चंडीगढ़: पिछले 21 दिनों से किसान कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डरों पर धरना दे रहे हैं. न तो सरकार कानून वापस लेने के जरा भी संकेत दे रही है और न ही किसान धरना खत्म करते नजर आ रहे हैं. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉर्डर पर डटे किसानों को हटाए जाने की याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिका पर केंद्र, हरियाणा और पंजाब सरकार से जवाब मांगा है.
बचा दें कि मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने किसानों को बॉर्डर से हटाए जाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट किसान संगठनों का पक्ष सुनने की बात कही. साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ?
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Supreme Court issues notice to Centre and States on a batch of pleas seeking a direction to the authorities to immediately remove the farmers who are protesting at several border points of Delhi against three new farm laws pic.twitter.com/v2IJM2qxDE
— ANI (@ANI) December 16, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) December 16, 2020Supreme Court issues notice to Centre and States on a batch of pleas seeking a direction to the authorities to immediately remove the farmers who are protesting at several border points of Delhi against three new farm laws pic.twitter.com/v2IJM2qxDE
— ANI (@ANI) December 16, 2020
जल्द से जल्द होना चाहिए समझौता- SC
वहीं अदालत की तरफ से किसान संगठनों को भी नोटिस दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि ऐसे मामलों में जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए. अदालत ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने की बात कही है, ताकि इस मुद्दे पर चर्चा हो सके. अब इस मामले की सुनवाई कल होगी.
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याचिका में की गई किसानों को बॉर्डर से हटाने की मांग
गौरतलब है कि किसानों को दिल्ली बॉर्डर से हटाए जाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि लोगों के इकट्ठा होने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा. याचिका में आगे कहा गया कि लोगों को हटाना आवश्यक है, क्योंकि इससे सड़कें ब्लॉक हो रही हैं. इमरजेंसी और मेडिकल सर्विस भी बाधित हो रही हैं. प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र, हरियाणा और पंजाब सरकार से जवाब मांगा है.