चंडीगढ़: दीवाली पर्व को धूमधाम से मनाने की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो चुकी है. चंडीगढ़ शहर के बाजारों में दीवाली का रंग अब चढ़ने लगा है. रोशनी के इस पर्व पर घरों की साज-सज्जा की सामग्री से बाजार रंगीन होने लगे हैं. हर साल लोग बाजारों से दीये खरीदकर लाते हैं लेकिन अगले दिन प्रयोग किए गए दीयों को फेंक देते हैं.
छात्रों ने शुरू की दीप से सहयोग की पहल
चंडीगढ़ के इन होनहार बच्चों ने फेंके गए दीयों का सही प्रयोग करना शुरू कर दिया है. दीप से सहयोग तक की मुहिम चला रहे ये छात्र इन दीयों से अब गरीब घर को रोशन करेंगे. ये छात्र इन दीयों को बेचकर पैसे इकठ्ठा करेंगे और इन पैसों से गरीबों के घरों में दिवाली की खुशियां बांटेंगे. दरअसल इन छात्रों ने पिछले साल की दिवाली और छठ पूजा के मौके पर इस्तेमाल किए गए करीब 30 हजार दीयों का इकठ्ठा किया और इन दीयों को नया रुप दिया.
पुराने दीयों से आएगा गरीबों के घरों में उजाला
ये छात्र इन इस्तेमाल किए गए दीयों का स्टॉल लगाकर बेचेंगे और जो भी पैसा कमाएंगे, उसका इस्तेमाल गरीब छात्रों की पढ़ाई में करेंगे. इसमें 40 प्रतिशत हिस्सा गरीब परिवारों में दिया जाएगा जबकि 60 प्रतिशत हिस्से को गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इन पैसों से दिवाली के मौके पर गरीब घरों को भी जगमग करने की कोशिश रहेगी.
छात्रों ने बनाया बायोडिग्रेडेबल पेन
इतना ही नहीं इन छात्रों ने बायोडिग्रेडेबल पेन भी बनाया है. इस पेन की खासियत ये है कि इसे कागज से बनाया गया है और इसमें बीज डाले गए हैं. लोग इस पेन का इस्तेमाल करने के बाद इसे मिट्टी में ही फेंक देंगे, जिससे वहां नए पौधे उग सकें. इस पेन में किसी भी तरह के प्लास्टिक का प्रयोग नहीं किया गया है. इससे पर्यावरण भी बचेगा और गरीब छात्र भी पढ़ और लिख सकेंगे.
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पहले दीये और फिर बायोडिग्रेडेबल पेन बनाना इन दोनों ही जरियों से छात्रों ने पर्यावरण का भी ख्याल रखा. इसके साथ ही दिवाली के मौके पर किसी भी गरीब के घर अंधेरा ना रहे इसका भी ध्यान रखा, जो काबिले तारीफ है.