चंडीगढ़: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने मंगलवार को चंडीगढ़ में प्रेस वार्ता कर हरियाणा सरकार पर निशाना साधते हुए कई सवाल पूछे. सुरजेवाला ने हरियाणा लोक सेवा आयोग (haryana public service commission) में कथित घोटालों को लेकर (recruitment scam in haryana) मनोहर लाल सरकार से कई सवाल पूछे. उन्होंने कहा कि हरियाणावासियों के सामने अब एक बात साफ है कि खट्टर साहब 'बिना पर्ची, बिना खर्ची' के नारे लगाकर प्रदेश के करोड़ों युवाओं को सात साल से गुमराह करते रहे और हरियाणा में नौकरियों की बिक्री की मंडी चलती रही.
उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार में अब तो खर्ची भी विकास का टॉनिक पीकर अटैची में बदल चुकी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 32 से अधिक पेपर लीक व भर्ती घोटालों को उजागर कर हम लगातार हरियाणा के युवाओं के साथ हो रहे अत्याचार व चौतरफा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. सुरजेवाला ने HPSC के डिप्टी सेक्रेटरी व HCS अधिकारी अनिल नागर, अश्विनी कुमार व अन्य की गिरफ्तारी पर कहा कि अब साफ है कि हरियाणा में नौकरी भर्ती और नौकरी बिक्री घोटाला देश के सबसे बड़े नौकरी घोटाले यानि व्यापम घोटाला से भी बड़ा है.
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रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी 3 जुमले रटे हुए हैं- मैरिट, पारदर्शिता और 'बिना पर्ची, बिना खर्ची'. नौकरियां बिकें, पर्चे लीक हों, खाली ओएमआर शीट भरी जाएं, रोल नंबर एक दूसरे के पीछे लगाए जाएं और चाहे कुछ भी होता रहे, खट्टर साहब ये तीन जुमले उछालकर चलते बनते हैं. सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने की जिम्मेदारी व जवाबदेही मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री की है. प्रदेश के युवाओं की मांग है कि खट्टर जी और दुष्यंत चौटाला की जोड़ी जिम्मेदारी स्वीकार करें.
उन्होंने सीएम मनोहर लाल से सात बिंदुओं पर जवाब मांगा. उन्होंने पूछा कि एचपीएससी को हरियाणा पोस्ट सेल काउंटर क्यों बनाया, जहां हर भर्ती का रेट हरियाणा में तय है. HPSC डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर सरकार का चहेता अधिकारी है जो कई मुख्य पदों पर रहा है. मनोहर लाल ने एचएसएससी (HSSC) और एचपीएससी (HPSC) का निजीकरण किया है. जहां निजी कंपनियां पेपर बनाने से लेकर रिजल्ट तक का काम कर रही हैं. अगर निजी कंपनियों को ये काम करना है तो सरकार की जरूरत क्या है. डेंटल सर्जन भर्ती के लिए 25-25 लाख रुपये लिए जा रहे हैं. जिनमें आठ का एचसीएस ने भी कबूल किया है. सवाल ये है कि ऐसे कितनी भर्तियां की गई और इसका पैसा किस-किस के पास गया.
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निगेटिव मार्किंग होने के बावजूद भी 68.5 प्रतिशत मेरिट आई. क्या ये चार साल पुराना डिप्टी सेक्रेटरी लेवल का अधिकारी कर सकता है. सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि क्या वरिष्ठ अधिकारी और सरकार की सांठगांठ के बिना ये हो सकता है. एचपीएससी में जहां मैं या सीएम साहब भी नहीं जा सकते, वहां नौकरी बेच गिरोह कैसे पहुंच गया. ओएमआर शीट लेने और हेराफेरी करने और इस दौरान सीआईडी और चेयरमैन ने क्यों आंखें बंद कर रखी. विजिलेंस के अनुसार जसबीर मालिक को ऑनलाइन एप्लीकेशन स्कैनिंग का ठेका मिला. वही कैंडिडेट को लेकर आ रहा था. सरकार जब भी रंगे हाथों पकड़ी जाती है तब कुछ दिन खबरें चलवाती है फिर लीपापोती कर लेती है.
रणदीप सुरजेवाला की सरकार से मांग:-
1. HPSC व HSSC आयोगों को बगैर देरी बर्खास्त किया जाए, ताकि निष्पक्ष जांच हो सके.
2. जिन भर्तियों की परीक्षाएं अनिल नागर के एचपीएससी में पोस्टिंग होने के बाद हुई हैं, सबको रद्द करें.
3. हरियाणा के इस नौकरी बिक्री व्यापम घोटाले की जांच हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की देखरेख में एसआईटी से करवाएं, न कि हरियाणा सरकार की एजेंसियों से, ताकि जांच निष्पक्ष हो और बड़े से बड़े पद पर बैठे लोगों के नौकरी भर्ती घोटाले से जुड़े तार सामने आएं.
4. एचपीएससी व एचएसएससी का पुनर्गठन हो, कोई भी नई भर्ती करने से पूर्व इन आयोगों में पारदर्शी नौकरी भर्ती सुधारों के लिए एक्सपर्ट्स का एक पैनल बनाकर सुझाव लें. उन्हें सार्वजनिक करें और उन सुझावों के अनुसार कार्रवाई करें.
5. खट्टर साहेब सभी युवाओं से माफी मांगें, जिनको 'बिना पर्ची, बिना खर्ची' के नारों से मूर्ख बनाते रहे हैं.
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