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रेप पीड़िता से कोर्ट में ना पूछे जाएं आपत्तिजनक सवाल-HC - रेप पीड़ित आपत्तिजनक सवाल हाईकोर्ट टिप्पणी

यौन शोषण के एक मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कोर्ट में रेप पीड़िता से आपत्तिजनक सवाल ना पूछे जाएं. अगर बचाव पक्ष ऐसा करता है तो ट्रायल कोर्ट मूकदर्शक ना बना रहे.

punjab and haryana highcourt said not to ask objectionable questions to rape victim in court
रेप पीड़िता से कोर्ट में ना पूछे जाएं आपत्तिजनक सवाल-HC
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Published : Aug 21, 2020, 3:08 PM IST

चंडीगढ़: साल 2006 के चर्चित जम्मू कश्मीर सेक्स स्कैंडल मामले में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सजा के खिलाफ दोषियों की अपील पर अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ की विशेष अदालत के उस फैसले को बरकार रखने के आदेश दिए हैं, जिसमें चार दोषियों जम्मू कश्मीर पुलिस में डीएसपी रहे मोहम्मद अशरफ मीर, शब्बीर अहमद लावे, शब्बीर अहमद लंगू और मसूद अहमद उर्फ मकसूद को 10 साल की सजा सुनाई गई थी.

वहीं मामले में आरोपी बीएसएफ के पूर्व डीआईजी एके पाणी को संदेह का लाभ देते हुए हाई कोर्ट ने दोषमुक्त करने के आदेश दिए. जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने 140 पेजों के फैसले में कहा कि सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट में दुष्कर्म पीड़िता से बचाव पक्ष के वकील ने बेहद आपत्तिजनक सवाल किए.

रेप पीड़िता से कोर्ट में ना पूछे जाएं आपत्तिजनक सवाल-HC

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक भी बचाव पक्ष दुष्कर्म पीड़िता से बार-बार उस घटना की विस्तृत जानकारी नहीं ले सकता. बावजूद इसके कोर्ट में आपत्तिजनक सवाल उठाए गए. जस्टिस सांगवान ने फैसले में कहा चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की सभी जिला अदालतें ये सुनिश्चित करें कि दुष्कर्म पीड़िता से इस तरह के आपत्तिजनक सवाल सुनवाई के दौरान न किए जाएं. बचाव पक्ष अगर इस तरह के सवाल कोर्ट में करता है तो जज मूकदर्शक बनकर ना रहे और मामले में दखल दे.

सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल में अपील पर फैसला करने को कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 22 अप्रैल 2019 को 1 साल में सजा के खिलाफ अपील पर हाईकोर्ट को फैसला लेने का आदेश दिया था. इसके लिए 31 मार्च 2020 तक का समय दिया गया था.

ये भी पढ़िए: भिवानी: देवसर गांव के कई क्षेत्र होंगे कंटेनमेंट जोन में तब्दील, दिशा-निर्देश जारी

इस मामले में पीड़िता के साथ 3 साल तक दुष्कर्म किया गया था. तब जम्मू कश्मीर के दो मंत्रियों और कई एमएलए के नाम भी सामने आए थे, जिस कारण सुप्रीम कोर्ट ने केस को सीबीआई को ट्रांसफर किया था. बाद में केस को चंडीगढ़ ट्रांसफर किया गया.

क्या है मामला?

बता दें कि श्री नगर के पूर्व सियार मोहल्ले के रहने वाले बशीर अहमद को एक बच्चे के फोन में आपत्तिजनक वीडियो मिली थी. इस वीडियो में उन्हीं के मोहल्ले के रहने वाली एक लड़की थी. उन्होंने इस वीडियो को समाज सुधार कमेटी को दिया था. इसके बाद उसकी सीडी बना कर पुलिस को शिकायत दी गई. पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि एक महिला अपने घर पर देह व्यापार चल आ रही है और वहीं इस लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ.

चंडीगढ़: साल 2006 के चर्चित जम्मू कश्मीर सेक्स स्कैंडल मामले में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सजा के खिलाफ दोषियों की अपील पर अपना फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ की विशेष अदालत के उस फैसले को बरकार रखने के आदेश दिए हैं, जिसमें चार दोषियों जम्मू कश्मीर पुलिस में डीएसपी रहे मोहम्मद अशरफ मीर, शब्बीर अहमद लावे, शब्बीर अहमद लंगू और मसूद अहमद उर्फ मकसूद को 10 साल की सजा सुनाई गई थी.

वहीं मामले में आरोपी बीएसएफ के पूर्व डीआईजी एके पाणी को संदेह का लाभ देते हुए हाई कोर्ट ने दोषमुक्त करने के आदेश दिए. जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने 140 पेजों के फैसले में कहा कि सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट में दुष्कर्म पीड़िता से बचाव पक्ष के वकील ने बेहद आपत्तिजनक सवाल किए.

रेप पीड़िता से कोर्ट में ना पूछे जाएं आपत्तिजनक सवाल-HC

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक भी बचाव पक्ष दुष्कर्म पीड़िता से बार-बार उस घटना की विस्तृत जानकारी नहीं ले सकता. बावजूद इसके कोर्ट में आपत्तिजनक सवाल उठाए गए. जस्टिस सांगवान ने फैसले में कहा चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की सभी जिला अदालतें ये सुनिश्चित करें कि दुष्कर्म पीड़िता से इस तरह के आपत्तिजनक सवाल सुनवाई के दौरान न किए जाएं. बचाव पक्ष अगर इस तरह के सवाल कोर्ट में करता है तो जज मूकदर्शक बनकर ना रहे और मामले में दखल दे.

सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल में अपील पर फैसला करने को कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 22 अप्रैल 2019 को 1 साल में सजा के खिलाफ अपील पर हाईकोर्ट को फैसला लेने का आदेश दिया था. इसके लिए 31 मार्च 2020 तक का समय दिया गया था.

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इस मामले में पीड़िता के साथ 3 साल तक दुष्कर्म किया गया था. तब जम्मू कश्मीर के दो मंत्रियों और कई एमएलए के नाम भी सामने आए थे, जिस कारण सुप्रीम कोर्ट ने केस को सीबीआई को ट्रांसफर किया था. बाद में केस को चंडीगढ़ ट्रांसफर किया गया.

क्या है मामला?

बता दें कि श्री नगर के पूर्व सियार मोहल्ले के रहने वाले बशीर अहमद को एक बच्चे के फोन में आपत्तिजनक वीडियो मिली थी. इस वीडियो में उन्हीं के मोहल्ले के रहने वाली एक लड़की थी. उन्होंने इस वीडियो को समाज सुधार कमेटी को दिया था. इसके बाद उसकी सीडी बना कर पुलिस को शिकायत दी गई. पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि एक महिला अपने घर पर देह व्यापार चल आ रही है और वहीं इस लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ.

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