चंडीगढ़ः समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले के आरोपियों को पंचकूला कि एनआईए कोर्ट की तरफ से 20 मार्च को बरी कर दिया गया था. एनआईए कोर्ट के बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर कर इस फैसले को चुनौती दे दी गई है.
NIA का फैसला
अपील हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में दायर की जा चुकी है और अगर इस अपील पर रजिस्ट्री को आपत्ति नहीं लगती तो हाईकोर्ट जल्द ही सुनवाई कर सकता है. एनआईए कोर्ट पंचकूला की तरफ से 20 मार्च को समझौता ब्लास्ट मामले में अपना फैसला सुनाया गया. जिसमें स्वामी असीमानंद सहित लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था.
NIA ने तथ्यों को किया नजर अंदाज!
मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के एनआईए कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में अपील दायर कर चुनौती दी गई है. इस फैसले के करीब 4 महीने के बाद चश्मदीद पाकिस्तानी महिला ने अपील दायर कर इसे चुनौती दी है. अपील में कहा है कि एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाते समय कई तथ्यों को नजरअंदाज किया है, जिसके चलते आरोपी बरी कर दिए गए. लिहाजा अब इन आरोपियों को दोषी करार दे सजा सुनाए जाने की हाईकोर्ट में अपील दायर की मांग की गई है.
ये था मामला
भारत और पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को धमाका हुआ था. ये ट्रेन दिल्ली से अटारी जा रही थी. पानीपत के दीवाना स्टेशन के नजदीक अचानक इस ट्रेन में विस्फोट हो गया जिसमें 68 लोगों की मौत और 12 लोग घायल हुए थे. धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे. मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी थे.
एनआईए कोर्ट ने 20 मार्च को केस के आरोपी स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजेंद्र चौधरी को सबूतों के अभाव में निर्दोष मान बरी कर दिया था. अब पाकिस्तानी महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि इस मामले में फैसला खामियों से भरा है और इंसाफ नहीं किया गया है.