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समझौता ब्लास्ट मामले में HC कर सकता है सुनवाई्, पाकिस्तानी महिला ने NIA के फैसले को दी चुनौती

बहुचर्चित समझौता एक्सप्रेस बम ब्लास्ट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है.

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Published : Jul 19, 2019, 11:44 PM IST

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

चंडीगढ़ः समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले के आरोपियों को पंचकूला कि एनआईए कोर्ट की तरफ से 20 मार्च को बरी कर दिया गया था. एनआईए कोर्ट के बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर कर इस फैसले को चुनौती दे दी गई है.

NIA का फैसला

अपील हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में दायर की जा चुकी है और अगर इस अपील पर रजिस्ट्री को आपत्ति नहीं लगती तो हाईकोर्ट जल्द ही सुनवाई कर सकता है. एनआईए कोर्ट पंचकूला की तरफ से 20 मार्च को समझौता ब्लास्ट मामले में अपना फैसला सुनाया गया. जिसमें स्वामी असीमानंद सहित लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था.

NIA ने तथ्यों को किया नजर अंदाज!

मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के एनआईए कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में अपील दायर कर चुनौती दी गई है. इस फैसले के करीब 4 महीने के बाद चश्मदीद पाकिस्तानी महिला ने अपील दायर कर इसे चुनौती दी है. अपील में कहा है कि एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाते समय कई तथ्यों को नजरअंदाज किया है, जिसके चलते आरोपी बरी कर दिए गए. लिहाजा अब इन आरोपियों को दोषी करार दे सजा सुनाए जाने की हाईकोर्ट में अपील दायर की मांग की गई है.

ये था मामला
भारत और पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को धमाका हुआ था. ये ट्रेन दिल्ली से अटारी जा रही थी. पानीपत के दीवाना स्टेशन के नजदीक अचानक इस ट्रेन में विस्फोट हो गया जिसमें 68 लोगों की मौत और 12 लोग घायल हुए थे. धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे. मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी थे.

एनआईए कोर्ट ने 20 मार्च को केस के आरोपी स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजेंद्र चौधरी को सबूतों के अभाव में निर्दोष मान बरी कर दिया था. अब पाकिस्तानी महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि इस मामले में फैसला खामियों से भरा है और इंसाफ नहीं किया गया है.

चंडीगढ़ः समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले के आरोपियों को पंचकूला कि एनआईए कोर्ट की तरफ से 20 मार्च को बरी कर दिया गया था. एनआईए कोर्ट के बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर कर इस फैसले को चुनौती दे दी गई है.

NIA का फैसला

अपील हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में दायर की जा चुकी है और अगर इस अपील पर रजिस्ट्री को आपत्ति नहीं लगती तो हाईकोर्ट जल्द ही सुनवाई कर सकता है. एनआईए कोर्ट पंचकूला की तरफ से 20 मार्च को समझौता ब्लास्ट मामले में अपना फैसला सुनाया गया. जिसमें स्वामी असीमानंद सहित लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था.

NIA ने तथ्यों को किया नजर अंदाज!

मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के एनआईए कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में अपील दायर कर चुनौती दी गई है. इस फैसले के करीब 4 महीने के बाद चश्मदीद पाकिस्तानी महिला ने अपील दायर कर इसे चुनौती दी है. अपील में कहा है कि एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाते समय कई तथ्यों को नजरअंदाज किया है, जिसके चलते आरोपी बरी कर दिए गए. लिहाजा अब इन आरोपियों को दोषी करार दे सजा सुनाए जाने की हाईकोर्ट में अपील दायर की मांग की गई है.

ये था मामला
भारत और पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को धमाका हुआ था. ये ट्रेन दिल्ली से अटारी जा रही थी. पानीपत के दीवाना स्टेशन के नजदीक अचानक इस ट्रेन में विस्फोट हो गया जिसमें 68 लोगों की मौत और 12 लोग घायल हुए थे. धमाके में जान गंवाने वालों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे. मारे गए 68 लोगों में 16 बच्चों समेत चार रेलवे कर्मी भी थे.

एनआईए कोर्ट ने 20 मार्च को केस के आरोपी स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजेंद्र चौधरी को सबूतों के अभाव में निर्दोष मान बरी कर दिया था. अब पाकिस्तानी महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि इस मामले में फैसला खामियों से भरा है और इंसाफ नहीं किया गया है.

Intro:समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले के आरोपियों को पंचकूला कि एनआईए कोर्ट की तरफ से 20 मार्च को बरी कर दिया गया था । एनआईए कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर कर इस फैसले को चुनौती दे दी गई है । अपील हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में दायर की जा चुकी है अगर इस अपील पर रजिस्ट्री को आपत्ति नहीं लगती तो इस पर हाईकोर्ट जल्द ही सुनवाई कर सकता है । दरअसल एनआईए कोर्ट पंचकूला की तरफ से 20 मार्च को समझौता ब्लास्ट मामले में अपना फैसला सुनाते हुए स्वामी असीमानंद सहित लोकेश शर्मा राजेंद्र चौधरी और कमल चौहान को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था ।


Body:पंचकूला के है ना यह कोर्ट की तरफ से 20 मार्च को समझौता ब्लास्ट में सुनाए गए फैसले में स्वामी असीमानंद सहित लोकेश शर्मा कमल चौहान और राजेंद्र चौधरी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था । मामले में सभी आरोपियों को बरी करने के एन आई ए कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में अपील दायर कर चुनौती दी गई है । इस फैसले के करीब 4 महीने के बाद अब इस घटना का एक चश्मदीद पाकिस्तानी महिला ने एडवोकेट मोहम्मद सलीम और मोमिन मलिक के जरिए अपील दायर कर इसे चुनौती देते हुए कहा है कि एनआईए कोर्ट ने फैसला सुनाते समय कई तथ्यों को नजरअंदाज किया है जिसके चलते आरोपी बरी कर दिए गए लिहाजा अब इन आरोपियों को दोषी करार दे सजा सुनाए जाने की हाईकोर्ट में अपील दायर की मांग की गई है ।


Conclusion:फिलहाल हाई कोर्ट में अपील दायर की गई है जो की हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में दायर की जा चुकी है अगर इस अपील पर रजिस्ट्री को आपत्ति नहीं लगती तो इस पर हाईकोर्ट 2 से 4 दिनों में सुनवाई शुरू कर सकता है ।
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