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गुरमीत राम रहीम फिर आया जेल से बाहर, जानिए क्या हैं इसके राजनीतिक मायने? - Ram Rahim furlough political Equation

Ram Rahim furlough सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो मिलने पर आठवीं बार जेल से बाहर आया है. राम रहीम के जेल से बाहर आने को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं. क्या इस फरलो का चुनाव पर भी असर पड़ सकता है. राजनीतिक मामलों के जानकारों का क्या कहना है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Ram Rahim furlough political Equation
राम रहीम को फरलो, क्या है राजनीतिक मायने
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 22, 2023, 10:06 AM IST

Updated : Nov 24, 2023, 11:07 AM IST

चंडीगढ़: सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आया है. साध्वी यौन शोषण और हत्या के मामले में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को फिर से एक बार फरलो मिली है. इस बार गुरमीत राम रहीम 3 सप्ताह की फरलो पर जेल से बाहर आया है. फरलो अवधि के दौरान वह बागपत के बरनावा आश्रम में रहेगा. जेल जाने के बाद से गुरमीत राम रहीम को आठवीं बार जेल से बाहर आया है. राम रहीम की इस फरलो को राजस्थान विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि गुरमीत सिंह राम रहीम राजस्थान से ही ताल्लुक रखता है.

राम रहीम पैरोल और चुनाव: गुरमीत राम रहीम को अभी तक कई मौकों पर फरलो और पैरोल मिली है, जब कहीं चुनाव होते हैं. इनमें पंजाब और हिमाचल विधानसभा चुनाव भी एक है. उस दौरान भी राम रहीम को पैरोल मिली थी. इसके साथ ही राम रहीम को हरियाणा के आदमपुर विधानसभा उपचुनाव और पंचायत चुनाव के दौरान भी साल 2022 में फरलो मिली थी. इस वजह से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या गुरमीत राम रहीम को राजस्थान चुनाव की वजह से फरलो मिली? क्या पैरोल और फरलो के कोई चुनावी मायने हैं? क्या इसका चुनावी असर पड़ता है?

क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि गुरमीत राम रहीम पहली बार किसी चुनाव के नजदीक जेल से बाहर नहीं आया है. इससे पहले पंजाब और आदमपुर चुनाव के दौरान भी वह जेल से बाहर आया था. वे कहते हैं कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में उसके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं. राम रहीम खुद राजस्थान से है, जहां विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान होने हैं. ऐसे में राम रहीम का बाहर आना इस बात का संकेत है कि इसका राजनीतिक लाभ लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भले ही पंजाब में इसका बड़ा असर देखने को न मिला हो, लेकिन इसका लाभ वहां जरूर मिल सकता है जहां पर उम्मीदवारों का कड़ा मुकाबला हो रहा हो. जहां तक राजस्थान के चुनावों का सवाल है, वहां कांग्रेस और बीजेपी की कड़ी टक्कर है. ऐसे में राम रहीम अपने अनुयायियों को किसी के पक्ष में जाने का निर्देश देता है तो वहां इसका असर पड़ सकता है.

राम रहीम को फरलो, क्या है राजनीतिक मायने?: वहीं, राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि राम रहीम के इस क्षेत्र यानी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में लाखों अनुयायी हैं. वहीं, राम रहीम इससे पहले भी चुनावों के दौरान जेल से बाहर आ चुका है. इसके राजनीतिक मायने भी होते हैं. भले ही कोई खुले तौर पर न कहे, लेकिन राम रहीम अपने अनुयायियों को इंटरनल संदेश दे सकता है कि किस उम्मीदवार या दल को उन्हें वोट करना है. इसी वजह से कोई भी राजनीतिक दल हरियाणा में तो खासतौर पर उसकी फरलो या पैरोल का खुलकर विरोध नहीं करता है. क्योंकि राम रहीम के अनुयायी सभी दलों के लिए अहमियत रखते हैं.

क्या राजस्थान विधानसभा चुनाव में पड़ेगा असर?: वहीं, राजस्थान से राम रहीम का सीधा नाता है. ऐसे में दल विशेष इसका राजनीतिक लाभ भी उठाने की कोशिश कर सकता है. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि पिछले चुनावी ट्रेंड देखें तो उनके जेल से बाहर आने का किसी सीट पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है. पंजाब विधानसभा चुनावों के नतीजों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान जब राम रहीम जेल से बाहर आया था तो बीजेपी पर विपक्षी दलों का आरोप था कि वह इसका राजनीतिक लाभ लेना चाहती है. लेकिन, चुनावी नतीजे हम सबके सामने हैं.

क्या कहते हैं हरियाणा के परिवहन मंत्री?: वहीं, हरियाणा सरकार में परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा राम रहीम को फिर से फरलो मिलने पर कहते हैं कि बीजेपी ने राजस्थान चुनाव में फायदा उठाने के लिए राम रहीम को कोई फरलो नहीं दी है. बीजेपी कभी भी राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस तरह के काम नहीं करती है. बीजेपी सिर्फ जनहित में काम करती है और जनता इसको जानती है. राम रहीम को उसके चाल चलन और उसके व्यवहार के जानकारी लेकर ही नियम के हिसाब से फरलो मिली होगी.

अंशुल छत्रपति ने फरलो पर उठाए सवाल: पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने राम रहीम को बार-बार पैरोल दिए जाने पर सवाल खड़े किए हैं. अंशुल ने कहा है 'साध्वियों का बलात्कारी, रामचंद्र छत्रपति और रंजीत सिंह का कातिल गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर से सलाखों से बाहर आया है. राम रहीम को फरलो मिलना हमारी व्यवस्था पर सवाल उठता है और यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा है. अदालत चाहे कोई भी फैसला सुनाए लेकिन कोई ना कोई रास्ता निकाल कर राम रहीम जैसे अपराधी बाहर आ जाते हैं यह बेहद शर्मनाक है. बार-बार सरकारी तंत्र यह हवाला देता है कि नियमों के तहत पैरोल दी जा रही है. ऐसे बहुत से अपराधी हैं और कैदी हैं जो सलाखों के पीछे हैं और उनको एक दिन की भी पैरोल नहीं मिलती है.'

फरलो मिलने के बाद राम रहीम का अनुयायियों से संदेश: फरलो मिलने के बाद आश्रम राम रहीम ने उत्तर प्रदेश के बरनावा आश्रम से अनुयायियों से सोशल मीडिया के माध्यम से अपील की. 'आप सबको बहुत-बहुत आशीर्वाद. साईं मस्ताना जी महाराज का भंडारा आने वाला है. साईं मस्ताना जी महाराज का महीना चल रहा है आप सबको उसकी बहुत-बहुत बधाई. सतगुरु परमात्मा आप सबको खुशियां दे. आप सब तो खुश हो ही रहे हैं, लेकिन आप सबसे गुजारिश है कि आप यूपी मत आइएगा. जिम्मेदार सज्जन आपको जहां भी कहें वहीं रहें, उसी के अनुसार रहना है, उसी के अनुसार चलना है.'

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राम रहीम तीन साल में आठवीं बार जेल से बाहर आया: बता दें कि गुरमीत राम रहीम के अगस्त 2017 में जेल जाने के बाद पहली बार 2020 में जेल से बाहर आया था. तब से अब तक राम रहीम आठ बार जेल से बाहर आया है.

  1. पहली बार राम रहीम को उनकी माता के बीमार होने पर एक दिन की पैरोल 24 अक्टूबर, 2020 को मिली थी.
  2. दूसरी बार राम रहीम को उनकी माता के बीमार होने पर एक दिन की पैरोल 21 मई, 2021 को मिली थी.
  3. तीसरी बार राम रहीम को हरियाणा सरकार ने सात फरवरी 2022 को 21 दिन की पैरोल दी थी.
  4. चौथी बार राम रहीम को जून 2022 में एक महीने की पैरोल मिली थी.
  5. पांचवी बार अक्टूबर 2022 में राम रहीम को 40 दिन की पैरोल मिली थी.
  6. छठी बार 21 जनवरी 2023 को राम रहीम को डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती के मौके पर 40 दिन की पैरोल मिली थी.
  7. सातवीं बार राम रहीम को जुलाई 2023 को 30 दिन की पैरोल मिली थी.
  8. मंगलवार, 21 नवंबर को 8वीं बार राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली है.

ये भी पढ़ें: राम रहीम को फरलो मिलने का अंशुल छत्रपति ने किया विरोध, बोले- ये न्याय व्यवस्था से खिलवाड़

ये भी पढ़ें: सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम जेल से बाहर आया, 21 दिन की मिली है फरलो

चंडीगढ़: सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आया है. साध्वी यौन शोषण और हत्या के मामले में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को फिर से एक बार फरलो मिली है. इस बार गुरमीत राम रहीम 3 सप्ताह की फरलो पर जेल से बाहर आया है. फरलो अवधि के दौरान वह बागपत के बरनावा आश्रम में रहेगा. जेल जाने के बाद से गुरमीत राम रहीम को आठवीं बार जेल से बाहर आया है. राम रहीम की इस फरलो को राजस्थान विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि गुरमीत सिंह राम रहीम राजस्थान से ही ताल्लुक रखता है.

राम रहीम पैरोल और चुनाव: गुरमीत राम रहीम को अभी तक कई मौकों पर फरलो और पैरोल मिली है, जब कहीं चुनाव होते हैं. इनमें पंजाब और हिमाचल विधानसभा चुनाव भी एक है. उस दौरान भी राम रहीम को पैरोल मिली थी. इसके साथ ही राम रहीम को हरियाणा के आदमपुर विधानसभा उपचुनाव और पंचायत चुनाव के दौरान भी साल 2022 में फरलो मिली थी. इस वजह से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या गुरमीत राम रहीम को राजस्थान चुनाव की वजह से फरलो मिली? क्या पैरोल और फरलो के कोई चुनावी मायने हैं? क्या इसका चुनावी असर पड़ता है?

क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि गुरमीत राम रहीम पहली बार किसी चुनाव के नजदीक जेल से बाहर नहीं आया है. इससे पहले पंजाब और आदमपुर चुनाव के दौरान भी वह जेल से बाहर आया था. वे कहते हैं कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में उसके बड़ी संख्या में अनुयायी हैं. राम रहीम खुद राजस्थान से है, जहां विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान होने हैं. ऐसे में राम रहीम का बाहर आना इस बात का संकेत है कि इसका राजनीतिक लाभ लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भले ही पंजाब में इसका बड़ा असर देखने को न मिला हो, लेकिन इसका लाभ वहां जरूर मिल सकता है जहां पर उम्मीदवारों का कड़ा मुकाबला हो रहा हो. जहां तक राजस्थान के चुनावों का सवाल है, वहां कांग्रेस और बीजेपी की कड़ी टक्कर है. ऐसे में राम रहीम अपने अनुयायियों को किसी के पक्ष में जाने का निर्देश देता है तो वहां इसका असर पड़ सकता है.

राम रहीम को फरलो, क्या है राजनीतिक मायने?: वहीं, राजनीतिक मामलों के जानकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि राम रहीम के इस क्षेत्र यानी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में लाखों अनुयायी हैं. वहीं, राम रहीम इससे पहले भी चुनावों के दौरान जेल से बाहर आ चुका है. इसके राजनीतिक मायने भी होते हैं. भले ही कोई खुले तौर पर न कहे, लेकिन राम रहीम अपने अनुयायियों को इंटरनल संदेश दे सकता है कि किस उम्मीदवार या दल को उन्हें वोट करना है. इसी वजह से कोई भी राजनीतिक दल हरियाणा में तो खासतौर पर उसकी फरलो या पैरोल का खुलकर विरोध नहीं करता है. क्योंकि राम रहीम के अनुयायी सभी दलों के लिए अहमियत रखते हैं.

क्या राजस्थान विधानसभा चुनाव में पड़ेगा असर?: वहीं, राजस्थान से राम रहीम का सीधा नाता है. ऐसे में दल विशेष इसका राजनीतिक लाभ भी उठाने की कोशिश कर सकता है. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि पिछले चुनावी ट्रेंड देखें तो उनके जेल से बाहर आने का किसी सीट पर ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है. पंजाब विधानसभा चुनावों के नतीजों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस दौरान जब राम रहीम जेल से बाहर आया था तो बीजेपी पर विपक्षी दलों का आरोप था कि वह इसका राजनीतिक लाभ लेना चाहती है. लेकिन, चुनावी नतीजे हम सबके सामने हैं.

क्या कहते हैं हरियाणा के परिवहन मंत्री?: वहीं, हरियाणा सरकार में परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा राम रहीम को फिर से फरलो मिलने पर कहते हैं कि बीजेपी ने राजस्थान चुनाव में फायदा उठाने के लिए राम रहीम को कोई फरलो नहीं दी है. बीजेपी कभी भी राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस तरह के काम नहीं करती है. बीजेपी सिर्फ जनहित में काम करती है और जनता इसको जानती है. राम रहीम को उसके चाल चलन और उसके व्यवहार के जानकारी लेकर ही नियम के हिसाब से फरलो मिली होगी.

अंशुल छत्रपति ने फरलो पर उठाए सवाल: पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने राम रहीम को बार-बार पैरोल दिए जाने पर सवाल खड़े किए हैं. अंशुल ने कहा है 'साध्वियों का बलात्कारी, रामचंद्र छत्रपति और रंजीत सिंह का कातिल गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर से सलाखों से बाहर आया है. राम रहीम को फरलो मिलना हमारी व्यवस्था पर सवाल उठता है और यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. यह लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा है. अदालत चाहे कोई भी फैसला सुनाए लेकिन कोई ना कोई रास्ता निकाल कर राम रहीम जैसे अपराधी बाहर आ जाते हैं यह बेहद शर्मनाक है. बार-बार सरकारी तंत्र यह हवाला देता है कि नियमों के तहत पैरोल दी जा रही है. ऐसे बहुत से अपराधी हैं और कैदी हैं जो सलाखों के पीछे हैं और उनको एक दिन की भी पैरोल नहीं मिलती है.'

फरलो मिलने के बाद राम रहीम का अनुयायियों से संदेश: फरलो मिलने के बाद आश्रम राम रहीम ने उत्तर प्रदेश के बरनावा आश्रम से अनुयायियों से सोशल मीडिया के माध्यम से अपील की. 'आप सबको बहुत-बहुत आशीर्वाद. साईं मस्ताना जी महाराज का भंडारा आने वाला है. साईं मस्ताना जी महाराज का महीना चल रहा है आप सबको उसकी बहुत-बहुत बधाई. सतगुरु परमात्मा आप सबको खुशियां दे. आप सब तो खुश हो ही रहे हैं, लेकिन आप सबसे गुजारिश है कि आप यूपी मत आइएगा. जिम्मेदार सज्जन आपको जहां भी कहें वहीं रहें, उसी के अनुसार रहना है, उसी के अनुसार चलना है.'

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राम रहीम तीन साल में आठवीं बार जेल से बाहर आया: बता दें कि गुरमीत राम रहीम के अगस्त 2017 में जेल जाने के बाद पहली बार 2020 में जेल से बाहर आया था. तब से अब तक राम रहीम आठ बार जेल से बाहर आया है.

  1. पहली बार राम रहीम को उनकी माता के बीमार होने पर एक दिन की पैरोल 24 अक्टूबर, 2020 को मिली थी.
  2. दूसरी बार राम रहीम को उनकी माता के बीमार होने पर एक दिन की पैरोल 21 मई, 2021 को मिली थी.
  3. तीसरी बार राम रहीम को हरियाणा सरकार ने सात फरवरी 2022 को 21 दिन की पैरोल दी थी.
  4. चौथी बार राम रहीम को जून 2022 में एक महीने की पैरोल मिली थी.
  5. पांचवी बार अक्टूबर 2022 में राम रहीम को 40 दिन की पैरोल मिली थी.
  6. छठी बार 21 जनवरी 2023 को राम रहीम को डेरा प्रमुख शाह सतनाम की जयंती के मौके पर 40 दिन की पैरोल मिली थी.
  7. सातवीं बार राम रहीम को जुलाई 2023 को 30 दिन की पैरोल मिली थी.
  8. मंगलवार, 21 नवंबर को 8वीं बार राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली है.

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Last Updated : Nov 24, 2023, 11:07 AM IST
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