चंडीगढ़: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन में अब खुलकर राजनीति की बातें हो रही हैं. आजकल लोग कह रहे हैं कि किसान आंदोलन तो बहाना था, मकसद राजनीति चमकाना था. इस बात को किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (gurnam chaduni) ने सही साबित भी कर दिया है.
राजनीति में जाने की अपने बयानबाजी को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से सस्पेंड किए जाने बाद एक बार फिर गुरनाम सिंह चढूनी ने राजनीति में जाने की बात कही. बीते दिन यमुनानगर में बड़ा बयान देते हुए चढूनी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने मुझे सस्पेंड करके सही फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि अगर आगे भी वो मुझे सस्पेंड करना चाहे तो कर सकते हैं, लेकिन मैं अपना फैसला बदलने वाला नहीं हूं.
चढूनी ने कहा कि मैंने ये फैसला इसलिए लिया है क्योंकि मैं इस देश से गंदी राजनीति को खत्म करना चाहता हूं. देश से गंदी राजनीति को खत्म करने के लिए किसानों को आगे आना होगा. अगर अन्नदाता के हाथ में देश का राजपाट होगा तो देश बच जाएगा नहीं तो बीजेपी वाले देश को बेच खाएंगे.
ये भी पढ़ें- टिकैत और चढूनी किसानों के कंधे पर बंदूक रख चमका रहे अपनी राजनीति, किसान नेता का बड़ा बयान
बता दें कि, 14 जुलाई को किसान आंदोलन के जरिए राजनीति की बातों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी को मोर्चे से सस्पेंड कर दिया था. चढूनी को मोर्चे से 7 दिन के लिए सस्पेंड किया गया था. संयुक्त किसान मोर्चा ने उनके बयान देने पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद भी गुरनाम सिंह चढूनी ने खुलकर एक बार फिर राजनीति में जाने की बात कही.
चढूनी के इस बयान के बाद एक फिर चर्चाएं होने लगी हैं कि किसान नेता आंदोलन के जरिए अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या ये आंदोलन अब इन नेताओं के लिए किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति के मैदान तक जाने की चाह को पूरा करने का रास्ता बन गया है.
ये भी पढ़ें- चढ़ूनी ने किया राजनीति में आने का आखिरी फैसला, संयुक्त मोर्चा को लेकर दिया बड़ा बयान