चंडीगढ़: कैथल अनाज मंडी में इनेलो ने पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल की 110वीं जयंती पर 'सम्मान दिवस' रैली का आयोजन किया. वैसे तो इंडियन नेशनल लोकदल हर साल 25 सितंबर को इस रैली का आयोजन करती है लेकिन इस बार इस सम्मान रैली को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा कुछ ज्यादा थी. चर्चा इसलिए क्योंकि इनेलो बीजेपी के खिलाफ बने INDIA गठबंधन का हिस्सा बनना चाहता है, इसी को देखते हुए इनेलो ने इस रैली में शामिल होने का निमंत्रण कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को भी दिया था. लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इनेलो की इस रैली से दूरी बनाए रखी.
कांग्रेस और आप ने बनाई इनेलो से दूरी- जब से देश में बीजेपी के खिलाफ INDIA गठबंधन बना है तब से इनेलो इसका श्रेय लेने की कोशिश में लगी रही है. इनेलो के नेताओं का मानना है कि इस गठबंधन को बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है. उन्होंने ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसके लिए कदम बढ़ाने को कहा था. लेकिन इस गठबंधन के दो मुख्य दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस रैली से दूर रहे. दोनों दलों को पार्टी की ओर से रैली में शामिल होने का निमंत्रण भी दिया गया था. बावजूद इसके इनका कोई भी प्रतिनिधि रैली में नहीं पहुंचा. कांग्रेस और आप दोनो के नेता कहते रहे हैं कि इनेलो का हरियाणा में कोई वजूद नहीं है.
कांग्रेस और आप के रैली में ना आने के मायने- राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि हरियाणा में मौजूदा दौर में जो सीधी लड़ाई दिखाई देती है वो बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. जबकि आम आदमी पार्टी भी खुद को लगातार प्रदेश में मजबूत करने में जुटी है. हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल, जननायक जनता पार्टी बनने के बाद कमजोर पड़ गई है. उसे इस वक्त INDIA गठबंधन के साथ की सबसे ज्यादा जरूरत है. लेकिन लगता है कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इनेलो को सहयोग देकर उसे मजबूती प्रदान नहीं करना चाह रही है.
प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि कांग्रेस और आप अपने भविष्य के राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए शायद ऐसा कर रही हैं. इसके साथ ही इनेलो का ट्रैक रिकॉर्ड भी खासतौर पर कांग्रेस के जहन में रहा होगा. इसलिए निमंत्रण के बावजूद उनके किसी नेता ने इस कार्यक्रम में शिरकत नहीं की. शायद कांग्रेस और आप यह संदेश नहीं देना चाहती है कि वे इनेलो के साथ एक मंच पर खड़े हैं. इसे दोनों ही दलों को अपने कार्यकर्ताओं के बिखरने का डर है. क्योंकि अगर इनेलो का साथ लिया तो फिर सीटों का बंटवारा तो करना ही होगा. कांग्रेस के भूपेंद्र हुड्डा दावा कर चुके हैं कि हरियाणा में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है.
सम्मान रैली में बड़े चेहरे रहे नदारद- इनेलो की रैली में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, जनता दल यूनाइटेड के महासचिव एवं इंडिया गठबंधन के रिसर्च कमेटी के सदस्य केसी त्यागी, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ. ब्रायन, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह, एनसीपी नेता साहिल सिद्धीकी, भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण, राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी के संयोजक शेर सिंह राणा के साथ ही अन्य नेताओं ने शिरकत की.
इनेलो की इस रैली में वह बड़े चेहरे शामिल नहीं हुई जो हमेशा से हुआ करते थे. उनमें खास तौर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो कि रैली के मुख्य अतिथि भी थे, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, एनसीपी के दिग्गज नेता शरद पवार के साथ ही शिवसेना के किसी भी नेता ने शिरकत नहीं की. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक भी रैली में नहीं पहुंचे.
रैली से कितनी मजबूत हुई इनेलो- राजनीतिक मामलों के जानकारी प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि इनेलो जिस तरह से इस बार सम्मान रैली को उसके इंडिया गठबंधन के भागीदार बनने के लिए पेश कर रही थी, बड़े चेहरे के शामिल ना होने से उसके इस अभियान पर असर पड़ सकता है. वे कहते हैं कि इनेलो इस बात को लगातार कहती रही है कि INDIA गठबंधन जो आज बना है उसमे इनके वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला का प्रमुख योगदान है. उन्होंने ही नीतीश कुमार का बीजेपी के खिलाफ तमाम दलों को इकट्ठा करने के लिए आह्वान किया था लेकिन वो खुद इस रैली में शामिल नहीं हुए. उनका ना आना चर्चा का विषय तो जरूर बन गया है. इसके साथ ही एनसीपी और शिवसेना के नेता भी नहीं पहुंचे. जबकि इनेलो कह रही थी कि उनके नेता भी मंच पर मौजूद रहेंगे. इससे कहीं ना कहीं जो संदेश इनेलो देना चाह रही थी, उसको दे पाने में कामयाब नहीं हो पाई है.
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