चंडीगढ़: चंडीगढ़ पर अधिकार को लेकर हरियाणा और पंजाब सरकारें आमने-सामने (Chandigarh Issue) हैं. पंजाब विधानसभा में इस बारे में प्रस्ताव पारित होने के बाद हरियाणा सरकार की ओर से भी एक विशेष सत्र बुलाया गया. जिसमें चंडीगढ़ को लेकर प्रस्ताव पास कर दिया गया, लेकिन अब चंडीगढ़ नगर निगम भी इस लड़ाई में कूद चुका है. चंडीगढ़ नगर निगम का कहना है कि दोनों प्रदेश आपस में चंडीगढ़ पर अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन चंडीगढ़ के लोगों से किसी ने राय लेना जरूरी नहीं समझा कि आखिर वह क्या चाहते हैं ?
इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए चंडीगढ़ की मेयर सरबजीत कौर ने कहा कि (Sarbjeet Kaur on Chandigarh Issue) हमने भी इस बारे में सदन में एक बैठक बुलाई थी. जिसमें चंडीगढ़ के सभी 35 पार्षदों ने हिस्सा लिया. भाजपा के पार्षद पहले से ही इस मुद्दे पर साफ थे कि वह इस मामले पर न तो पंजाब सरकार का समर्थन करेंगे और न ही हरियाणा सरकार का. क्योंकि चंडीगढ के लोग चाहते हैं कि चंडीगढ़ यूटी ही रहे (proposal for Chandigarh to remain UT) और इस पर किसी भी राज्य का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए.
चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक (Chandigarh Municipal Corporation meeting) में कांग्रेस और आप के कार्यकर्ताओं ने इस बारे में अपने विचार रखने की बजायमीटिंग को उलझाने की कोशिश की और जानबूझकर पानी का मुद्दा उठाया. ताकि सदन में समय बर्बाद किया जा सके और चंडीगढ़ के मुद्दे पर चर्चा ना हो सके. मेयर सरबजीत कौर ने कहा कि पानी का मुद्दा बेवजह उठाया गया, क्योंकि इस मुद्दे पर भी सब की सहमति के बाद ही पानी के रेट बढ़ाए गए थे. फिर भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने इस मुद्दे को उठाया.
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मेयर ने कहा कि आम आदमी पार्टी के पार्षद पहली बार सदन में आए हैं और चंडीगढ़ की जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है. इसलिए उनकी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह भी चंडीगढ़ के हक की आवाज को उठाएं, लेकिन इसकी जगह उन्होंने इस बात को उलझाने की कोशिश की. क्योंकि शायद उनमें पंजाब सरकार के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं है. इसीलिए वे चंडीगढ़ के लोगों की आवाज दबाने में लगे हुए हैं. इसके अलावा सरबजीत कौर ने कहा कि सदन की बैठक में एक और प्रस्ताव पास किया गया है कि चंडीगढ़ यूटी तो रहे साथ ही साथ इसे विधानसभा में बदल दिया जाए.
इसके अलावा मेयर सरबजीत कौर ने बताया कि चंडीगढ़ में डेपुटेशन को भी खत्म किया जाए. क्योंकि अब चंडीगढ़ में भी पढ़े लिखे लोग रहते हैं जो यहां के सरकारी पदों पर काबिज हो सकते हैं और चंडीगढ़ को बेहतर तरीके से चला सकते हैं. चंडीगढ़ को दूसरे राज्यों से आए कर्मचारियों और अधिकारियों की जरूरत नहीं है. इसलिए यहां पर डेपुटेशन सिस्टम भी खत्म होना चाहिए.
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