ETV Bharat / state

प्लाज़्मा डोनेट करने से डरें नहीं लेकिन ये सुरक्षित तरीका ज़रूर जान लें

अस्पतालों में कोविड मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी की डिमांड भी काफी बढ़ गई है. लेकिन ज्यादातर लोग अब भी कई भ्रम की वजह से प्लाज्मा डोनेट नहीं कर रहे. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत हरियाणा ने चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टर से बातचीत की.

Plasma donating not harm health
Plasma donating not harm health
author img

By

Published : May 1, 2021, 7:57 AM IST

Updated : May 1, 2021, 9:08 AM IST

चंडीगढ़: कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जिसके चलते अब अस्पतालों में कई तरह के मेडिकल रिसोर्सेस की मांग काफी हो रही है. कुछ लोग घर पर ही आइसोलेशन में रहकर ठीक हो रहे हैं, कुछ लोग अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड्स और दवाइयों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

इस बीच अब अस्पतालों में कोविड मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी की डिमांड भी काफी बढ़ गई है. देश के कई डॉक्टर्स कोरोना से ठीक हो चुके लोगों से आगे आकर दूसरे संक्रमित पीड़ितों की प्लाज्मा देकर सहायता देने की अपील कर रहे हैं. लेकिन ज्यादातर लोग अब भी कई भ्रम की वजह से प्लाज्मा डोनेट नहीं कर रहे.

ये पढ़ें- कोरोना से बचना है तो लें भरपूर नींद, डॉक्टर से जानिए कितने घंटे सोना है बेहद जरूरी

इस बारे में ईटीवी भारत हरियाणा ने चंडीगढ़ पीजीआई के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग के एचओडी डॉक्टर रतिराम शर्मा से बात की. डॉक्टर रतीराम शर्मा ने बताया कि कोरोना के चलते लोगों में कई तरह की भ्रांतियां फैल रही हैं. जैसे लोगों को लगता है कि प्लाज्मा या ब्लड डोनेट करने से कोरोना संक्रमण हो सकता है, लेकिन ये सही नहीं है. क्योंकि कोरोना वायरस मुंह और नाक के जरिए फैलता है और ये गले और फेफड़ों पर असर डालता है. ब्लड या प्लाज्मा डोनेट करने से इसका कोई संबंध नहीं है.

प्लाज्मा डोनेट करने से डर नहीं लेकिन ये सुरक्षित तरीका जरूर जान लें

लोगों में एक भ्रांति ये भी है कि प्लाज्मा डोनेट करने से कमजोरी आती है. जिससे वो कोरोना की चपेट में आ सकते हैं. डॉक्टर के मुताबिक ये धारणा भी गलत है. ऐसा करने से कमजोरी नहीं आती है. यहां तक की जो लोग कोरोना से हाल ही में ठीक हुए हैं. वो भी सिर्फ 4 हफ्ते तक ही प्लाज़्मा डोनेट कर सकते हैं. इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.

ये पढ़ें- कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद होते हैं ये लक्षण, घबराएं नहीं, डॉक्टर से जानिए कौन सी दवा खाएं कौन सी ना खाएं

उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे भी मरीज हैं, जिन्हें प्लाज्मा या ब्लड डोनेट ना करने की सलाह दी जाती है. खासकर वे लोग जो कई बीमारियों से गंभीर तौर पर पीड़ित हैं या किसी लंबी बीमारी से पीड़ित हैं. जैसे हाई ब्लड प्रेशर, ज्यादा डायबिटीज, हार्ट या किडनी की बीमारियों से पीड़ित लोग.

ये भी पढ़ें- अगर पहली डोज के बाद हो जाए कोरोना तो क्या दूसरी डोज लेनी चाहिए? जानिए पीजीआई के डॉक्टर से

रुपेश वर्मा ने बताया कि प्लाज्मा और ब्लड डोनेशन अलग-अलग बातें हैं. जहां एक तरफ ब्लड डोनेशन में एक व्यक्ति एक बार रक्तदान करने के बाद 3 महीने बाद ही दोबारा रक्तदान कर सकता है. जबकि प्लाज्मा डोनेशन में एक व्यक्ति दो हफ्ते बाद फिर से क्लास बारोनेट कर सकता है, लेकिन उससे पहले उसके कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं. जिनमें कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट भी शामिल है. सभी टेस्टों की रिपोर्ट सही आने के बाद ही वो व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकता है.

क्या होता है प्लाज्मा?

प्लाज्मा को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमारे रक्त में रेड बल्ड सेल्स, व्हाइट बल्ड सेल्स और पीला तरल भाग मौजूद होता है. ब्लड में मौजूद पीले तरल भाग को ही प्लाज्मा कहा जाता है, जिसका 92 फीसदी हिस्सा पानी होता है. पानी के अलावा प्लाज्मा में प्रोटीन, ग्लूकोस मिनरल, हार्मोंस, कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद होते हैं. हमारे रक्त में तकरीबन 55 प्रतिशत प्लाज्मा मौजूद होता है.

कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी?

इसमें कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा निकालकर संक्रमित व्यक्ति की बॉडी में इंजेक्शन की मदद से इंजेक्ट किया जाता है. बता दें कि कोविड से ठीक हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा में एंटीबॉडीज बन जाते हैं. जो दूसरे संक्रमित व्यक्ति के लिए भी मददगार हो सकते हैं. हालांकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है कि प्लाज्मा थेरेपी वास्तव में कोरोना रोगी को ठीक कर सकती है. इस पर किए तमाम शोध से पता चला है कि ये प्लाज्मा थेरेपी COVID-19 संक्रमित मरीजों को उबरने में मदद करती है.

चंडीगढ़: कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जिसके चलते अब अस्पतालों में कई तरह के मेडिकल रिसोर्सेस की मांग काफी हो रही है. कुछ लोग घर पर ही आइसोलेशन में रहकर ठीक हो रहे हैं, कुछ लोग अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड्स और दवाइयों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

इस बीच अब अस्पतालों में कोविड मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी की डिमांड भी काफी बढ़ गई है. देश के कई डॉक्टर्स कोरोना से ठीक हो चुके लोगों से आगे आकर दूसरे संक्रमित पीड़ितों की प्लाज्मा देकर सहायता देने की अपील कर रहे हैं. लेकिन ज्यादातर लोग अब भी कई भ्रम की वजह से प्लाज्मा डोनेट नहीं कर रहे.

ये पढ़ें- कोरोना से बचना है तो लें भरपूर नींद, डॉक्टर से जानिए कितने घंटे सोना है बेहद जरूरी

इस बारे में ईटीवी भारत हरियाणा ने चंडीगढ़ पीजीआई के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग के एचओडी डॉक्टर रतिराम शर्मा से बात की. डॉक्टर रतीराम शर्मा ने बताया कि कोरोना के चलते लोगों में कई तरह की भ्रांतियां फैल रही हैं. जैसे लोगों को लगता है कि प्लाज्मा या ब्लड डोनेट करने से कोरोना संक्रमण हो सकता है, लेकिन ये सही नहीं है. क्योंकि कोरोना वायरस मुंह और नाक के जरिए फैलता है और ये गले और फेफड़ों पर असर डालता है. ब्लड या प्लाज्मा डोनेट करने से इसका कोई संबंध नहीं है.

प्लाज्मा डोनेट करने से डर नहीं लेकिन ये सुरक्षित तरीका जरूर जान लें

लोगों में एक भ्रांति ये भी है कि प्लाज्मा डोनेट करने से कमजोरी आती है. जिससे वो कोरोना की चपेट में आ सकते हैं. डॉक्टर के मुताबिक ये धारणा भी गलत है. ऐसा करने से कमजोरी नहीं आती है. यहां तक की जो लोग कोरोना से हाल ही में ठीक हुए हैं. वो भी सिर्फ 4 हफ्ते तक ही प्लाज़्मा डोनेट कर सकते हैं. इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.

ये पढ़ें- कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद होते हैं ये लक्षण, घबराएं नहीं, डॉक्टर से जानिए कौन सी दवा खाएं कौन सी ना खाएं

उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे भी मरीज हैं, जिन्हें प्लाज्मा या ब्लड डोनेट ना करने की सलाह दी जाती है. खासकर वे लोग जो कई बीमारियों से गंभीर तौर पर पीड़ित हैं या किसी लंबी बीमारी से पीड़ित हैं. जैसे हाई ब्लड प्रेशर, ज्यादा डायबिटीज, हार्ट या किडनी की बीमारियों से पीड़ित लोग.

ये भी पढ़ें- अगर पहली डोज के बाद हो जाए कोरोना तो क्या दूसरी डोज लेनी चाहिए? जानिए पीजीआई के डॉक्टर से

रुपेश वर्मा ने बताया कि प्लाज्मा और ब्लड डोनेशन अलग-अलग बातें हैं. जहां एक तरफ ब्लड डोनेशन में एक व्यक्ति एक बार रक्तदान करने के बाद 3 महीने बाद ही दोबारा रक्तदान कर सकता है. जबकि प्लाज्मा डोनेशन में एक व्यक्ति दो हफ्ते बाद फिर से क्लास बारोनेट कर सकता है, लेकिन उससे पहले उसके कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं. जिनमें कोरोना का एंटीबॉडी टेस्ट भी शामिल है. सभी टेस्टों की रिपोर्ट सही आने के बाद ही वो व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकता है.

क्या होता है प्लाज्मा?

प्लाज्मा को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमारे रक्त में रेड बल्ड सेल्स, व्हाइट बल्ड सेल्स और पीला तरल भाग मौजूद होता है. ब्लड में मौजूद पीले तरल भाग को ही प्लाज्मा कहा जाता है, जिसका 92 फीसदी हिस्सा पानी होता है. पानी के अलावा प्लाज्मा में प्रोटीन, ग्लूकोस मिनरल, हार्मोंस, कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद होते हैं. हमारे रक्त में तकरीबन 55 प्रतिशत प्लाज्मा मौजूद होता है.

कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी?

इसमें कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा निकालकर संक्रमित व्यक्ति की बॉडी में इंजेक्शन की मदद से इंजेक्ट किया जाता है. बता दें कि कोविड से ठीक हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा में एंटीबॉडीज बन जाते हैं. जो दूसरे संक्रमित व्यक्ति के लिए भी मददगार हो सकते हैं. हालांकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है कि प्लाज्मा थेरेपी वास्तव में कोरोना रोगी को ठीक कर सकती है. इस पर किए तमाम शोध से पता चला है कि ये प्लाज्मा थेरेपी COVID-19 संक्रमित मरीजों को उबरने में मदद करती है.

Last Updated : May 1, 2021, 9:08 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.