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डेरा प्रमुख को फरलो देने पर हाईकोर्ट का फैसला, राम रहीम हार्डकोर क्रिमिनल नहीं- HC

Ram Rahim furlough case: पंजाब चुनाव से पहले डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो देने के मामले में दायर याचिका पर गुरुवार को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला आ गया है. जिसमें हाईकोर्ट ने राम रहीम को हार्डकोर क्रिमिनल नहीं बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.

High Court decision on Ram Rahim furlough case
High Court decision on Ram Rahim furlough case
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Published : Apr 7, 2022, 9:42 PM IST

चंडीगढ़: डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो देने के मामले मे दायर याचिका पर गुरुवार को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला आ (High Court decision on Ram Rahim furlough case) गया है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि डेरामुखी पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है और वह सीधे तौर पर हत्यारा नहीं है. ऐसे में राम रहीम को हार्डकोर अपराधी नहीं कहा जा सकता है.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी बताया कि यदि कोई हार्डकोर अपराधी हो भी तो उसे 5 वर्ष की सजा पूरी होने के बाद फरलो का अधिकार है. साथ ही पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court Chandigarh) ने डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख राम रहीम को हरियाणा सरकार द्वारा पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले दी गई फरलो को चुनौती देने वाली याचिका को रद्द कर दिया है. साथ ही डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को हार्डकोर अपराधी नहीं मानते हुए फरलो दिये जाने को सही माना है.

राम रहीम की फरलो के खिलाफ किसने लगाई याचिका? पंजाब में समाना निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा चुनाव में 56 साल के निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सोहाली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दलील दी गई कि डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो ऐसे समय में दी गई है, जब पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. याचिका में दलील दी गई कि इससे पंजाब में शांति भंग होने का भय है. याचिका के अनुसार डेरा पंजाब के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव का दावा कर करता रहा है, डेरा प्रमुख की रिहाई से राज्य के विधानसभा चुनावों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- Ram Rahim furlough case: पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, जानें पूरा मामला

याचिकाकर्ता पंजाब के पटियाला जिले के गांव भादसों का रहने वाला है. याचिकाकर्ता के मुताबिक आठ फरवरी को उसने फरलो रद्द करने के लिए हरियाणा सरकार को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिकाकर्ता के मुताबिक, डेरा प्रमुख विधानसभा चुनाव में अपनी अवैधता को धरातल पर अंजाम दे सकता है, क्योंकि उसके कई सहयोगी गलत काम करने वाले फरार हैं. याचिका में कहा गया है कि डेरा प्रमुख ने घोर नापाक और कुख्यात कृत्यों की श्रृंखला को अंजाम दिया है. ऐसे में उन्हें पंजाब विधानसभा चुनावों के मद्देनजर फरवरी के महीने में फरलो पर रिहा किया गया है. इस स्तर पर उसकी रिहाई पंजाब के लिए निर्धारित निष्पक्ष विधानसभा चुनाव की भावना के खिलाफ है.

क्या है पूरा मामला- डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल में लाया गया था. पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया. 28 अगस्त को जेल परिसर में ही सीबीआई की विशेष कोर्ट लगी. सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई थी. वहीं साल 2019 के जनवरी महीने में सीबीआई की विशेष अदालत ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अक्टूबर 2021 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में भी राम रहीम को उम्रकैद की सजा हुई थी.

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चंडीगढ़: डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो देने के मामले मे दायर याचिका पर गुरुवार को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला आ (High Court decision on Ram Rahim furlough case) गया है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि डेरामुखी पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है और वह सीधे तौर पर हत्यारा नहीं है. ऐसे में राम रहीम को हार्डकोर अपराधी नहीं कहा जा सकता है.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी बताया कि यदि कोई हार्डकोर अपराधी हो भी तो उसे 5 वर्ष की सजा पूरी होने के बाद फरलो का अधिकार है. साथ ही पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court Chandigarh) ने डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख राम रहीम को हरियाणा सरकार द्वारा पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले दी गई फरलो को चुनौती देने वाली याचिका को रद्द कर दिया है. साथ ही डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को हार्डकोर अपराधी नहीं मानते हुए फरलो दिये जाने को सही माना है.

राम रहीम की फरलो के खिलाफ किसने लगाई याचिका? पंजाब में समाना निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा चुनाव में 56 साल के निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सोहाली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दलील दी गई कि डेरा प्रमुख राम रहीम को फरलो ऐसे समय में दी गई है, जब पंजाब में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. याचिका में दलील दी गई कि इससे पंजाब में शांति भंग होने का भय है. याचिका के अनुसार डेरा पंजाब के कुछ क्षेत्रों में प्रभाव का दावा कर करता रहा है, डेरा प्रमुख की रिहाई से राज्य के विधानसभा चुनावों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- Ram Rahim furlough case: पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, जानें पूरा मामला

याचिकाकर्ता पंजाब के पटियाला जिले के गांव भादसों का रहने वाला है. याचिकाकर्ता के मुताबिक आठ फरवरी को उसने फरलो रद्द करने के लिए हरियाणा सरकार को ज्ञापन सौंपा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिकाकर्ता के मुताबिक, डेरा प्रमुख विधानसभा चुनाव में अपनी अवैधता को धरातल पर अंजाम दे सकता है, क्योंकि उसके कई सहयोगी गलत काम करने वाले फरार हैं. याचिका में कहा गया है कि डेरा प्रमुख ने घोर नापाक और कुख्यात कृत्यों की श्रृंखला को अंजाम दिया है. ऐसे में उन्हें पंजाब विधानसभा चुनावों के मद्देनजर फरवरी के महीने में फरलो पर रिहा किया गया है. इस स्तर पर उसकी रिहाई पंजाब के लिए निर्धारित निष्पक्ष विधानसभा चुनाव की भावना के खिलाफ है.

क्या है पूरा मामला- डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को रोहतक की सुनारिया जेल में लाया गया था. पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में पेशी के दौरान व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इसके बाद हेलीकॉप्टर के जरिए उसे सुनारिया जेल लाया गया. 28 अगस्त को जेल परिसर में ही सीबीआई की विशेष कोर्ट लगी. सीबीआई जज जगदीप सिंह ने राम रहीम को दो साध्वियों से यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा सुनाई थी. वहीं साल 2019 के जनवरी महीने में सीबीआई की विशेष अदालत ने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अक्टूबर 2021 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रणजीत सिंह हत्याकांड में भी राम रहीम को उम्रकैद की सजा हुई थी.

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