, जहां एक ओपन‌ हार्ट सर्जरी को करने में जहां 2 से 3 घंटे लगते हैं.

मरीज को पूरी तरह ठीक होने में भी 6 से 8 हफ्तों का समय लगता था. फिर भी उसे डॉक्टर की निगरानी में रहना होता ‌था. वहीं, टीएवीआई विधि के जरिए सर्जरी करने में मात्र 45 मिनट का‌ समय लगता है. वहीं सर्जरी होने के चार घंटे बाद मरीज को घर भी भेज दिया जाता है, क्योंकि इस तकनीक के जरिए मरीज के शरीर को किसी भी तरह से कट नहीं ‌लगाया ‌जाता.

पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग प्रोफेसर परमिंदर सिंह ओटल ‌

चंडीगढ़: पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग में रोजाना हार्ट अटैक के सैकड़ों मरीज पहुंचते हैं. इसके अलावा यहां बच्चों और महिलाओं की भी एक भीड़ लगी रहती है. एडंवास कार्डियोलॉजी सेंटर चंडीगढ़ के डॉक्टरों का मानना है कि उन्हें मरीजों के बढ़ते भार को देखते हुए तकनीकों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग की ओर से पिछले साल विभाग के सीनियर प्रोफेसर को टीएवीआई के फेलोशिप के लिए इंग्लैंड भेजा गया था. बता दें कि इस तकनीक से ओपन हार्ट सर्जरी को आसान बनाया जाएगा.

बीते साल पीजीआई के कार्डियोलॉजिस्ट विभाग प्रोफेसर परमिंदर सिंह ओटल ‌को इंग्लैंड के लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट हॉस्पिटल से ट्रांसकैथेटर एग्जॉटिक एओट्रिक वाल्व इम्प्लांटेशन तकनीक के लिए फेलोशिप दी गई थी, जिसके चलते उन्होंने इंग्लैंड में अपनी नौ से दस महीनों के दौरान टीएवीआई फेलोशिप करते सैकड़ों मरीजों पर अनुभव किया है.

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टीएवीआई तकनीक को समझें

टीएवीआई तकनीक को समझें: टीएवीआई तकनीक एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसका उपयोग ओपन हार्ट सर्जरी ‌के लिए किया जाता है. ऐसे में ‌हृदय रोग से ग्रसित मरीज में वाल्व नामक पाइप को नए वाल्व से बदला जाता है. वहीं, इंग्लैंड में रहते हुए 200 से अध‌िक मरीजों पर टीएवीआई तकनीक का इस्तेमाल करने के बाद अब यह पीजीआई के मरीजों में यूज किया जाएगा.

प्रोफेसर परमिंदर सिंह ओटल ने बताया कि उन्होंने पिछले साल पीजीआई की ओर से इंग्लैंड के लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट हॉस्पिटल में फेलोशिप के लिए भेजा गया था. इंग्लैंड के लिवरपूल हार्ट एंड चेस्ट हॉस्पिटल से ट्रांसकैथेटर एग्जॉटिक एओट्रिक वाल्व इम्प्लांटेशन जिसे टीएवीआई भी कहा जाता है. उसके संबंध में यह पूरी फेलोशिप थी क्योंकि यह विधि‌ काफी मुश्किल होती है.

ऐसे में उन्हें इस तकनीक को सीखने के लिए माहिरा की टीम के साथ काम करने का मौका मिला. उन्होंने बताया‌ कि यूके देश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान रखता है. यहां लोगों को अक्सर इमरजेंसी के दौरान ही सर्जरी के लिए सीधा ले जाया जाता है. ऐसे में उन्हें टीएवीआई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए 200 से अधिक सर्जरी करने का मौका‌ मिला. वहीं, इस दौरान उन्हें यूके के डॉक्टरों द्वारा इस तकनीक में म‌ाहिर होने का सर्टिफिकेट से भी नवाजा गया है.

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क्या है टीएवीआई तकनीक: डॉ. परमिंदर ने बताया कि उनके पूरे ट्रेनिंग के दौरान एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है. टीएवीआई तकनीक एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसका उपयोग ओपन हार्ट सर्जरी के बिना रोग ग्रस्त वाल्व को नए वाल्व से बदलने के लिए किया जाता है. उन्होंने टीएवीआई प्रक्रिया में विश्व प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉक्टर एपलबी क्लियर के नेतृत्व वाली टीएवीआई टीम के मार्गदर्शन में काम करते हुए उन्होंने काफी कुछ सीखा. उन्होंने ने बताया कि टीएवीआई प्रक्रिया को करने में शामिल न्यूनतम तकनीकों की जानकारी प्राप्त हुई है, जहां एक ओपन‌ हार्ट सर्जरी को करने में जहां 2 से 3 घंटे लगते हैं.

मरीज को पूरी तरह ठीक होने में भी 6 से 8 हफ्तों का समय लगता था. फिर भी उसे डॉक्टर की निगरानी में रहना होता ‌था. वहीं, टीएवीआई विधि के जरिए सर्जरी करने में मात्र 45 मिनट का‌ समय लगता है. वहीं सर्जरी होने के चार घंटे बाद मरीज को घर भी भेज दिया जाता है, क्योंकि इस तकनीक के जरिए मरीज के शरीर को किसी भी तरह से कट नहीं ‌लगाया ‌जाता.

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