चंडीगढ़: स्मार्ट सिटी लिमिटेड, स्मार्ट सिटी मिशन और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सहयोग से चंडीगढ़ में प्रौद्योगिकी पर दो दिवसीय स्मार्ट सिटी सीईओ सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. जहां स्मार्ट शहर से जुड़ी उपलब्धियों और समस्याओं पर चर्चा की जा रही है. इस सम्मेलन में 100 शहरों में से जिन शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, उस पर अन्य राज्यों की स्मार्ट सिटी को लेकर आई रिपोर्ट पर एक मंच से सुझाव दिए जाएंगे.
चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया फेस-1 स्थित होटल हयात में गुरुवार को दो दिवसीय सम्मेलन शुरू हुआ. इस सम्मेलन में शिरकत करने चंडीगढ़ में 100 स्मार्ट शहरों के 250 प्रतिनिधि आए हुए हैं. जिसमें केंद्रीय मंत्रालय प्रशासन के अधिकारी, स्मार्ट शहरों के सीईओ, नगर निगम आयुक्त, वित्त प्रमुख और तकनीकी अधिकारी शामिल हैं. ऐसे में इन 250 से अधिक प्रतिनिधि अपने अपने शहरों में चल रहे स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की कार्यप्रणाली, कमांड और नियंत्रण केंद्र, आईसीसीसी की स्थिरता कैसे बनी रहे, इन मुद्दों पर विचार विमर्श कर रहे हैं.
चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारियों के अनुसार सम्मेलन का उद्देश्य अन्य शहरों से सीखना और विचारों का आदान-प्रदान को सक्षम बनाना है, जिसमें सभी स्मार्ट शहरों के सर्वोत्तम प्रथाओं का विकास हो सकेगा. सम्मेलन की शुरुआत स्मार्ट सिटीज मिशन के संयुक्त सचिव और मिशन निदेशक कुणाल कुमार ने की. निर्देशक कुणाल कुमार ने बताया कि तेज गति से शहरीकरण हो रहा है. इस दौरान उन्होंने कहा कि वे राज्य सरकारों से अपील कर रहे हैं कि स्मार्ट शहर वह नहीं है, जो सरकार द्वारा जारी किए गए पैसों से तरक्की करें. स्मार्ट शहर वह है, जो अपने दम पर पैसा जनरेट करें.
जिसको देखते हुए 40 से 50 करोड़ लोग शहरों में रहते हैं और आने वाले 25 सालों में इतने ही लोग और शहरों में आएंगे. इस तरह तेजी से फैल रहे शहरीकरण के कारण जरूरतों की भी मांग बढ़ेगी. वहीं बेहतरीन वातावरण, हाउसिंग, वाटर, एजुकेशन, हेल्थ इन सभी में टेक्नोलॉजी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने बताया कि हर क्षेत्र में टेक्नोलॉजी प्रभावित कर रही है. वहीं देश की 100 स्मार्ट सिटीज में हमने देखा है कि टेक्नोलॉजी के यूज से हमें बेहतर सेवाएं देने में मदद मिली है.
पढ़ें : 10 सेवा योजनाओं का सोशल ऑडिट शुरू करेगी सरकार: संजीव कौशल
इसका सबसे अच्छा उदाहरण यह है कि जब कोविड-19 आया था तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के द्वारा दी जा रही मदद के चलते हमें लोगों तक सुविधाएं पहुंचाने में मदद मिली थी. स्मार्ट सिटी के अंदर आते ही ट्रैफिक नियमों में भी सुधार हुआ. जहां डिजिटल कैमरा लगने से 30 से 40 प्रतिशत एक्सीडेंट कंट्रोल किए गए. वहीं एजुकेशन की बात करें तो इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए स्कूलों में बेहतर सुविधाएं दी जा रही है. हरियाणा की बात करें तो करनाल और फरीदाबाद 100 स्मार्ट सिटी के अंदर आती हैं.
उन्होंने बताया कि 100 स्मार्ट सिटी भले ही बन गए हैं, लेकिन अभी भी यह 100 स्मार्ट सिटी एक दूसरे से पीछे हैं. आज की कॉन्फ्रेंस में इन्हीं समस्याओं को लेकर चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को 5 हजार शहरों तक ले जाना है. इस दौरान कुणाल कुमार ने कहा, 'जब हम रैंकिंग की बात करते हैं. यह वह है जो अमूमन जिस शहर को स्मार्ट प्रोजेक्ट दिए जाते हैं, उसमें जो इंप्लीमेंटेशन है, जिसमें कितने प्रोजेक्ट खत्म हो गए और कितने प्रोजेक्ट अभी भी चल रहे हैं. इसको लेकर की जाती है.चंडीगढ़ भी इनमें से एक है.'