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कैसा था सपना चौधरी का हरियाणा से 'मायानगरी' तक का सफर? जानिए उन्हीं की जुबानी

हरियाणा की मशहूर डांसर और बॉलीवुड अदाकारा सपना चौधरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपने संघर्ष के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि वो कैसे हरियाणा से निकलकर मुंबई की चकाचौंध तक पहुंची.

sapna chaudhary exclusive interview with etv bharat
कैसा था सपना चौधरी का हरियाणा से 'माया नगरी' तक का सफर? जानिए उन्हीं की जुबानी
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Published : Jul 3, 2020, 1:36 PM IST

Updated : Jul 3, 2020, 2:31 PM IST

हैदराबाद/चंडीगढ़: देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था. भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब फिल्मों की शूटिंग से लेकर रिलीज तक, हर किसी चीज पर रोक लगा दी गई. बॉलीवुड के तमाम बड़े सितारे घरों में कैद हो गए और अपने परिवार के साथ वक्त गुजार रहे हैं. हरियाणा की मशहूर डांसर और बॉलीवुड अदाकारा सपना चौधरी भी इस लॉकडाउन में अपने घरवालों के साथ ही थी. इस पूरे दौर में उन्होंने क्या-क्या किया? उनकी करियर को लेकर क्या योजनाएं हैं. ऐसे ही कई सवालों के जवाब सपना चौधरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान दिए.

ईटीवी भारत से सपना चौधरी की खास बातचीत

सवाल: दिल्ली के महिपालपुर से निकलकर मायानगरी मुंबई तक का सफर कैसा रहा? अपने संघर्ष की कहानी अपने फैंस को बताएं ताकि वो भी इससे प्रेरणा ले सकें.

जवाब: मेहनत हर काम के पीछे होती है. मेरा मानना है कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप काम छोटा कर रहे हैं या बड़ा. फर्क इस बात से पड़ता है कि आप अपने काम को कितनी लगन से कर रहे हैं. मेरी कभी मशहूर होने की चाह नहीं थी. मैं सिर्फ सुबह से शाम तक काम करती थी ताकि पैसे मिल सकें और घर की मदद हो पाए.

मैंने हमेशा अपने काम को पूरी शिद्दत से किया है. मैं जब भी स्टेज पर गई तो मैंने ये सोचा कि ये मेरा आखिरी शो है. बस यही है इसके बाद कुछ नहीं है. जब आप ये सोचकर काम करते हो तो आपके अंदर एक नई ऊर्जा आ जाती है और वो काम अपने आप अच्छा हो जाता है.

सवाल: जब आपने अपना पहला शो किया था तो उस वक्त आपको कितने पैसे मिले थे?

जवाब: मुझे मेरे पहले शो के लिए 1500 रुपये मिले थे. ये 2009 के अंत की बात है. 2008 में मेरे पिता की मौत के बाद मैंने दिसंबर 2009 में पहला शो किया था.

सवाल: पहली सैलरी का आपने क्या किया था?

जवाब: मैंने वो पैसे किसी को नहीं दिए. ये मेरी आदत नहीं थी कि जाकर पहली सैलरी किसी को दे दूं. पहली सैलरी आई तो हम सब ने कुछ खा लिया था. उस वक्त मेरे लिए 100-100 रुपये की कीमत होती थी, तब में शॉपिंग करने नजफगढ़ पैदल जाया करती थी ताकि 25 रुपये बच सकें.

सवाल: आपके लिए हरियाणा जैसे प्रदेश से उठकर आगे आना कितना मुश्किल था? जहां आज भी ज्यादातर महिलाएं पर्दा करती हैं.

जवाब: जब हमने शुरुआत की थी उस वक्त पूरे नॉर्थ इंडिया में महिलाएं शो देखने नहीं आया करती थी. सिर्फ पुरुष आया करते थे वो भी ये सोचकर कि ये अलग तरीके का शो है. तब हर चीज शो की फीमेल लीड को देखनी होती थी. वो डांस भी करेगी, गाएगी भी और फिर बाद में गालियां भी सुनेगी. वो चीज हमें हैंडल करनी पड़ती थी. तब हमें इसे भी पॉजिटिव वे में लेना पड़ता था कि चलिए छोड़िए ये हमारा ही काम है. आज ऐसा नहीं है. आज काफी बदलाव आया है. आज शो में बच्चे भी आते हैं. बूढ़े और महिलाएं भी आती हैं.

ये भी पढ़िए: कोरोना को लेकर सपना चौधरी ने हरियाणवी स्टाइल में दिया 'सॉलिड' संदेश

सवाल:हरियाणा में रागिनी एक मशहूर डांस फॉर्म है, जिसको हम अक्सर सामाजिक कार्यक्रमों में देखते हैं, लेकिन आप जो गाती हैं और दिखाती हैं, उसको हम किस रूप में देखें, महज मनोरंजन या इसे कुछ और नाम दें?

जवाब: आप इसे रागिनी ही कहें. रागिनी हरियाणा की पहचान है जो सदाबहार है. इसे आप कभी भी उठा कर देखें ये हमेशा आपको वैसे ही मिलेगी. कोई इंसान चाहे कितना बड़ा क्यों ना बन जाए. वो चाहे कितने भी घर क्यों बना ले, लेकिन उसके दिमाग से देसीपन कभी खत्म नहीं हो सकता. जो खुशी आपको ऑटो में सफर करने पर मिलती है वो आपको किसी भी महंगी गाड़ी में सफर के दौरान नहीं मिल सकती.

हैदराबाद/चंडीगढ़: देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था. भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब फिल्मों की शूटिंग से लेकर रिलीज तक, हर किसी चीज पर रोक लगा दी गई. बॉलीवुड के तमाम बड़े सितारे घरों में कैद हो गए और अपने परिवार के साथ वक्त गुजार रहे हैं. हरियाणा की मशहूर डांसर और बॉलीवुड अदाकारा सपना चौधरी भी इस लॉकडाउन में अपने घरवालों के साथ ही थी. इस पूरे दौर में उन्होंने क्या-क्या किया? उनकी करियर को लेकर क्या योजनाएं हैं. ऐसे ही कई सवालों के जवाब सपना चौधरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान दिए.

ईटीवी भारत से सपना चौधरी की खास बातचीत

सवाल: दिल्ली के महिपालपुर से निकलकर मायानगरी मुंबई तक का सफर कैसा रहा? अपने संघर्ष की कहानी अपने फैंस को बताएं ताकि वो भी इससे प्रेरणा ले सकें.

जवाब: मेहनत हर काम के पीछे होती है. मेरा मानना है कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप काम छोटा कर रहे हैं या बड़ा. फर्क इस बात से पड़ता है कि आप अपने काम को कितनी लगन से कर रहे हैं. मेरी कभी मशहूर होने की चाह नहीं थी. मैं सिर्फ सुबह से शाम तक काम करती थी ताकि पैसे मिल सकें और घर की मदद हो पाए.

मैंने हमेशा अपने काम को पूरी शिद्दत से किया है. मैं जब भी स्टेज पर गई तो मैंने ये सोचा कि ये मेरा आखिरी शो है. बस यही है इसके बाद कुछ नहीं है. जब आप ये सोचकर काम करते हो तो आपके अंदर एक नई ऊर्जा आ जाती है और वो काम अपने आप अच्छा हो जाता है.

सवाल: जब आपने अपना पहला शो किया था तो उस वक्त आपको कितने पैसे मिले थे?

जवाब: मुझे मेरे पहले शो के लिए 1500 रुपये मिले थे. ये 2009 के अंत की बात है. 2008 में मेरे पिता की मौत के बाद मैंने दिसंबर 2009 में पहला शो किया था.

सवाल: पहली सैलरी का आपने क्या किया था?

जवाब: मैंने वो पैसे किसी को नहीं दिए. ये मेरी आदत नहीं थी कि जाकर पहली सैलरी किसी को दे दूं. पहली सैलरी आई तो हम सब ने कुछ खा लिया था. उस वक्त मेरे लिए 100-100 रुपये की कीमत होती थी, तब में शॉपिंग करने नजफगढ़ पैदल जाया करती थी ताकि 25 रुपये बच सकें.

सवाल: आपके लिए हरियाणा जैसे प्रदेश से उठकर आगे आना कितना मुश्किल था? जहां आज भी ज्यादातर महिलाएं पर्दा करती हैं.

जवाब: जब हमने शुरुआत की थी उस वक्त पूरे नॉर्थ इंडिया में महिलाएं शो देखने नहीं आया करती थी. सिर्फ पुरुष आया करते थे वो भी ये सोचकर कि ये अलग तरीके का शो है. तब हर चीज शो की फीमेल लीड को देखनी होती थी. वो डांस भी करेगी, गाएगी भी और फिर बाद में गालियां भी सुनेगी. वो चीज हमें हैंडल करनी पड़ती थी. तब हमें इसे भी पॉजिटिव वे में लेना पड़ता था कि चलिए छोड़िए ये हमारा ही काम है. आज ऐसा नहीं है. आज काफी बदलाव आया है. आज शो में बच्चे भी आते हैं. बूढ़े और महिलाएं भी आती हैं.

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सवाल:हरियाणा में रागिनी एक मशहूर डांस फॉर्म है, जिसको हम अक्सर सामाजिक कार्यक्रमों में देखते हैं, लेकिन आप जो गाती हैं और दिखाती हैं, उसको हम किस रूप में देखें, महज मनोरंजन या इसे कुछ और नाम दें?

जवाब: आप इसे रागिनी ही कहें. रागिनी हरियाणा की पहचान है जो सदाबहार है. इसे आप कभी भी उठा कर देखें ये हमेशा आपको वैसे ही मिलेगी. कोई इंसान चाहे कितना बड़ा क्यों ना बन जाए. वो चाहे कितने भी घर क्यों बना ले, लेकिन उसके दिमाग से देसीपन कभी खत्म नहीं हो सकता. जो खुशी आपको ऑटो में सफर करने पर मिलती है वो आपको किसी भी महंगी गाड़ी में सफर के दौरान नहीं मिल सकती.

Last Updated : Jul 3, 2020, 2:31 PM IST
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