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स्वाद के चक्कर में ना दें कोरोना के नए स्ट्रेन को बुलावा, रिफाइंड की जगह करें इन तेलों का इस्तेमाल

अक्‍सर लोंगो के घरों में पूड़ी-पराठे बनाने के लिए रिफाइंड तेल का प्रयोग होता है, लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि ये तेल आपके लिए कितना हानिकारक है.

refined oil and junk food corona strain
refined oil and junk food corona strain
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Published : Apr 19, 2021, 8:09 AM IST

चंडीगढ़: कोरोना महामारी एक बार फिर से तेजी से पैर पसार रही है. अब इसके नए वैरिएंट स्ट्रेन के आने के बाद ये और घातक हो गया है. दोगुना तेजी से कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि इस महामारी से कैसे बचा जाए.

ये भी पढ़ें- कोरोना के नए स्ट्रेन से बचना है तो खानपान में करें बदलाव, डॉक्टर से जानिए क्या खाना है क्या नहीं

चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉक्टर सोनू गोयल ने ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में बताया कि अगर हम कुछ सावधानियों को अपनाएं तो करोना से काफी हद तक बचा जा सकता है.

स्वाद के चक्कर में ना दें कोरोना के नए स्ट्रेन को बुलावा, जानें डॉक्टर ने क्या कहा

डॉक्टर सोनू गोयल ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है गाइडलाइन की पालना करना. इसके साथ अगर हम घर में खानपान की आदतों में थोड़ा बदलाव करें तो करोना से बचने की संभावना बढ़ जाती है. डॉक्टर सोनू गोयल ने कहा कि हमें रिफाइंड फूड से बचना चाहिए. क्योंकि ये फैट को बढ़ाता है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है.

पहले के टाइम में हमारे बड़े-बुजुर्ग खाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल करते थे चाहे वो परांठा हो या फिर सब्जी. सरसों का तेल रिफाइंड तेल के मुकाबले ज्यादा अच्छा होता है. बाकि तेलों के मुकाबले सरसों के तेल रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने की क्षमता ज्यादा होती है.

सरसों का तेल

सरसों के तेल में बना खाना खाने से हमारा गला और श्वसनतंत्र मजबूत रहता है. अगर कोई बैक्टीरिया शरीर में पहुंच भी जाता है तो सरसों के तेल की वजह से वो जल्द ही मर जाता है या उतनी तेजी से बढ़ नहीं पाता. क्योंकि सरसों का तेल ऐंटिफंगल, ऐंटिबैक्टीरियल और ऐंटिइंफ्लामेट्री गुणों से भरपूर होता है. सरसों तेल में बना खाना बनाने से कफ, कोल्ड, सीने में दर्द, गले में खराश और खांसी जैसी समस्याएं अन्य लोगों की तुलना में बहुत ही कम होती हैं.

ये भी पढ़ें- सावधान ! इन मामूली लक्षणों के साथ आप हो सकते हैं कोरोना संक्रमण के शिकार

नारियल का तेल

घर में खाना बनाते समय सरसों के तेल या रिफाइंड की जगह नारियल के तेल का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होगा. इसमें लॉरिक एसिड और कैप्रीलिक एसिड होता है जो आपके इम्यूनिटी सिस्टम को बूस्ट कर वायरल से सुरक्षा करता है.

चंडीगढ़: कोरोना महामारी एक बार फिर से तेजी से पैर पसार रही है. अब इसके नए वैरिएंट स्ट्रेन के आने के बाद ये और घातक हो गया है. दोगुना तेजी से कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि इस महामारी से कैसे बचा जाए.

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चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉक्टर सोनू गोयल ने ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में बताया कि अगर हम कुछ सावधानियों को अपनाएं तो करोना से काफी हद तक बचा जा सकता है.

स्वाद के चक्कर में ना दें कोरोना के नए स्ट्रेन को बुलावा, जानें डॉक्टर ने क्या कहा

डॉक्टर सोनू गोयल ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है गाइडलाइन की पालना करना. इसके साथ अगर हम घर में खानपान की आदतों में थोड़ा बदलाव करें तो करोना से बचने की संभावना बढ़ जाती है. डॉक्टर सोनू गोयल ने कहा कि हमें रिफाइंड फूड से बचना चाहिए. क्योंकि ये फैट को बढ़ाता है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है.

पहले के टाइम में हमारे बड़े-बुजुर्ग खाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल करते थे चाहे वो परांठा हो या फिर सब्जी. सरसों का तेल रिफाइंड तेल के मुकाबले ज्यादा अच्छा होता है. बाकि तेलों के मुकाबले सरसों के तेल रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने की क्षमता ज्यादा होती है.

सरसों का तेल

सरसों के तेल में बना खाना खाने से हमारा गला और श्वसनतंत्र मजबूत रहता है. अगर कोई बैक्टीरिया शरीर में पहुंच भी जाता है तो सरसों के तेल की वजह से वो जल्द ही मर जाता है या उतनी तेजी से बढ़ नहीं पाता. क्योंकि सरसों का तेल ऐंटिफंगल, ऐंटिबैक्टीरियल और ऐंटिइंफ्लामेट्री गुणों से भरपूर होता है. सरसों तेल में बना खाना बनाने से कफ, कोल्ड, सीने में दर्द, गले में खराश और खांसी जैसी समस्याएं अन्य लोगों की तुलना में बहुत ही कम होती हैं.

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नारियल का तेल

घर में खाना बनाते समय सरसों के तेल या रिफाइंड की जगह नारियल के तेल का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होगा. इसमें लॉरिक एसिड और कैप्रीलिक एसिड होता है जो आपके इम्यूनिटी सिस्टम को बूस्ट कर वायरल से सुरक्षा करता है.

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