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सरकारी स्कूलों में दो साल तक चली स्मार्ट क्लास, अब प्रोजेक्टर और हाई डेफिनेशन कैमरा भी फांक रहे धूल - चंडीगढ़ में स्मार्ट क्लासेज की बदहाल स्थिति

चंडीगढ़ में सरकारी स्कूलों को स्मार्ट बनाने की योजना अधर में पड़ी हुई (smart classes in chandigarh govt schools) है. बताया जा रहा है कि दो साल तक सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज चलाई गई लेकिन ज्यादा दिन तक इसे नहीं चलाया जा सका. क्या है कारण, पढ़िए पूरी खबर

smart classes in chandigarh govt schools
चंडीगढ़ में स्मार्ट क्लास का बुरा हाल
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Published : Jan 19, 2023, 3:57 PM IST

स्मार्ट क्लासरूम एब सामान्य क्लास की तरह चल रहे

चंडीगढ़: स्मार्ट क्लासेस को लेकर स्कूलों में कई बदलाव किए गए. लेकिन कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां स्मार्ट क्लासेज तो शुरू कर दी गई लेकिन वह ज्यादा दिन तक चल नहीं सकी. बात चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों की करें तो यहां पर भी कई बड़े बदलाव किए गए. शहर के नौ सरकारी स्कूलों की लगभग 200 कक्षाओं को स्मार्ट क्लासरूम बनाया गया. लेकिन ये भी सिर्फ ढाक के तीन पात बनकर ही रह गए.

साल 2014 में चलाई सरकारी स्कूलों को स्मार्ट बनाने की योजना के तहत क्लासेज में स्मार्ट बोर्ड और प्रोजेक्टर लगाए गए. साथ ही बच्चों को क्लास में स्मार्ट स्क्रीन एटलस की भी सुविधा प्रदान की गई. लेकिन महज दो साल में ही सारी सुविधाएं चरमरा गई. सभी नौ सरकारी स्कूलों के स्मार्ट बोर्ड और प्रोजेक्टर बंद पड़े हैं. हाई डेफिनेशन कैमरा भी अब धूल फांक रहा है.

टेंडर एक्सपायर होने के कारण स्कूल कंटेट को एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं. जिससे स्मार्ट क्लासरूम के बावजूद बच्चों को ब्लैकबोर्ड पर ही पढ़ाया जा रहा है. वहीं जब कभी भी ई-कंटेट से जुड़ा टॉपिक पढ़ाना होता है तो उसके लिए पेन ड्राइव का इस्तेमाल किया जाता है. अब ऑडिटोरियम में बच्चों को पढ़ाया जाता है, क्योंकि जिस कंपनी के स्मार्ट बोर्ड क्लास रूम में लगाए गए हैं, उन्हें न तो स्कूल टीचर को चलाना आता है और न ही स्टॉफ के किसी अन्य टीचर को ही आता है.

smart classes in chandigarh govt schools
चंडीगढ़ में स्मार्ट क्लास का बुरा हाल

जीएमएसएसएस-19, जीएमएसएसएस-35, जीएमएसएसएस-20, जीएमएसएसएस सेक्टर-18 के स्कूल टीचरों का कहना है कि पिछले लगभग दो सालों से स्मार्ट क्लासरूम के तौर पर नहीं सामान्य क्लास की तरह ही चल रही है. ऐसे में जिस कंपनी के यह स्मार्ट बोर्ड है उनकी ओर से सॉफ्टवेयर ही अपडेट नहीं किया गया है. जिसके कारण ये स्मार्ट बोर्ड बच्चों के किसी काम नहीं आ रहे हैं. वहीं शिक्षा विभाग को कई बार सूचित किया गया, लेकिन श‌िक्षा विभाग की ओर से अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

चंडीगढ़ श‌िक्षा विभाग के निदेशक एचपी सिंह बराड़ ने बताया कि शहर के नौ स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के तहत में ई-कंटेंट और स्मार्ट कक्षाएं बनाई गई थ‌ीं. जिसमें एक्स्ट्रा मार्क्स की कंपनी की ओर से सॉफ्टवेयर के जरिए इन कक्षाओं का चलाया जाता था. लेकिन दो साल पहले उनका टेंडर एक्सपायर हो गया जिसके कारण उन्हें स्मार्ट बोर्ड का सुविधा बंद कर दी गई थी.

यह भी पढ़ें-चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों में अब डिजिटल हाजिरी लगायेंगे बच्चे, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत लगी बायोमैट्रिक मशीन

उन्होंने बताया कि कंपनी ने हार्डवेयर हमे सौंप दिया है. साथ ही हमने कंपनी से सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने की बात उनसे कही है. जिससे बच्चे स्मार्ट क्लासरूम को इस्तेमाल कर पाएं. उन्होंने बताया कि बाद श‌िक्षा विभाग का एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया जाएगा. आने वाले दिनों में हमें एक बजट आएगा, जिसके तहत वह स्मार्ट क्लास को और अपग्रेड कर पाएंगे. वहीं आने वाले दिनों में हर स्कूल में दो स्मार्ट क्लास रूम होंगे. उन्होंने बताया कि 500 कंप्यूटर और 100 लेनोवो टैबलेट जो डोनेट किए गए हैं उन्हें बच्चों तक पहुंचाया जाएगा.

यह भी पढ़ें-क्या हरियाणा सरकार लागू करेगी ओल्ड पेंशन स्कीम? दुष्यंत चौटाला के बयान के बाद दबाव में सरकार!

स्मार्ट क्लासरूम एब सामान्य क्लास की तरह चल रहे

चंडीगढ़: स्मार्ट क्लासेस को लेकर स्कूलों में कई बदलाव किए गए. लेकिन कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां स्मार्ट क्लासेज तो शुरू कर दी गई लेकिन वह ज्यादा दिन तक चल नहीं सकी. बात चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों की करें तो यहां पर भी कई बड़े बदलाव किए गए. शहर के नौ सरकारी स्कूलों की लगभग 200 कक्षाओं को स्मार्ट क्लासरूम बनाया गया. लेकिन ये भी सिर्फ ढाक के तीन पात बनकर ही रह गए.

साल 2014 में चलाई सरकारी स्कूलों को स्मार्ट बनाने की योजना के तहत क्लासेज में स्मार्ट बोर्ड और प्रोजेक्टर लगाए गए. साथ ही बच्चों को क्लास में स्मार्ट स्क्रीन एटलस की भी सुविधा प्रदान की गई. लेकिन महज दो साल में ही सारी सुविधाएं चरमरा गई. सभी नौ सरकारी स्कूलों के स्मार्ट बोर्ड और प्रोजेक्टर बंद पड़े हैं. हाई डेफिनेशन कैमरा भी अब धूल फांक रहा है.

टेंडर एक्सपायर होने के कारण स्कूल कंटेट को एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं. जिससे स्मार्ट क्लासरूम के बावजूद बच्चों को ब्लैकबोर्ड पर ही पढ़ाया जा रहा है. वहीं जब कभी भी ई-कंटेट से जुड़ा टॉपिक पढ़ाना होता है तो उसके लिए पेन ड्राइव का इस्तेमाल किया जाता है. अब ऑडिटोरियम में बच्चों को पढ़ाया जाता है, क्योंकि जिस कंपनी के स्मार्ट बोर्ड क्लास रूम में लगाए गए हैं, उन्हें न तो स्कूल टीचर को चलाना आता है और न ही स्टॉफ के किसी अन्य टीचर को ही आता है.

smart classes in chandigarh govt schools
चंडीगढ़ में स्मार्ट क्लास का बुरा हाल

जीएमएसएसएस-19, जीएमएसएसएस-35, जीएमएसएसएस-20, जीएमएसएसएस सेक्टर-18 के स्कूल टीचरों का कहना है कि पिछले लगभग दो सालों से स्मार्ट क्लासरूम के तौर पर नहीं सामान्य क्लास की तरह ही चल रही है. ऐसे में जिस कंपनी के यह स्मार्ट बोर्ड है उनकी ओर से सॉफ्टवेयर ही अपडेट नहीं किया गया है. जिसके कारण ये स्मार्ट बोर्ड बच्चों के किसी काम नहीं आ रहे हैं. वहीं शिक्षा विभाग को कई बार सूचित किया गया, लेकिन श‌िक्षा विभाग की ओर से अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

चंडीगढ़ श‌िक्षा विभाग के निदेशक एचपी सिंह बराड़ ने बताया कि शहर के नौ स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के तहत में ई-कंटेंट और स्मार्ट कक्षाएं बनाई गई थ‌ीं. जिसमें एक्स्ट्रा मार्क्स की कंपनी की ओर से सॉफ्टवेयर के जरिए इन कक्षाओं का चलाया जाता था. लेकिन दो साल पहले उनका टेंडर एक्सपायर हो गया जिसके कारण उन्हें स्मार्ट बोर्ड का सुविधा बंद कर दी गई थी.

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उन्होंने बताया कि कंपनी ने हार्डवेयर हमे सौंप दिया है. साथ ही हमने कंपनी से सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने की बात उनसे कही है. जिससे बच्चे स्मार्ट क्लासरूम को इस्तेमाल कर पाएं. उन्होंने बताया कि बाद श‌िक्षा विभाग का एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया जाएगा. आने वाले दिनों में हमें एक बजट आएगा, जिसके तहत वह स्मार्ट क्लास को और अपग्रेड कर पाएंगे. वहीं आने वाले दिनों में हर स्कूल में दो स्मार्ट क्लास रूम होंगे. उन्होंने बताया कि 500 कंप्यूटर और 100 लेनोवो टैबलेट जो डोनेट किए गए हैं उन्हें बच्चों तक पहुंचाया जाएगा.

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