चंडीगढ़: पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट में जल्द ही बदलाव हो सकता है और ग्रेजुएट कांस्टीट्यूएंसी के सदस्यों की संख्या 15 से घटकर 4 हो सकती है. जबकि नामांकित सदस्यों की संख्या 36 से घटकर 18 हो सकती है. जिसमें से 9 सदस्य चांसलर पंजाब सरकार से चर्चा के बाद तय करेंगे और ग्रेजुएट कांस्टीट्यूएंसी में जो 4 मेंबर चुने जाएंगे उनका चुनाव होगा. इनकी नियुक्ति चांसलर की तरफ से नहीं की जाएगी.
पंजाब सरकार की तरफ से पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट में बदलाव को लेकर गठित की गई कमेटी को एक पत्र भेजा गया है जिसमें ये सिफारिश की गई है. इस पत्र में ये सिफारिश भी की गई है कि यूनिवर्सिटी का चांसलर उपराष्ट्रपति की जगह पंजाब के राज्यपाल को बनाया जाए. इन सिफारिशों की यूनिवर्सिटी की सीनेट में चर्चा करने के लिए कहा है. इन सिफारिशों की कमेटी की मीटिंग में चर्चा होगी.
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हालांकि फैकल्टी में इस बात को लेकर भी चिंता है कि अगर केंद्र सरकार इसको पूरी तरह स्टेट यूनिवर्सिटी घोषित कर देती है तो उनको मिलने वाली ग्रांट का क्या होगा. हालांकि कुछ टीचरों का मानना है कि यूटी में होने के कारण उनको चंडीगढ़ प्रशासन से मदद पहले की भांति मिलती रहेगी.
यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन के जरिए करीब डेढ़ दशक पहले ही ग्रांट मिलनी शुरू हुई है, उससे पहले सरकारी कॉलेजों की तरह पंजाब यूनिवर्सिटी को भी ग्रांट प्रशासन के जरिए ही मिलती थी. नॉन टीचिंग स्टाफ कभी भी इस यूनिवर्सिटी को पंजाब से अलग करने पर राजी नहीं था क्योंकि पंजाब में उनको ज्यादा बेनिफिट मिलते हैं.
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पंजाब की ये सिफारिशें केंद्र सरकार और पंजाब के बीच चल रही तनातनी को और बढ़ा सकती हैं. डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर के तौर पर प्रोफेसर इमैनुअल नाहर की नियुक्ति के समय से दोनों पक्षों के बीच तनाव हुआ था. उस समय केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश धमकी देकर गए थे कि इस सिस्टम को ही खत्म कर दिया जाएगा.
नई सीनेट के इलेक्शन लगातार टाले जा रहे हैं और अभी तक जबकि नई एजुकेशन पॉलिसी को कई राज्यों ने नहीं अपनाया और न ही इसके तहत UGC को खत्म किया गया है. उससे पहले ही पंजाब यूनिवर्सिटी में नए एक्ट के तहत रिफॉर्म के नाम पर कमेटी का गठन कर दिया गया. हरियाणा भी इस पर आपत्ति कर सकता है यदि पंजाब के गवर्नर को यहां का चांसलर नियुक्त कर दिया जाएगा तो.
ये बोले चांसलर के नॉमिनी और पुटा सेक्रेटरी
चांसलर के नॉमिनी सत्यपाल जैन के मुताबिक सरकार को सिफरिशें गई हैं लेकिन अभी कोविड के कारण मीटिंग नहीं हो पा रही है. अगली मीटिंग में इस पर विचार किया जाएगा और मेंबर के तौर पर फिलहाल मेरा टिप्पणी करना संभव नहीं है.
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वहीं इस बारे में पुटा सेक्रेटरी अमरजीत सिंह नोरा का कहना है कि हम पहले भी इस बारे में लिख चुके हैं कि इस कमेटी का गठन ही गैरकानूनी है. जब तक PU के एक्ट में बदलाव नहीं होता उस समय तक ये सिर्फ खानापूर्ति है. हम पंजाब सरकार के चांसलर की नियुक्ति वाले मसले या नॉमिनेशन में राय पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.