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चंडीगढ़: फैमिली कोर्ट के लिए हाईकोर्ट ने जारी किए नए आदेश, यहां पढ़ें पूरी खबर - फैमिली कोर्ट के लिए आदेश हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट

हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद मामलों में संपत्ति, आय आदि को लेकर हलफनामा सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया है. जिससे गुजारा भत्ता लेने के लिए पत्नियों को अनावश्यक बोझ से बचाया जा सके.

चंडीगढ़
हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट
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Published : Jan 14, 2020, 2:19 PM IST

चंडीगढ़: पत्नियों को पुरुषों की आय से जुड़े सबूत खोजने के बोझ से बचाने के लिए हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब एवं चंडीगढ़ की सभी फैमिली कोर्ट को एक आदेश दिया है. आदेश के मुताबिक, अदालतें वैवाहिक विवाद मामलों में संपत्ति, आय आदि को लेकर हलफनामा सुनिश्चित करें. हाईकोर्ट के जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल ने पारिवारिक विवाद का निपटारा करते हुए ये आदेश जारी किए हैं.

कोर्ट ने कहा कि अगर फैमिली कोर्ट इस तरह की प्रक्रिया शुरू करती हैं तो मामलों का जल्दी निपटारा होगा. साथ ही भरण पोषण की मांग करने की इच्छुक पत्नियों को अनावश्यक बोझ से बचाया जा सकेगा. कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि इस तरह के मामले में आय और संपति के दिए हुए हलफनामे की जांच भी होनी चाहिए. इसके लिए चाहे कोर्ट कमिश्नर भी नियुक्त किया जा सकता है.

अदालतों को दी विशेष छूट

हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि पत्नी को गुजारा भत्ता लेने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं. क्योंकि जीवन साथी की आय और संपति की जानकारी सही नही मिल पाती. इसी कारण इस तरह के मामलों के निपटारा करने में देरी हो जाती है. इसी के साथ हाईकोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि असाधारण मामलों में इस तरह की मांग नहीं की जा सकती.

अदालत को गुमराह करना होगा दंडात्मक

हाईकोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाने या अदालत को गुमराह करने का कोई भी जानबूझकर किया गया प्रयास, न केवल दंडात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करेगा, बल्कि अदालत को इस बात की पूरी छूट होगी कि वो इसके लिए जिम्मेदार पक्षकार के लिए खिलाफ आदेश जारी करे.

ये भी पढ़े- डा मल्टीपल प्लॉट्स आवंटन मामले में 30 नवंबर तक 2595 लोगों पर 2056 FIR, 1359 मामलों में जांच जारी

चंडीगढ़: पत्नियों को पुरुषों की आय से जुड़े सबूत खोजने के बोझ से बचाने के लिए हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब एवं चंडीगढ़ की सभी फैमिली कोर्ट को एक आदेश दिया है. आदेश के मुताबिक, अदालतें वैवाहिक विवाद मामलों में संपत्ति, आय आदि को लेकर हलफनामा सुनिश्चित करें. हाईकोर्ट के जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल ने पारिवारिक विवाद का निपटारा करते हुए ये आदेश जारी किए हैं.

कोर्ट ने कहा कि अगर फैमिली कोर्ट इस तरह की प्रक्रिया शुरू करती हैं तो मामलों का जल्दी निपटारा होगा. साथ ही भरण पोषण की मांग करने की इच्छुक पत्नियों को अनावश्यक बोझ से बचाया जा सकेगा. कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि इस तरह के मामले में आय और संपति के दिए हुए हलफनामे की जांच भी होनी चाहिए. इसके लिए चाहे कोर्ट कमिश्नर भी नियुक्त किया जा सकता है.

अदालतों को दी विशेष छूट

हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि पत्नी को गुजारा भत्ता लेने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं. क्योंकि जीवन साथी की आय और संपति की जानकारी सही नही मिल पाती. इसी कारण इस तरह के मामलों के निपटारा करने में देरी हो जाती है. इसी के साथ हाईकोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि असाधारण मामलों में इस तरह की मांग नहीं की जा सकती.

अदालत को गुमराह करना होगा दंडात्मक

हाईकोर्ट ने ये स्पष्ट किया है कि महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाने या अदालत को गुमराह करने का कोई भी जानबूझकर किया गया प्रयास, न केवल दंडात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करेगा, बल्कि अदालत को इस बात की पूरी छूट होगी कि वो इसके लिए जिम्मेदार पक्षकार के लिए खिलाफ आदेश जारी करे.

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पत्नियों को पुरुषों की आय से जुड़े सबूत खोजने के बोझ से बचाने के लिए हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब एवं चंडीगढ़ की सभी फैमिली कोर्ट को एक आदेश दिया है। आदेश के मुताबिक, अदालतें वैवाहिक विवाद मामलों में संपत्ति, आय आदि को लेकर हलफनामा सुनिश्चित करें। हाईकोर्ट के जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल ने पारिवारिक विवाद का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर फैमिली कोर्ट इस तरह की प्रक्रिया शुरू करती हैं तो मामलों का जल्दी निपटारा होगा और भरण पोषण की मांग करने की इच्छुक पत्नियों को अनावश्यक बोझ से बचाया जा सकेगा। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि इस तरह के मामले में आय व संपति के दिए हुए हलफनामें की जांच भी होनी चाहिये। इसके लिए चाहे कोर्ट कमिश्नर भी नियुक्त किया जा सकता है।



अदालतों को दी विशेष छूट



हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि पत्नी को गुजारा भत्ता लेने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ता है। क्योंकि जीवन साथी की आय व संपति की जानकारी सही नही मिल पाती। इसी कारण इस तरह के मामलों के निपटारा करने में देरी हो जाती है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि असाधारण मामलों में इस तरह की मांग नही की जा सकती।



हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाने या अदालत को गुमराह करने का कोई भी जानबूझकर किया गया प्रयास, न केवल दंडात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करेगा, बल्कि अदालत को इस बात की पूरी छूट होगी कि वह इसके लिए जिम्मेदार पक्षकार के लिए खिलाफ आदेश जारी करे।


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