चंडीगढ़: हरियाणा में ई-टेंडरिंग पॉलिसी का विरोध बढ़ता जा रहा है. सरपंच इसके विरोध में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदेश के कई जिलों में मंगलवार को प्रदर्शनकारी सरपंचों ने बीडीपीओ कार्यालयों पर ताले लगा दिए. सरपंचों का आरोप है कि ई टेंडर प्रक्रिया से पंचायतों के काम अटक जाएंगे और ठेकेदारों की लापरवाही का नुकसान पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को उठाना होगा. वहीं सरकार पारदर्शिता और गुणवत्ता के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया को सही ठहरा रही है. सरकार का कहना है कि सरपंचों को इस मुद्दे पर गुमराह किया जा रहा है, जबकि सरकार ग्राम पंचायतों के अधिकार कम नहीं कर रही है. उन्हें अतिरिक्त शक्तियां दी गई हैं, अब वे बड़े और छोटे सभी कार्य ई टेंडर से करा सकेंगे.
प्रदेश में ई-टेंडरिंग के खिलाफ सरपंच सड़कों पर उतर आए हैं. सरपंचों का विरोध प्रदर्शन पिछले कई दिनों से जारी है, लेकिन मंगलवार को सरपंचों ने विभिन्न जिलों के बीडीपीओ कार्यालयों पर ताला बंदी कर सरकार के प्रति अपना रोष जताया. वहीं, इस दौरान सरपंचों ने अपना मानदेय बढ़ाकर 15 हजार रुपए करने और राइट टू रिकॉल बंद करने की भी मांग उठाई.
सोनीपत में कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा का विरोध: सोनीपत के लघु सचिवालय में मंगलवार को जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक हुई. जिसमें प्रदेश के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा पहुंचे. बैठक में 10 शिकायतें पहुंची जिनका समाधान किया गया. इस मौके पर मूलचन्द शर्मा ने धरने पर बैठे सरपंचों के मुद्दे पर कहा कि ई टेंडरिंग से भ्रष्टाचार कम होगा और सरकार सरपंचों के साथ है. सरपंचों को भी सरकार का साथ देना चाहिए. जब प्रदर्शनकारी सरपंचों को कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा के लघु सचिवालय में होने की जानकारी मिली, तो वे उन्हें काले झंडे दिखाने लघु सचिवालय पहुंच गए. हालांकि मंत्री मूलचंद लघु सचिवालय के पिछले दरवाजे से निकल गए.
यमुनानगर में बीडीपीओ कार्यालय पर जड़े ताले: ई-टेंडरिंग पॉलिसी का विरोध कर रहे सरंपचों ने जगाधरी स्थित बीडीपीओ कार्यालय पर ताला लगा दिया. इस दौरान सरपंचों ने आरोप लगाया कि सरकार पंचायती राज को खत्म करना चाहती है. उनका कहना है कि 2 लाख की राशि से गांव की कोई भी मांग पूरी नहीं हो सकती है. वहीं, बीडीपीओ ने बताया कि सरपंचों ने उनके ऑफिस पर ताला लगा दिया है, जिससे उनका काम प्रभावित हो रहा है.
ई-टेंडरिंग पॉलिसी से रुकेंगे विकास कार्य: सरपंचों का आरोप है कि, ई-टेंडरिंग के माध्यम से सरकार पंचायतों में काम करवाना चाह रही है, उससे सरपंचों को काफी परेशानी आने वाले है. क्योंकि कोई भी ठेकेदार काम करते वक्त पूरा पैसा नहीं लगाएगा और गांव में हुए इन कार्यों की जिम्मेदारी सरपंच की होगी. उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना चाहती है, लेकिन दूसरी तरफ सरपंचों पर विश्वास नहीं किया जा रहा है. ऐसे में पंचायतों को पूरा मान-सम्मान देते हुए उन्हें पूरी छूट दी जाए, ताकि गांवों का सम्पूर्ण विकास करवाया जा सके.
ई-टेंडरिंग व्यवस्था का फरीदाबाद में विरोध: फरीदाबाद के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से बल्लभगढ़ के रेस्ट हाउस में एकत्रित हुए सरपंचों ने सरकार की इस व्यवस्था का जमकर विरोध किया. उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और ई टेंडरिंग व्यवस्था को वापस लेने की मांग की. सरपंचों का आरोप है कि ई-टेंडर प्रक्रिया से पंचायतों के काम अटक जाएंगे और ठेकेदारों की लापरवाही का नुकसान पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को उठाना होगा.
कुरुक्षेत्र के बीडीपीओ कार्यालयों पर तालाबंदी: हरियाणा में ग्रामीण सरपंच ई-टेंडरिंग के विरोध में उतर आए हैं. प्रदेशभर में जहां सरकार की नीतियों के खिलाफ सरपंच धरना दे रहे हैं, वहीं, ग्रामीण जन प्रतिनिधियों का आंदोलन जोर पकड़ने लगा है. कुरुक्षेत्र जिले में पिहोवा, थानेसर, लाडवा, पिपली समेत अनेक जगहों पर में बीडीपीओ कार्यालयों पर ताले लगाकर सरपंचों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. कुरुक्षेत्र के के ब्लॉक पिहोवा, थानेसर, पिपली, लाडवा के सरपंचों ने विकास एवं पंचायत कार्यालय में कर्मचारियों को बाहर निकाल कर ताला जड़ दिया.
ग्रामीणों की उम्मीद पर खरा उतरने की चिंता: सरपंचों का कहना है कि ई-टेंडरिंग के माध्यम से सरकार पंचायती राज को खत्म करना चाहती है. सरपंचों को ई-टेंडरिंग पॉलिसी से विकास कार्य प्रभावित होने का डर है. सरपंचों का कहना है कि ग्रामीणों ने जिस उम्मीद से उन्हें सरपंच पद के लिए चुना है, वह खत्म हो गई है. ऐसे हालात में वे ग्रामीणों की मांगों पर कभी भी खरा नहीं उतर पाएंगे. उनकी सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द उनकी मुख्य मांगों को पूरा किया जाए अन्यथा सरपंचों का धरना प्रदर्शन अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगा.
सरकार की यह है दलील: इस पूरे मामले में हरियाणा सरकार ने अपना रूख स्पष्ट किया है. सरकार की माने तो कुछ लोग राजनीति के लिए इस मुद्दे को लेकर सरपंचों को गुमराह कर रहे हैं. सरकार ने सरपंचों की शक्तियां कम नहीं की है. पंच सरपंचों को भी सुशासन पर चलने के लिए ई-टेंडरिंग की व्यवस्था की गई है. सरकार ने पंचायत जनप्रतिनिधियों के अधिकार बढ़ाते हुए अपने कार्य ई टेंडर के जरिए कराने के अधिकार दिए हैं. ई-टेंडर प्रणाली को अपनाने से कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता आएगी.