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खेल कोटे के तहत ग्रेड डी पर लगे 12 कर्मचारियों की नौकरी पर लटकी तलवार

हाई कोर्ट द्वारा 1993 की खेल ग्रेडेशन पालिसी के तहत जारी सर्टिफिकेट (Certificate) को अमान्य करार देने के बाद स्पोर्ट्स कोटे से ग्रुप डी में लगे करीब एक हजार कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.

punjab and haryana high court disqualified 1993 sports policy
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट
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Published : Oct 14, 2020, 1:11 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ओर से 25 अगस्त 2018 को विज्ञापन के जरिए खेल कोटे के तहत ग्रेड डी क्लर्को के पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे. सरकार ने वर्ष 1993 में जारी हुई कजेल पॉलिसी को संशोधित करते हुए मई 2018 में खेल नीति बनाई थी, जिसे 15 अक्टूबर 2018 को नोटिफाई किया गया था.

विज्ञापित पदों के लिए स्पोर्ट्स ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट में खेल नीति के तहत प्रमाणित नहीं किया गया था, लेकिन कई आवेदकों को ये कहकर नियुक्त नहीं किया गया कि वो मई 2018 वाली खेल नीति के तहत योग्य है. इस पर 99 उम्मीदवारों ने सरकार के निर्णय के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिनमें से कइयों में सिंगल बेंच ने फैसले सुनाए. जिसे डिविजन बेंच में चुनौती दी गई थी.

जस्टिस दया चौधरी पर आधारित खंडपीठ ने सभी मामलों का निपटारा करते हुए खेल नीति के नोटिफिकेशन से पहले अप्लाई करने वाले उम्मीदवारों के लिए वर्ष 1993 वाली खेल नीति को आधार मानते हुए उनकी उम्मीदवारी सुनिश्चित करने को कहा है. जिन्होंने खेलों में नई खेल नीति बन जाने के बाद परफॉर्म किया था. उन पर खेल नीति लागू रहेगी.

ये भी पढे़ं:-बरोदा उपचुनाव के लिए 15 अक्टूबर को इनेलो का उम्मीदवार करेगा नामांकन- अभय चौटाला

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की ओर से 25 अगस्त 2018 को विज्ञापन के जरिए खेल कोटे के तहत ग्रेड डी क्लर्को के पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे. सरकार ने वर्ष 1993 में जारी हुई कजेल पॉलिसी को संशोधित करते हुए मई 2018 में खेल नीति बनाई थी, जिसे 15 अक्टूबर 2018 को नोटिफाई किया गया था.

विज्ञापित पदों के लिए स्पोर्ट्स ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट में खेल नीति के तहत प्रमाणित नहीं किया गया था, लेकिन कई आवेदकों को ये कहकर नियुक्त नहीं किया गया कि वो मई 2018 वाली खेल नीति के तहत योग्य है. इस पर 99 उम्मीदवारों ने सरकार के निर्णय के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिनमें से कइयों में सिंगल बेंच ने फैसले सुनाए. जिसे डिविजन बेंच में चुनौती दी गई थी.

जस्टिस दया चौधरी पर आधारित खंडपीठ ने सभी मामलों का निपटारा करते हुए खेल नीति के नोटिफिकेशन से पहले अप्लाई करने वाले उम्मीदवारों के लिए वर्ष 1993 वाली खेल नीति को आधार मानते हुए उनकी उम्मीदवारी सुनिश्चित करने को कहा है. जिन्होंने खेलों में नई खेल नीति बन जाने के बाद परफॉर्म किया था. उन पर खेल नीति लागू रहेगी.

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