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कैसी हो हरियाणा की एजुकेशन पॉलिसी? जानें छात्रों की उम्मीदें और एक्सपर्ट की राय

बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की हरियाणा सरकार शुक्रवार को बजट पेश करने जा रही है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने छात्रों से जानने की कोशिश की कि उन्हें इस बार बजट से क्या उम्मीदें हैं, और एक्सपर्ट से जाना कि शिक्षा के क्षेत्र में और क्या बेहतर हो सकता है, विस्तार से रिपोर्ट पढ़ें-

haryana education policy
हरियाणा बजट में एजुकेशन पॉलिसी
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Published : Feb 27, 2020, 11:19 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 7:48 AM IST

चंडीगढ़/नूंह: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास वित्त मंत्रालय का विभाग होने के नाते वो पहली बार बजट पेश करेंगे. बजट से पहले सीएम खट्टर ने कहा कि ये बजट जनता का बजट होगा, लेकिन जनता को हरियाणा के विकास से लेना देना है. हर वर्ग अपने उत्थान की चिंता है और उसके लिए इस बार उन्हें एक बेहतर बजट की उम्मीद है.

हरियाणा सरकार का दावा है कि वो प्रदेश में हर मामले में किसान, खिलाड़ी और शिक्षा को प्राथमिकता दे रही है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने छात्रों और शिक्षकों से जानने की कोशिश की कि आखिर उन्हें राज्य सरकार से इस बार बजट में क्या उम्मीदें हैं.

कैसी हो हरियाणा की एजुकेशन पॉलिसी? जानें छात्रों की उम्मीदें और एक्सपर्ट की राय

छात्रों की हैं विशेष मांगे

प्रदेश के छात्रों का कहना है कि नूंह में पढ़ाई के लिए सरकार द्वारा हर सब्जेक्ट के लिए शिक्षकों को भर्ती किया जाए. इसके साथ-साथ कॉलेजों में भी कुछ क्लासेस होती और कुछ शिक्षकों की कमी के चलते नहीं पाती. जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनकी मांग है कि सरकार इस बजट में छात्रों के लिए नई शिक्षा निति लेकर आए.

स्कूलों में है संसाधनों की कमी

सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में संसाधनों की भी कमी है. यहां स्कूल में मिड डे मील, स्कूल की बिल्डिंग और खेलने के लिए कोई ग्राउंड भी नहीं है. इसलिए हमारी मांग है कि सबसे पहले भवन निर्माण करवाया जाए और जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाया जाए. ताकि बच्चों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ ना हो सके. इसके साथ ही नूंह में बच्चियों के लिए अलग से स्कूल खोलने की भी मांग उठी है.

हालांकि हरियाणा सरकार लगातार शिक्षा के क्षेत्र में बजट की बढ़ोत्तरी कर रही है. प्रदेश सरकार की तरफ से 2019-20 में मौलिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए कुल 12,307.46 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव पास किया गया, जो बजट 2018-19 के 11,256 करोड़ रुपये पर 9.3 प्रतिषत की वृद्धि दर्शाता है. उच्च शिक्षा के लिए 2,076.68 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया, जो कि साल 2018-19 के 1,721.57‬ करोड़ रुपये पर 17.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शा रहा था. 2019-20 में तकनीकी शिक्षा विभाग के लिए 512.72 करोड़ रुपये का बजट रखा गया, जोकि संशोधित अनुमान 2018-19 के 465.70 करोड़ रुपये पर 10.1 प्रतिशत की वृद्धी दर्शाता है.

एक्स्पर्ट की सलाह

वित्त मामलों के जानकार डॉ. सुच्चा सिंह गिल का कहना है कि आर्थिक तौर पर मजबूत होने के बावजूद भी देश के सबसे पिछड़े हुए नूंह जैसे जिले हरियाणा में आते हैं. उनका कहना है कि खासकर हरियाणा के पश्चिमी जिलों में आज भी स्वास्थ्य रोजगार शिक्षा जैसी सुविधाएं बेहतर नहीं हो पाई है. सरकार को विकसित जिलों के साथ-साथ इन पिछड़े जिलों में भी आवश्यक योजनाएं चलानी चाहिए ताकि इन जिलों का भी विकास किया जा सके.

फिलहाल हरियाणा के छात्रों के साथ-साथ हर वर्ग बीजेपी और जेजेपी गठबंधन के इस पहले बजट से उम्मीदें लगाए बैठा है. अब देखना होगा कि इस बार सरकार इस उम्मीद भरे चेहरों पर मुस्कुराहट ला पाती है या फिर इन्हें इस बार भी सब्र करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- कैसे तैयार होता है राज्य का बजट? आसान भाषा में समझिए बजट मास्टर से

चंडीगढ़/नूंह: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पास वित्त मंत्रालय का विभाग होने के नाते वो पहली बार बजट पेश करेंगे. बजट से पहले सीएम खट्टर ने कहा कि ये बजट जनता का बजट होगा, लेकिन जनता को हरियाणा के विकास से लेना देना है. हर वर्ग अपने उत्थान की चिंता है और उसके लिए इस बार उन्हें एक बेहतर बजट की उम्मीद है.

हरियाणा सरकार का दावा है कि वो प्रदेश में हर मामले में किसान, खिलाड़ी और शिक्षा को प्राथमिकता दे रही है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने छात्रों और शिक्षकों से जानने की कोशिश की कि आखिर उन्हें राज्य सरकार से इस बार बजट में क्या उम्मीदें हैं.

कैसी हो हरियाणा की एजुकेशन पॉलिसी? जानें छात्रों की उम्मीदें और एक्सपर्ट की राय

छात्रों की हैं विशेष मांगे

प्रदेश के छात्रों का कहना है कि नूंह में पढ़ाई के लिए सरकार द्वारा हर सब्जेक्ट के लिए शिक्षकों को भर्ती किया जाए. इसके साथ-साथ कॉलेजों में भी कुछ क्लासेस होती और कुछ शिक्षकों की कमी के चलते नहीं पाती. जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनकी मांग है कि सरकार इस बजट में छात्रों के लिए नई शिक्षा निति लेकर आए.

स्कूलों में है संसाधनों की कमी

सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में संसाधनों की भी कमी है. यहां स्कूल में मिड डे मील, स्कूल की बिल्डिंग और खेलने के लिए कोई ग्राउंड भी नहीं है. इसलिए हमारी मांग है कि सबसे पहले भवन निर्माण करवाया जाए और जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाया जाए. ताकि बच्चों के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ ना हो सके. इसके साथ ही नूंह में बच्चियों के लिए अलग से स्कूल खोलने की भी मांग उठी है.

हालांकि हरियाणा सरकार लगातार शिक्षा के क्षेत्र में बजट की बढ़ोत्तरी कर रही है. प्रदेश सरकार की तरफ से 2019-20 में मौलिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए कुल 12,307.46 करोड़ रुपये के परिव्यय का प्रस्ताव पास किया गया, जो बजट 2018-19 के 11,256 करोड़ रुपये पर 9.3 प्रतिषत की वृद्धि दर्शाता है. उच्च शिक्षा के लिए 2,076.68 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया, जो कि साल 2018-19 के 1,721.57‬ करोड़ रुपये पर 17.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्शा रहा था. 2019-20 में तकनीकी शिक्षा विभाग के लिए 512.72 करोड़ रुपये का बजट रखा गया, जोकि संशोधित अनुमान 2018-19 के 465.70 करोड़ रुपये पर 10.1 प्रतिशत की वृद्धी दर्शाता है.

एक्स्पर्ट की सलाह

वित्त मामलों के जानकार डॉ. सुच्चा सिंह गिल का कहना है कि आर्थिक तौर पर मजबूत होने के बावजूद भी देश के सबसे पिछड़े हुए नूंह जैसे जिले हरियाणा में आते हैं. उनका कहना है कि खासकर हरियाणा के पश्चिमी जिलों में आज भी स्वास्थ्य रोजगार शिक्षा जैसी सुविधाएं बेहतर नहीं हो पाई है. सरकार को विकसित जिलों के साथ-साथ इन पिछड़े जिलों में भी आवश्यक योजनाएं चलानी चाहिए ताकि इन जिलों का भी विकास किया जा सके.

फिलहाल हरियाणा के छात्रों के साथ-साथ हर वर्ग बीजेपी और जेजेपी गठबंधन के इस पहले बजट से उम्मीदें लगाए बैठा है. अब देखना होगा कि इस बार सरकार इस उम्मीद भरे चेहरों पर मुस्कुराहट ला पाती है या फिर इन्हें इस बार भी सब्र करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- कैसे तैयार होता है राज्य का बजट? आसान भाषा में समझिए बजट मास्टर से

Last Updated : Feb 28, 2020, 7:48 AM IST
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