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सोनीपत अपहरण केस के आरोपियों को बड़ी राहत, HC ने किया दोषमुक्त - सोनीपत अपहण आरोपी दोषमुक्त

सोनीपत के एक किडनैपिंक केस के आरोपियों को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए आरोप मुक्त कर दिया है. इसी के साथ हाई कोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को भी खारिज कर दिया.

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सोनीपत अपहरण केस के आरोपियों को बड़ी राहत
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Published : Feb 23, 2021, 7:41 PM IST

चंडीगढ़: सोनीपत में साल 2001 में लड़की के अपहरण मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है. जस्टिस फतेह दीप सिंह ने कहा कि पुलिस ने इस केस को मजबूत करने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ कर झूठी कहानी गढ़ी. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भी बचाव पक्ष की दलीलों पर आंखें बंद कर दोनों आरोपियों दलबीर और विशन को 11 अगस्त 2004 को दो-दो साल की सजा सुना दी.

जस्टिस ने कहा कि पीड़िता ने माना है कि उनके पिता सीबीआई में कार्यरत है. इसका नतीजा ये रहा कि कोर्ट ने पुलिस के सबूतों पर भरोसा जताया. केस दर्ज करने में देरी हु,ई लेकिन इस पर कोई गौर नहीं किया गया. यही नहीं सोनीपत के सिविल अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट में लड़की को किसी चोट के निशान नहीं बताए गए, लेकिन प्राइवेट डॉक्टर की रिपोर्ट में गंभीर चोट के निशान बताएं गए. पुलिस ने ये सब अपने केस को मजबूत करने के लिए कहा.

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हाई कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में कहा कि लड़की की मर्यादा को भंग नहीं किया गया. अगर ये सही है तो फिर फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री की रिपोर्ट में लड़की के अंडरगारमेंट्स परसीमन की पुष्टि कैसे कर दी गई. इससे पता चलता है कि अभियोजन पक्ष की कहानी सही नहीं है. लड़की का बर्थ सर्टिफिकेट भी एक प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल की तरफ से जारी किया गया है. जिस वजह से कोर्ट दोनों आरोपियों को आरोपों से मुक्त करता है.

चंडीगढ़: सोनीपत में साल 2001 में लड़की के अपहरण मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है. जस्टिस फतेह दीप सिंह ने कहा कि पुलिस ने इस केस को मजबूत करने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ कर झूठी कहानी गढ़ी. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भी बचाव पक्ष की दलीलों पर आंखें बंद कर दोनों आरोपियों दलबीर और विशन को 11 अगस्त 2004 को दो-दो साल की सजा सुना दी.

जस्टिस ने कहा कि पीड़िता ने माना है कि उनके पिता सीबीआई में कार्यरत है. इसका नतीजा ये रहा कि कोर्ट ने पुलिस के सबूतों पर भरोसा जताया. केस दर्ज करने में देरी हु,ई लेकिन इस पर कोई गौर नहीं किया गया. यही नहीं सोनीपत के सिविल अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट में लड़की को किसी चोट के निशान नहीं बताए गए, लेकिन प्राइवेट डॉक्टर की रिपोर्ट में गंभीर चोट के निशान बताएं गए. पुलिस ने ये सब अपने केस को मजबूत करने के लिए कहा.

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हाई कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में कहा कि लड़की की मर्यादा को भंग नहीं किया गया. अगर ये सही है तो फिर फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री की रिपोर्ट में लड़की के अंडरगारमेंट्स परसीमन की पुष्टि कैसे कर दी गई. इससे पता चलता है कि अभियोजन पक्ष की कहानी सही नहीं है. लड़की का बर्थ सर्टिफिकेट भी एक प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल की तरफ से जारी किया गया है. जिस वजह से कोर्ट दोनों आरोपियों को आरोपों से मुक्त करता है.

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