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ई टेंडरिंग का विरोध सरकार के लिये बना चुनौती, हरियाणा के कई जिलों में प्रदर्शनकारी सरपंचों को मिला कांग्रेस का समर्थन

ई टेंडरिंग के खिलाफ सरपंचों ने हरियाणा के कई जिलों में (Sarpanchs protest against e tendering) प्रदर्शन किया. इस दौरान कांग्रेस ने भी प्रदर्शन कर रहे सरपंचों का समर्थन किया और कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा.

Sarpanchs protest against e tendering
प्रदर्शनकारी सरपंचों को मिला कांग्रेस का समर्थन
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Published : Feb 6, 2023, 10:34 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के लिए सरपंचों का ई टेंडरिंग विरोध चुनौती बनता जा रहा है. हरियाणा में सरपंच बनने के बाद सरकार ने राइट टू रिकॉल और ई टेंडरिंग के माध्यम से काम करवाने का फैसला लिया था. जो अब सरकार के लिए भी चुनौती के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है. क्योंकि इस मामले को लेकर सरपंच लगातार विरोध जता रहे हैं.

ई टेंडर और राइट टू रिकॉल के खिलाफ सरपंच: दरअसल, हरियाणा सरकार ने फैसला लिया है, कि पंचायतों के जो 2 लाख से अधिक के काम होंगे वे ई टेंडरिंग के माध्यम से होंगे. वहीं सरपंचों को लेकर राइट टू रिकॉल का भी फैसला लिया है. जिसकी वजह से सरपंच इसका विरोध कर रहे हैं और वे इन फैंसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. साथ ही पंचायतों को पूरे अधिकार दिए जाने की मांग कर रहे हैं. इसी मुद्दे को लेकर सरपंच मंगलवार को मंत्रियों, सत्ताधारी विधायकों और निर्दलीय विधायकों के आवास का घेराव करेंगे.

सरपंच करेंगे विधायकों-मंत्रियों का घेराव: सरपंच मंगलवार को विरोध के जरिये, हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में उनकी आवाज उठाए जाने की मांग कर रहे हैं. सरपंचों ने फैसला लिया है कि प्रदेश भर में सरपंच ब्लॉक कार्यालय के साथ-साथ अब बीजेपी-जेजेपी मंत्रियों व विधायकों के अलावा निर्दलीय विधायकों के घरों का घेराव करेंगे. सरपंचों की कोशिश है कि वे सरकार पर इस मामले में बजट सत्र से पहले दबाव बनाए ताकि बजट सत्र में सरकार अपना फैसला वापस ले.

इस मामले में क्या कहती है बीजेपी?: सरपंचों के विरोध को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे कहते हैं कि सरकार का प्रयास हर काम को पारदर्शी तरीके से एक करने का है. ताकि सिस्टम में सुधार हो सके. इसी के तहत इस सरकार ने ई टेंडर व्यवस्था को लागू किया है. इतना ही नहीं वे कहते हैं कि सरकार ने किसी भी तरह से सरपंचों के अधिकारों में कोई कटौती नहीं की है, बल्कि उन्हें ज्यादा अधिकार दिए हैं. वहीं, वे राइट टू रिकॉल के मुद्दे पर कहते हैं कि जब विधानसभा में यह बिल पास हुआ था, तो फिर विपक्ष ने इसका विरोध उस वक्त क्यों नहीं किया था. साथ ही वे यह कहते हैं कि यह बिल तो चुनावों से पहले ही पास हो चुका था और इसका किसी को विरोध करना था तो फिर वह चुनावों से पहले इसका विरोध करते.

बीजेपी पर हमलावर विपक्ष: इधर सरपंचों के मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा सरकार के इस फैसले को लोकतंत्र के विरुद्ध करार दे रहे है. उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से लगता है कि उनको चुने हुए सरपंच पर भरोसा नहीं है. वे कहते हैं कि सरकार इस तरह का फैसला लागू करके चुने हुए प्रतिनिधियों का अपमान कर रही है.

अंबाला में सरपंचों को मिला कांग्रेस का समर्थन: ई टेंडरिंग के विरोध में सरपंचो का धरना पिछले कई दिनों से चल रहा है. सोमवार को अंबाला में सरपंचों को कांग्रेस का समर्थन भी मिला. इस दौरान कांग्रेस व सरपंचों ने BDPO दफ़्तर पर ताला लगाने की कोशिश की. लेकिन पुलिस ज्यादा होने के चलते उनकी यह मंशा पूरी नहीं हो सकी. बाद में BDPO के आश्वासन के बाद सरपंचों ने ताला न लगाने का फैंसला लिया और उनकी मांग सरकार तक पहुंचाने की मांग रखी. धरने को समर्थन देने पहुंचे कांग्रेस नेता ने कहा जब सरपंचों की जरूरत ही नहीं, तो BDPO दफ्तर किस काम का इसलिए हम दफ्तर को ताला लगाना चाहते हैं. यदि उनकी मांग पर सरकार ने गौर नही किया तो वे दोबारा दफ्तर पर ताला लगाने का काम करेंगे.

नूंह में भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन: वहीं, नूंह में भी सरपंचों ने ई टेंडरिंग का विरोध प्रदर्शन किया और यहां पर भी सरपंचों को कांग्रेस ने समर्थन दिया. इस मौके पर नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद व फरोजपुर झिरका से विधायक मामन खान ने धरने पर बैठे. वहीं, विधायक आफताब अहमद और मामन खान ने कहा कांग्रेस सरकार सरपंचों के साथ भरपूर समर्थन के साथ खड़े हैं. कांग्रेसी विधायक ई टेंडरिंग को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब तक सरपंच को थोपे गए दोनों कानून सरकार वापस नहीं लेती तब तक कांग्रेस सरपंचों का समर्थन करती रहेगी.

ये भी पढ़ें: हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान का बड़ा बयान, 8 से 10 दिन में होगी संगठन की घोषणा

सरकार को सरपंचों ने दी चेतावनी: सरपंचों ने कहा कि एक तो चुनाव 5 साल के बजाय 7 साल में सरकार द्वारा कराए गए. पिछले 2 साल से गांव के विकास तेजी से नहीं हो पाए. जब उन्हें सरपंच बनने का अवसर मिला, तो उन्होंने गांव के विकास को गति देने का विचार किया. लेकिन ई टेंडरिंग उनके विकास के कामों में तेजी लाने में सबसे बड़ी रुकावट बन रहा है. इसके अलावा राइट टू रिकॉल के कानून से भी सरपंच नाराज दिख रहे हैं. साथ ही चेतावनी भरे लहजे में कह दिया कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर अमल नहीं करती तब तक उनका अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा.

ये भी पढ़ें: अडाणी ग्रुप के खिलाफ सड़क पर उतरा विपक्ष, हरियाणा और चंडीगढ़ में सरकार के खिलाफ कांग्रेस का हल्ला बोल

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के लिए सरपंचों का ई टेंडरिंग विरोध चुनौती बनता जा रहा है. हरियाणा में सरपंच बनने के बाद सरकार ने राइट टू रिकॉल और ई टेंडरिंग के माध्यम से काम करवाने का फैसला लिया था. जो अब सरकार के लिए भी चुनौती के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है. क्योंकि इस मामले को लेकर सरपंच लगातार विरोध जता रहे हैं.

ई टेंडर और राइट टू रिकॉल के खिलाफ सरपंच: दरअसल, हरियाणा सरकार ने फैसला लिया है, कि पंचायतों के जो 2 लाख से अधिक के काम होंगे वे ई टेंडरिंग के माध्यम से होंगे. वहीं सरपंचों को लेकर राइट टू रिकॉल का भी फैसला लिया है. जिसकी वजह से सरपंच इसका विरोध कर रहे हैं और वे इन फैंसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. साथ ही पंचायतों को पूरे अधिकार दिए जाने की मांग कर रहे हैं. इसी मुद्दे को लेकर सरपंच मंगलवार को मंत्रियों, सत्ताधारी विधायकों और निर्दलीय विधायकों के आवास का घेराव करेंगे.

सरपंच करेंगे विधायकों-मंत्रियों का घेराव: सरपंच मंगलवार को विरोध के जरिये, हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में उनकी आवाज उठाए जाने की मांग कर रहे हैं. सरपंचों ने फैसला लिया है कि प्रदेश भर में सरपंच ब्लॉक कार्यालय के साथ-साथ अब बीजेपी-जेजेपी मंत्रियों व विधायकों के अलावा निर्दलीय विधायकों के घरों का घेराव करेंगे. सरपंचों की कोशिश है कि वे सरकार पर इस मामले में बजट सत्र से पहले दबाव बनाए ताकि बजट सत्र में सरकार अपना फैसला वापस ले.

इस मामले में क्या कहती है बीजेपी?: सरपंचों के विरोध को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे कहते हैं कि सरकार का प्रयास हर काम को पारदर्शी तरीके से एक करने का है. ताकि सिस्टम में सुधार हो सके. इसी के तहत इस सरकार ने ई टेंडर व्यवस्था को लागू किया है. इतना ही नहीं वे कहते हैं कि सरकार ने किसी भी तरह से सरपंचों के अधिकारों में कोई कटौती नहीं की है, बल्कि उन्हें ज्यादा अधिकार दिए हैं. वहीं, वे राइट टू रिकॉल के मुद्दे पर कहते हैं कि जब विधानसभा में यह बिल पास हुआ था, तो फिर विपक्ष ने इसका विरोध उस वक्त क्यों नहीं किया था. साथ ही वे यह कहते हैं कि यह बिल तो चुनावों से पहले ही पास हो चुका था और इसका किसी को विरोध करना था तो फिर वह चुनावों से पहले इसका विरोध करते.

बीजेपी पर हमलावर विपक्ष: इधर सरपंचों के मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा सरकार के इस फैसले को लोकतंत्र के विरुद्ध करार दे रहे है. उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से लगता है कि उनको चुने हुए सरपंच पर भरोसा नहीं है. वे कहते हैं कि सरकार इस तरह का फैसला लागू करके चुने हुए प्रतिनिधियों का अपमान कर रही है.

अंबाला में सरपंचों को मिला कांग्रेस का समर्थन: ई टेंडरिंग के विरोध में सरपंचो का धरना पिछले कई दिनों से चल रहा है. सोमवार को अंबाला में सरपंचों को कांग्रेस का समर्थन भी मिला. इस दौरान कांग्रेस व सरपंचों ने BDPO दफ़्तर पर ताला लगाने की कोशिश की. लेकिन पुलिस ज्यादा होने के चलते उनकी यह मंशा पूरी नहीं हो सकी. बाद में BDPO के आश्वासन के बाद सरपंचों ने ताला न लगाने का फैंसला लिया और उनकी मांग सरकार तक पहुंचाने की मांग रखी. धरने को समर्थन देने पहुंचे कांग्रेस नेता ने कहा जब सरपंचों की जरूरत ही नहीं, तो BDPO दफ्तर किस काम का इसलिए हम दफ्तर को ताला लगाना चाहते हैं. यदि उनकी मांग पर सरकार ने गौर नही किया तो वे दोबारा दफ्तर पर ताला लगाने का काम करेंगे.

नूंह में भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन: वहीं, नूंह में भी सरपंचों ने ई टेंडरिंग का विरोध प्रदर्शन किया और यहां पर भी सरपंचों को कांग्रेस ने समर्थन दिया. इस मौके पर नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद व फरोजपुर झिरका से विधायक मामन खान ने धरने पर बैठे. वहीं, विधायक आफताब अहमद और मामन खान ने कहा कांग्रेस सरकार सरपंचों के साथ भरपूर समर्थन के साथ खड़े हैं. कांग्रेसी विधायक ई टेंडरिंग को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब तक सरपंच को थोपे गए दोनों कानून सरकार वापस नहीं लेती तब तक कांग्रेस सरपंचों का समर्थन करती रहेगी.

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सरकार को सरपंचों ने दी चेतावनी: सरपंचों ने कहा कि एक तो चुनाव 5 साल के बजाय 7 साल में सरकार द्वारा कराए गए. पिछले 2 साल से गांव के विकास तेजी से नहीं हो पाए. जब उन्हें सरपंच बनने का अवसर मिला, तो उन्होंने गांव के विकास को गति देने का विचार किया. लेकिन ई टेंडरिंग उनके विकास के कामों में तेजी लाने में सबसे बड़ी रुकावट बन रहा है. इसके अलावा राइट टू रिकॉल के कानून से भी सरपंच नाराज दिख रहे हैं. साथ ही चेतावनी भरे लहजे में कह दिया कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर अमल नहीं करती तब तक उनका अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा.

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