चंडीगढ़: डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा (Ranbir Gangwa Car Attack) की गाड़ी पर हमले के मामले में दो नामजद और करीब सौ किसानों पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में पांच किसानों की वीडियोग्राफी के आधार पर गिरफ्तारी हुई है. ऐसे में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या सरकार का विरोध करने पर देशद्रोह की धारा दर्ज की जा सकती है.
इसको लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के वकील फैरी सोफत ने बताया कि किसी के ऊपर भी देशद्रोह का मामला (Farmer Sedition Case Unconstitutional) दर्ज नहीं किया जा सकता. ये असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि देश में राइट टू फ्रीडम एंड एक्सप्रेशन है. हर कोई अपनी बात कह सकता है. हर किसी को अपनी मांग मांगने का अधिकार है. ऐसे में प्रदर्शन के दौरान अगर किसी को चोट लग जाती है, तो पुलिस आईपीसी या फिर सीआरपीसी की धारा जोड़कर एफआईआर दर्ज कर सकती है, किसी भी तरीके से इसमें देशद्रोह की धारा नहीं जोड़ी जा सकती.
वकील फैरी सोफत ने बताया कि देशद्रोह कोई छोटा मोटा जुर्म नहीं होता. देश के साथ गद्दारी करना, देश की कोई सीक्रेट जानकारी अन्य देश को देना, देश में रहकर आतंकी गतिविधियों में शामिल होना देशद्रोह में शामिल है. वकील फैरी सोफत के मुताबिक देशद्रोह के मामले तो बड़ी संख्या में दर्ज किए जाते हैं, लेकिन जब अदालतों में मामले की सुनवाई होती है, तो उस वक्त कोई पर्याप्त सबूत ना होने के कारण आरोपी बरी हो जाते हैं. इन मामलों में कनविक्शन रेट बहुत कम है.
बता दें कि इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये मुकदमा ब्रिटिश राज के दौरान इस्तेमाल किया जाता था. उस वक्त भारत को आजादी नहीं मिली थी. उस वक्त फ्रीडम मूवमेंट और महात्मा गांधी के खिलाफ इस तरह के मामले दर्ज किए थे. आज के समय में ये बहुत आम हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आजादी के इतने साल बाद भी क्या इस कानून की जरूरत है या नहीं.