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अविश्वास प्रस्ताव: क्या मनोहर बचा पाएंगे सरकार, जानिए नंबर गेम में कौन मजबूत

हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ रही है. अविश्वास प्रस्ताव को देखते हुए कांग्रेस, बीजेपी और जेजेपी ने अपने-अपने विधायकों को 10 मार्च के लिए व्हिप जारी कर दिया है. इस रिपोर्ट में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर क्या है विधानसभा की मौजूदा स्थिति और क्या हो सकता है 10 मार्च को.

haryana assembly no confidence motion
haryana assembly no confidence motion
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Published : Mar 9, 2021, 7:48 PM IST

Updated : Mar 10, 2021, 9:47 AM IST

चंडीगढ़: किसान आंदोलन के प्रभाव की वजह से हरियाणा में विपक्ष सरकार को अल्पमत में होने का दावा कर रही है. किसानों के समर्थन में विपक्ष का कहना है कि बीजेपी के विधायक ही अब उनके साथ नहीं है. किसान आंदोलन की वजह से दो निर्दलीय विधायकों ने सत्तासीन बीजेपी सरकार से समर्थन भी वापस ले लिया.

अब इस स्थिति में कांग्रेस कॉन्फिडेंस में आ चुकी है. बजट सत्र के पहले ही दिन नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत 25 विधायकों के हस्ताक्षर वाले अविश्वास प्रस्ताव को दिया गया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मंजूर कर लिया था.

अविश्वास प्रस्ताव को देखते हुए कांग्रेस, बीजेपी और जेजेपी ने व्हिप जारी किए

इस अविश्वास प्रस्ताव पर 10 मार्च यानि आज बहस होगी और हालात बने तो उसी दिन वोटिंग भी हो सकती है. वहीं अविश्वास प्रस्ताव को देखते हुए कांग्रेस, बीजेपी और जेजेपी ने अपने-अपने विधायकों को 10 मार्च के लिए व्हिप जारी कर दिया है. व्हिप जारी होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव के दौरान पार्टी के विधायक पार्टी के खिलाफ वोटिंग नहीं कर सकेंगे.

विधानसभा में विपक्ष लाएगी अविश्वास प्रस्ताव, क्या बन सकते हैं समीकरण? पढ़िए

वहीं सरकार से समर्थन वापस लेने वाले विधायकों ने विधानसभा में किसानों का साथ देते हुए सरकार के खिलाफ जाने का ऐलान कर दिया है. चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने कहा कि सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है. इसलिए सदन में सरकार के खिलाफ जो भी प्रस्ताव आएगा, मैं उसका समर्थन करूंगा.

अविश्वास प्रस्ताव पेश होने से एक दिन पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्य के सभी विधायकों से अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करने की अपील की है और विधायकों के घर जाकर ज्ञापन भी सौंपे हैं.

haryana assembly no confidence motion
हरियाणा विधानसभा का लेखाजोखा

ये भी पढ़ें- अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बीजेपी ने जारी किया व्हिप

कांग्रेस से लेकर किसानों तक हर कोई सरकार को घेरने को लिए अपने-अपने तरीके से जुटा हुआ है और आखिर विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव भी आने वाला है लेकिन यहां ये जानना भी जरूरी है कि क्या वाकई मौजूदा बीजेपी और जेजेपी सरकार को खतरा है. सरकार की मौजूदा स्थिति और अविश्वास प्रस्ताव के असर के बारे में बात करें, उससे पहले हरियाणा विधानसभा की रूपरेखा जान लेते हैं.

क्या है हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्थिति?

हरियाणा में 90 विधानसभा सीट हैं. किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम 46 सीटों पर कब्जा करना पड़ता है. साल 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटों पर कब्जा किया. जेजेपी के 10 विधायकों ने जीत हासिल की. कांग्रेस ने 31 और इनेलो ने 1 सीट हासिल की, वहीं 8 सीटों पर निर्दलीय विधायकों ने जीत का परचम लहराया. सरकार बनाने में जेजेपी और कुछ निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन दिया.

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दो विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस लिया

वहीं किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और सोमबीर सांगवान ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. वहीं जनवरी 2021 में हरियाणा विधानसभा से दो सदस्य घट गए. ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा दे दिया. वहीं कालका से विधायक प्रदीप चौधरी को एक अपराधिक मामले में तीन साल की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई.

haryana assembly no confidence motion
हरियाणा विधानसभा से दो सदस्य घटे

हरियाणा सरकार की मौजूदा स्थिति है मजबूत

दोनों विधायकों के घटने के बाद विधानसभा में कुछ 88 सीटें बचीं. ऐसे में प्रदेश में अब बहुमत साबित करने के लिए कुल 45 सीटें चाहिए, फिर भी 55 विधायकों के साथ हरियाणा सरकार की मौजूदा स्थिति मजबूत है.

haryana assembly no confidence motion
अभी फ्लोर टेस्ट हुआ तो क्या होगा ?

हालांकि जेजेपी के करीब आधे विधायक किसान आंदोलन के समर्थन में खुलकर आए. माना जा रहा था कि वो सदन में कृषि कानून के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग कर सकते थे. इसीलिए जेजेपी ने अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है.

बहरहाल किसान आंदोलन में सरकार के खोते समर्थन को कांग्रेस किसी भी तरह से भुनाना चाहती है. वहीं अब देखना होगा कि हरियाणा सरकार कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव से कैसे पार पाती है.

ये भी पढ़ें-सरकार की अग्निपरीक्षा: विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा में चर्चा कल, जानिए कितनी सुरक्षित है सरकार?

चंडीगढ़: किसान आंदोलन के प्रभाव की वजह से हरियाणा में विपक्ष सरकार को अल्पमत में होने का दावा कर रही है. किसानों के समर्थन में विपक्ष का कहना है कि बीजेपी के विधायक ही अब उनके साथ नहीं है. किसान आंदोलन की वजह से दो निर्दलीय विधायकों ने सत्तासीन बीजेपी सरकार से समर्थन भी वापस ले लिया.

अब इस स्थिति में कांग्रेस कॉन्फिडेंस में आ चुकी है. बजट सत्र के पहले ही दिन नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत 25 विधायकों के हस्ताक्षर वाले अविश्वास प्रस्ताव को दिया गया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मंजूर कर लिया था.

अविश्वास प्रस्ताव को देखते हुए कांग्रेस, बीजेपी और जेजेपी ने व्हिप जारी किए

इस अविश्वास प्रस्ताव पर 10 मार्च यानि आज बहस होगी और हालात बने तो उसी दिन वोटिंग भी हो सकती है. वहीं अविश्वास प्रस्ताव को देखते हुए कांग्रेस, बीजेपी और जेजेपी ने अपने-अपने विधायकों को 10 मार्च के लिए व्हिप जारी कर दिया है. व्हिप जारी होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव के दौरान पार्टी के विधायक पार्टी के खिलाफ वोटिंग नहीं कर सकेंगे.

विधानसभा में विपक्ष लाएगी अविश्वास प्रस्ताव, क्या बन सकते हैं समीकरण? पढ़िए

वहीं सरकार से समर्थन वापस लेने वाले विधायकों ने विधानसभा में किसानों का साथ देते हुए सरकार के खिलाफ जाने का ऐलान कर दिया है. चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने कहा कि सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है. इसलिए सदन में सरकार के खिलाफ जो भी प्रस्ताव आएगा, मैं उसका समर्थन करूंगा.

अविश्वास प्रस्ताव पेश होने से एक दिन पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्य के सभी विधायकों से अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करने की अपील की है और विधायकों के घर जाकर ज्ञापन भी सौंपे हैं.

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हरियाणा विधानसभा का लेखाजोखा

ये भी पढ़ें- अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बीजेपी ने जारी किया व्हिप

कांग्रेस से लेकर किसानों तक हर कोई सरकार को घेरने को लिए अपने-अपने तरीके से जुटा हुआ है और आखिर विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव भी आने वाला है लेकिन यहां ये जानना भी जरूरी है कि क्या वाकई मौजूदा बीजेपी और जेजेपी सरकार को खतरा है. सरकार की मौजूदा स्थिति और अविश्वास प्रस्ताव के असर के बारे में बात करें, उससे पहले हरियाणा विधानसभा की रूपरेखा जान लेते हैं.

क्या है हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्थिति?

हरियाणा में 90 विधानसभा सीट हैं. किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम 46 सीटों पर कब्जा करना पड़ता है. साल 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटों पर कब्जा किया. जेजेपी के 10 विधायकों ने जीत हासिल की. कांग्रेस ने 31 और इनेलो ने 1 सीट हासिल की, वहीं 8 सीटों पर निर्दलीय विधायकों ने जीत का परचम लहराया. सरकार बनाने में जेजेपी और कुछ निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी को समर्थन दिया.

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दो विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस लिया

वहीं किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और सोमबीर सांगवान ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. वहीं जनवरी 2021 में हरियाणा विधानसभा से दो सदस्य घट गए. ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा दे दिया. वहीं कालका से विधायक प्रदीप चौधरी को एक अपराधिक मामले में तीन साल की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई.

haryana assembly no confidence motion
हरियाणा विधानसभा से दो सदस्य घटे

हरियाणा सरकार की मौजूदा स्थिति है मजबूत

दोनों विधायकों के घटने के बाद विधानसभा में कुछ 88 सीटें बचीं. ऐसे में प्रदेश में अब बहुमत साबित करने के लिए कुल 45 सीटें चाहिए, फिर भी 55 विधायकों के साथ हरियाणा सरकार की मौजूदा स्थिति मजबूत है.

haryana assembly no confidence motion
अभी फ्लोर टेस्ट हुआ तो क्या होगा ?

हालांकि जेजेपी के करीब आधे विधायक किसान आंदोलन के समर्थन में खुलकर आए. माना जा रहा था कि वो सदन में कृषि कानून के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग कर सकते थे. इसीलिए जेजेपी ने अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है.

बहरहाल किसान आंदोलन में सरकार के खोते समर्थन को कांग्रेस किसी भी तरह से भुनाना चाहती है. वहीं अब देखना होगा कि हरियाणा सरकार कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव से कैसे पार पाती है.

ये भी पढ़ें-सरकार की अग्निपरीक्षा: विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा में चर्चा कल, जानिए कितनी सुरक्षित है सरकार?

Last Updated : Mar 10, 2021, 9:47 AM IST
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