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चंडीगढ़ में मानसून ने तोड़ा 16 साल का रिकॉर्ड, सर्दी भी ज्यादा पड़ने के आसार

चंडीगढ़ में इस साल मानसून से 16 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इससे पहले चंडीगढ़ में साल 2004 में इस तरह की बारिश हुई थी. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

record monsoon in chandigarh after 2004
चंडीगढ़ में मानसून ने तोड़ा 16 साल का रिकॉर्ड
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Published : Aug 25, 2020, 2:25 PM IST

चंडीगढ़: इस बार कुदरत उत्तर भारत पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान नजर आ रही है. यही वजह है कि यहां मानसून में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई है. पहाड़ हो या फिर मैदान हर जगह सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. हालांकि ज्यादा बारिश की वजह से बिहार समेत कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात भी पैदा हुए हैं. अगर बात द सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की करें तो यहां भी बारिश ने पिछले 16 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है. इससे पहले चंडीगढ़ में साल 2004 में इस तरह का मानसून दर्ज किया गया था.

इस बारे में ईटीवी भारत ने मौसम विभाग चंडीगढ़ के निदेशक सुरेंद्र पॉल से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया इस साल मानसून काफी अच्छा रहा है. इस साल मानसून सामान्य से ज्यादा रहा है. इससे पहले साल 2004 में सामान्य से ज्यादा मानसून दर्ज किया गया था और अब 16 सालों के बाद साल 2020 में मानसून की इतनी अच्छी स्थिति देखने को मिली है.

चंडीगढ़ में मानसून ने तोड़ा 16 साल का रिकॉर्ड, सर्दी भी ज्यादा पड़ने के आसार

साल दर साल चंडीगढ़ में बारिश का रिकॉर्ड

साल बारिश(मिली मीटर)
2002 355 एमएम
2003201.7 एमएम
2004718 एमएम
2005236.9 एमएम
2006209.4 एमएम
2007272.2 एमएम
2008291 एमएम
2009192.9 एमएम
2010246.2 एमएम
2011187.3 एमएम
2012288.1 एमएम
2013286.1 एमएम
201430.9 एमएम
2015106.8 एमएम
2016167.8 एमएम
2017339.8 एमएम
2018286.9 एमएम
2019303.2 एमएम
2020419 एमएम (अभी तक)

सुरेंद्र पॉल ने कहा कि मानसून समुद्र की सतह के तापमान पर काफी हद तक निर्भर करता है. इस साल वो मानसून के अनुकूल था. इसके अलावा कई अन्य कारण थे जिस वजह से मानसून सामान्य से ज्यादा रहा.

ये भी पढ़िए: बुधवार से हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र, इन मद्दों पर हंगामे के आसार

उन्होंने बताया कि इस मानसून का गर्मियों पर भी काफी असर देखने को मिला. इस साल काफी पहले ही बरसात शुरू हो गई थी, जिससे तापमान बहुत ज्यादा बढ़ नहीं पाया. पूरी गर्मियों में 2 या 4 दिन ही ऐसे थे जब तापमान ज्यादा बढ़ा. इसके अलावा तापमान में ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई. वहीं बारिश ज्यादा होने का असर सर्दियों पर भी पड़ेगा. इस साल सर्दी ज्यादा पड़ने की उम्मीद है.

खेती के लिए फायदेमंद रहा मानसून

इसके अलावा सुरेंद्र पॉल ने कहा कि इस साल मानसून खेती के लिए भी काफी अच्छा रहा. बारिश ज्यादा हुई, लेकिन इतनी ज्यादा भी नहीं हुई कि उसे नियंत्रित ना किया जा सके. इस वजह से फसलों के लिए ये बारिश काफी अच्छी साबित हो रही है. फसलों में पानी की कमी नहीं रही.

चंडीगढ़: इस बार कुदरत उत्तर भारत पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान नजर आ रही है. यही वजह है कि यहां मानसून में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई है. पहाड़ हो या फिर मैदान हर जगह सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. हालांकि ज्यादा बारिश की वजह से बिहार समेत कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात भी पैदा हुए हैं. अगर बात द सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की करें तो यहां भी बारिश ने पिछले 16 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है. इससे पहले चंडीगढ़ में साल 2004 में इस तरह का मानसून दर्ज किया गया था.

इस बारे में ईटीवी भारत ने मौसम विभाग चंडीगढ़ के निदेशक सुरेंद्र पॉल से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया इस साल मानसून काफी अच्छा रहा है. इस साल मानसून सामान्य से ज्यादा रहा है. इससे पहले साल 2004 में सामान्य से ज्यादा मानसून दर्ज किया गया था और अब 16 सालों के बाद साल 2020 में मानसून की इतनी अच्छी स्थिति देखने को मिली है.

चंडीगढ़ में मानसून ने तोड़ा 16 साल का रिकॉर्ड, सर्दी भी ज्यादा पड़ने के आसार

साल दर साल चंडीगढ़ में बारिश का रिकॉर्ड

साल बारिश(मिली मीटर)
2002 355 एमएम
2003201.7 एमएम
2004718 एमएम
2005236.9 एमएम
2006209.4 एमएम
2007272.2 एमएम
2008291 एमएम
2009192.9 एमएम
2010246.2 एमएम
2011187.3 एमएम
2012288.1 एमएम
2013286.1 एमएम
201430.9 एमएम
2015106.8 एमएम
2016167.8 एमएम
2017339.8 एमएम
2018286.9 एमएम
2019303.2 एमएम
2020419 एमएम (अभी तक)

सुरेंद्र पॉल ने कहा कि मानसून समुद्र की सतह के तापमान पर काफी हद तक निर्भर करता है. इस साल वो मानसून के अनुकूल था. इसके अलावा कई अन्य कारण थे जिस वजह से मानसून सामान्य से ज्यादा रहा.

ये भी पढ़िए: बुधवार से हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र, इन मद्दों पर हंगामे के आसार

उन्होंने बताया कि इस मानसून का गर्मियों पर भी काफी असर देखने को मिला. इस साल काफी पहले ही बरसात शुरू हो गई थी, जिससे तापमान बहुत ज्यादा बढ़ नहीं पाया. पूरी गर्मियों में 2 या 4 दिन ही ऐसे थे जब तापमान ज्यादा बढ़ा. इसके अलावा तापमान में ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई. वहीं बारिश ज्यादा होने का असर सर्दियों पर भी पड़ेगा. इस साल सर्दी ज्यादा पड़ने की उम्मीद है.

खेती के लिए फायदेमंद रहा मानसून

इसके अलावा सुरेंद्र पॉल ने कहा कि इस साल मानसून खेती के लिए भी काफी अच्छा रहा. बारिश ज्यादा हुई, लेकिन इतनी ज्यादा भी नहीं हुई कि उसे नियंत्रित ना किया जा सके. इस वजह से फसलों के लिए ये बारिश काफी अच्छी साबित हो रही है. फसलों में पानी की कमी नहीं रही.

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