चंडीगढ़: शराब माफिया के खिलाफ गठित विशेष जांच दल एसईटी की रिपोर्ट पर मुख्य सचिव ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शेखर विद्यार्थी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही आईपीएस अधिकारी प्रतीक्षा गोदारा को कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए गए विभाग को निर्देश दिए हैं.
गृह मंत्री ने दी जानकारी
गृह मंत्री अनिल विज ने गुरुवार को चंडीगढ़ में प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि एसआईटी की पूरी रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए उन्होंने इस पर समूचित कार्रवाई हेतु मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेज दिया था. इस पर मुख्यमंत्री ने 10 अगस्त को उचित कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिए. जिसकी मुख्य सचिव द्वारा 25 अगस्त को अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग तथा आबकारी एवं कराधान विभाग को पत्र लिखकर जानकारी दी गई.
उन्होंने एसईटी की रिपोर्ट पर पूरी जांच शेखर विद्यार्थी एवं प्रतीक्षा गोदारा के खिलाफ कार्रवाई तथा आबकारी एवं कराधान विभाग व पुलिस के अधिकारियों की विभागीय जांच करवाने की सिफारिश की थी. जिसके आधार पर ये कार्रवाई अमल में लाई गई है.
गृह विभाग के एक अधिकारी को करेंगे नियुक्त
गृह मंत्री ने कहा कि इस आधार पर मुख्यमंत्री द्वारा राज्य विजिलेंस ब्यूरो को एसईटी द्वारा विभागों पर की गई टिप्पणियों की पूरी जांच करवाने के निर्देश दिए हैं. इसके अंतर्गत स्टॉक लॉकडाउन के दौरान शराब के परमिट देने के बारे में, गैरकानूनी तरीके से शराब रखने सहित अन्य अनियमितताओं की जांच करने को कहा गया है जिसकी मासिक तौर पर रिपोर्ट उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि वह इस पर पूरे प्रकरण की जानकारी रखने के लिए गृह विभाग के एक अधिकारी को नियुक्त करेंगे.
विज ने कहा कि पूरे मामले की जांच के लिए जांच टीम का गठन किया था. इसके लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पीसी गुप्ता की अध्यक्षता में 11 मई 2020 को एक एसईटी का गठन किया गया था. इसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सुभाष यादव एवं आबकारी अधिकारी विजय सिंह को शामिल किया गया था. इसमें सुभाष यादव की सेवानिवृत्ति के पश्चात आईपीएस अधिकारी मोहम्मद अकील को एसईटी का सदस्य बनाया गया.
ये कहा गया था एसईटी की रिपोर्ट में
31 जुलाई 2020 को अपनी रिपोर्ट एसईटी द्वारा सौंपी गई. जांच दल ने अपनी 6 चैप्टर और 2000 पेज की रिपोर्ट में अनेक संस्तुति दी जिसको उन्होंने स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री के पास उचित कार्रवाई हेतु भेज दिया था. टीम ने पाया था कि तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी ने जांच में कोई समूचित सहयोग नहीं किया. इतना ही नहीं सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान ठेके बंद करने के आदेश दिए थे जिसके लिए उन्होंने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए.
इसके अलावा विभाग की आबकारी नीति 2011-12 के अनुसार शराब की डिस्टलरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए थे परंतु आज तक इनकी कोई फीडबैक प्राप्त नहीं हुई. इसके साथ ही शराब की एक्सपायरी डेट 2 साल के बाद शराब को नष्ट भी करना होता है परंतु एक जिले को छोड़कर किसी भी अन्य जिले में इसका पालन नहीं किया. इसके चलते वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा अन्य के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है.
इसके अलावा एसईटी ने पाया कि प्रतीक्षा गोदारा ने खरखौदा के मुख्य शराब माफिया महेंद्र सिंह की ना केवल सहायता की बल्कि उसे दो अंगरक्षक भी मुहैया करवा दिए थे. इसके अलावा ऐसे अनेक आरोपों के चलते उन्होंने राज्य विजिलेंस ब्यूरो को इस पूरे मामले में एफआईआर दर्ज करने और इसकी समूचित जांच करवाने की सिफारिश की है ताकि शराब प्रकरण में कड़ी कार्रवाई की जा सके.
ये भी पढ़ें- कोरोना काल में दूसरी बीमारियों से ग्रस्त मरीजों का कैसे हो रहा इलाज ?