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'हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिन्हें जवानी में घड़ियों की स्मलिंग करते पकड़ा गया था'

हरियाणा के एक ऐसे मुख्यमंत्री भी रहे हैं, जिनकी अगर बायोग्राफी लिखी जाएगी... तो उनके हर अध्याय में एक अपराध, एक विवाद से जुड़ी कहानी जरूर होगी. इन्हें स्मगलिंग के आरोप में पकड़ा गया और इन्होंने पूरे सूबे को अपने हिसाब से चलाने में विश्वास रखा. ये देश के पहले मुख्यमत्री थे जिन्हें भ्रष्टाचार के मामले में दोषी मान कर 10 साल की सजा भी सुना दी गई.

ओपी चौटाला, पूर्व सीएम, हरियाणा (हरियाणा के मुख्यमंत्री)
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Published : Oct 18, 2019, 12:06 PM IST

चंडीगढ़: आज हम बात कर रहे हैं हरियाणा के 9वें नंबर पर मुख्यमंत्री बने ओपी चौटाला के बारे में. चौधरी ओमप्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1936 को डबवाली के चौटाला नाम के गांव में हुआ. वो एक जाट परिवार में पैदा हुए. वो भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के बेटे हैं. ओपी चौटाला ने राजनीति में आने के लिए स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और अपने पिता के कदमों पर चलने लगे.

ऐसे शुरू हुई ओपी चौटाला की राजनीति
साल 1970 में जनता दल के सदस्य के रूप में, वह पहली बार हरियाणा राज्य की विधानसभा के लिए एक विधायक के रूप में चुने गए. ओम प्रकाश चौटाला ने अपने क्षेत्र में न्याय युद्ध का आयोजन किया, जिसे चौधरी देवी लाल ने हरियाणा संघ समिति के तहत शुरू किया था. इस दौरान, उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी भाग लिया और राजनीति में अपना नाम चमकाना शुरू किया.

जानिए उस मुख्यमंत्री के बारे में जिसे जवानी में घड़ियों की स्मलिंग करते पकड़ा गया.

वो 'कांड' जो ओपी के दामन पर दाग से कम नहीं!
वो दौर ताऊ देवी लाल के लिए गोल्डन पीरियड था. ताऊ देवी लाल सूबे की सियासत से केंद्र पहुंच गए. हरियाणा में मुख्यमंत्री की सीट खाली हुई तो 2 दिसंबर 1989 को ही ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. लेकिन वो तब हरियाणा विधानसभा में विधायक नहीं थे तो उन्हें उनके पिता की सीट महम से चुनाव लड़वाना तय हुआ.

लगातार तीन बार देवीलाल के जीतने से ये सीट लोकदल का गढ़ बन गई थी तो चौटाला के लिए ये एक सेफ सीट समझी गई थी. लेकिन इस बात ने महम चौबीसी को नाराज़ कर दिया. क्योंकि महम चौबीसी चाहती थी कि यहां से आनंद सिंह दांगी लड़ें. दांगी देवीलाल के बेहद करीबी थे. दांगी बागी हो गए.

ये पढ़ें- विधानसभा चुनाव स्पेशल: जानिए हरियाणा के पहले सीएम के बारे में जिन्हें दलबदल नेता ले डूबे!

जब दांगी ने खड़ी कर दी थी मुश्किलें
आनंद सिंह दांगी ने अपने ही राजनीतिक गुरू के बेटे के खिलाफ महम से निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर पर्चा भर दिया. 27 फरवरी 1990 को महम में वोट पड़े और जमकर बवाल हुआ. बूथ कैपचरिंग हुई. पत्रकारों से भी छीना-झपटी हुई. इस सब में पुलिस ने अभय सिंह का साथ दिया.

'खूनी उपचुनाव' में मिला था सूबे का सीएम
चुनाव के दौरान खूब हिंसा हुई, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई. 8 बूथों पर दोबारा चुनाव के आदेश हुए. लेकिन फिर हिंसा हो गई और उपचुनाव रद्द हो गया. हिंसा की जांच के आदेश जारी कर दिए गए. 21 मई को फिर से उपचुनाव घोषित हुए, लेकिन एक बार फिर हिंसा हो गई. अमीर सिंह नाम के एक निर्दलीय प्रत्याशी की हत्या के बाद उपचुनाव रद्द कर दिए गए. इल्जाम चौटाला सरकार पर लगा. इसी कहानी को आज हरियाणा में महम कांड के नाम से जाना जाता है.

ये पढ़ें- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने प्रधानमंत्री को झुका दिया, लेकिन उसके अपने ही ले डूबे!

जेबीटी घोटाले में काट रहे हैं 10 साल की सजा
ओमप्रकाश चौटाला 4 बार हरियाणा के सीएम रहे हैं. आरोप उन पर ये भी लगे कि 1999 में ओमप्रकाश चौटाला के मुख्यमंत्री रहते हुई 3,206 जूनियर बेसिक टीचर्स की भर्तियों में अनियमिताएं बरती गईं. 2008 में सामने आए JBT घोटाले में अजय और ओपी के अलावा 52 लोगों पर पैसे लेकर टीचर भर्ती करने के आरोप लगे. जनवरी 2013 में कोर्ट ने 10 साल की सजा का आदेश दिया. ओपी इसी घोटाले की सजा काट रहे हैं, ओपी अब स्वास्थ्य कारणों के चलते पैरोल पर बाहर आते रहते हैं.

ये पढे़ं- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने 'ताऊ' बने रहने के लिए ठुकरा दी पीएम की कुर्सी!

साल 2018 में टूट गया चौटाला परिवार
साल 2018 में चौटाला परिवार टूट गया. दोनों भाइयों अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला की राजनीतिक राहें जुद हो गई. पहले ओपी चौटाला के आदेश पर दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से बाहर निकाल दिया. फिर अजय चौटाला को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में इनेलो से निष्‍कासित कर दिया गया. अब अजय चौटाला तो जेल में हैं, लेकिन उनके बेटे अपने दादा के नाम पर जननायक जनता पार्टी के जरिए विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

हालांकि ओपी चौटाला खुद और इनेलो समर्थक उन्हें बेरोजगार युवकों और हरियाणा के गरीब तबकों का मसीहा मानते हैं. उनका कहना है कि वो जेल की सजा काट कर सैकड़ों परिवारों को सुकून भरी जिंदगी दी है. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भी वो दावा कर रहे हैं कि सरकार आई तो फिर युवाओं को नौकरियां बांटेंगे चाहे जान चली जाए.

ये पढ़ें- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने ओपी चौटाला के लिए इस्तीफा दे दिया और 'डमी सीएम' के नाम से बदनाम हो गए!

चंडीगढ़: आज हम बात कर रहे हैं हरियाणा के 9वें नंबर पर मुख्यमंत्री बने ओपी चौटाला के बारे में. चौधरी ओमप्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1936 को डबवाली के चौटाला नाम के गांव में हुआ. वो एक जाट परिवार में पैदा हुए. वो भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के बेटे हैं. ओपी चौटाला ने राजनीति में आने के लिए स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और अपने पिता के कदमों पर चलने लगे.

ऐसे शुरू हुई ओपी चौटाला की राजनीति
साल 1970 में जनता दल के सदस्य के रूप में, वह पहली बार हरियाणा राज्य की विधानसभा के लिए एक विधायक के रूप में चुने गए. ओम प्रकाश चौटाला ने अपने क्षेत्र में न्याय युद्ध का आयोजन किया, जिसे चौधरी देवी लाल ने हरियाणा संघ समिति के तहत शुरू किया था. इस दौरान, उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी भाग लिया और राजनीति में अपना नाम चमकाना शुरू किया.

जानिए उस मुख्यमंत्री के बारे में जिसे जवानी में घड़ियों की स्मलिंग करते पकड़ा गया.

वो 'कांड' जो ओपी के दामन पर दाग से कम नहीं!
वो दौर ताऊ देवी लाल के लिए गोल्डन पीरियड था. ताऊ देवी लाल सूबे की सियासत से केंद्र पहुंच गए. हरियाणा में मुख्यमंत्री की सीट खाली हुई तो 2 दिसंबर 1989 को ही ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. लेकिन वो तब हरियाणा विधानसभा में विधायक नहीं थे तो उन्हें उनके पिता की सीट महम से चुनाव लड़वाना तय हुआ.

लगातार तीन बार देवीलाल के जीतने से ये सीट लोकदल का गढ़ बन गई थी तो चौटाला के लिए ये एक सेफ सीट समझी गई थी. लेकिन इस बात ने महम चौबीसी को नाराज़ कर दिया. क्योंकि महम चौबीसी चाहती थी कि यहां से आनंद सिंह दांगी लड़ें. दांगी देवीलाल के बेहद करीबी थे. दांगी बागी हो गए.

ये पढ़ें- विधानसभा चुनाव स्पेशल: जानिए हरियाणा के पहले सीएम के बारे में जिन्हें दलबदल नेता ले डूबे!

जब दांगी ने खड़ी कर दी थी मुश्किलें
आनंद सिंह दांगी ने अपने ही राजनीतिक गुरू के बेटे के खिलाफ महम से निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर पर्चा भर दिया. 27 फरवरी 1990 को महम में वोट पड़े और जमकर बवाल हुआ. बूथ कैपचरिंग हुई. पत्रकारों से भी छीना-झपटी हुई. इस सब में पुलिस ने अभय सिंह का साथ दिया.

'खूनी उपचुनाव' में मिला था सूबे का सीएम
चुनाव के दौरान खूब हिंसा हुई, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई. 8 बूथों पर दोबारा चुनाव के आदेश हुए. लेकिन फिर हिंसा हो गई और उपचुनाव रद्द हो गया. हिंसा की जांच के आदेश जारी कर दिए गए. 21 मई को फिर से उपचुनाव घोषित हुए, लेकिन एक बार फिर हिंसा हो गई. अमीर सिंह नाम के एक निर्दलीय प्रत्याशी की हत्या के बाद उपचुनाव रद्द कर दिए गए. इल्जाम चौटाला सरकार पर लगा. इसी कहानी को आज हरियाणा में महम कांड के नाम से जाना जाता है.

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जेबीटी घोटाले में काट रहे हैं 10 साल की सजा
ओमप्रकाश चौटाला 4 बार हरियाणा के सीएम रहे हैं. आरोप उन पर ये भी लगे कि 1999 में ओमप्रकाश चौटाला के मुख्यमंत्री रहते हुई 3,206 जूनियर बेसिक टीचर्स की भर्तियों में अनियमिताएं बरती गईं. 2008 में सामने आए JBT घोटाले में अजय और ओपी के अलावा 52 लोगों पर पैसे लेकर टीचर भर्ती करने के आरोप लगे. जनवरी 2013 में कोर्ट ने 10 साल की सजा का आदेश दिया. ओपी इसी घोटाले की सजा काट रहे हैं, ओपी अब स्वास्थ्य कारणों के चलते पैरोल पर बाहर आते रहते हैं.

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साल 2018 में टूट गया चौटाला परिवार
साल 2018 में चौटाला परिवार टूट गया. दोनों भाइयों अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला की राजनीतिक राहें जुद हो गई. पहले ओपी चौटाला के आदेश पर दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से बाहर निकाल दिया. फिर अजय चौटाला को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में इनेलो से निष्‍कासित कर दिया गया. अब अजय चौटाला तो जेल में हैं, लेकिन उनके बेटे अपने दादा के नाम पर जननायक जनता पार्टी के जरिए विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

हालांकि ओपी चौटाला खुद और इनेलो समर्थक उन्हें बेरोजगार युवकों और हरियाणा के गरीब तबकों का मसीहा मानते हैं. उनका कहना है कि वो जेल की सजा काट कर सैकड़ों परिवारों को सुकून भरी जिंदगी दी है. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भी वो दावा कर रहे हैं कि सरकार आई तो फिर युवाओं को नौकरियां बांटेंगे चाहे जान चली जाए.

ये पढ़ें- हरियाणा का वो मुख्यमंत्री जिसने ओपी चौटाला के लिए इस्तीफा दे दिया और 'डमी सीएम' के नाम से बदनाम हो गए!

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