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चंडीगढ़ पीजीआई में अंगदान: मरने के बाद भी 11 लोगों को नई जिंदगी दे गये 3 युवा, चेन्नई में 13 साल की लड़की में धड़केगा लड़के का दिल

चंडीगढ़ पीजीआई के तीन ब्रेन डेड युवाओं ने मरने के बाद भी 11 लोगों को नई जिंदगी दी है. ब्रेन डेड होने के बाद परिजनों की सहमति पर इन युवाओं का चंडीगढ़ पीजीआई में अंगदान (Organ donation in Chandigarh PGI) किया गया. अंगदान के निर्णय के बाद इनके अंग ट्रांसप्लांट कर जरूरतमंद मरीजों को लगाए गए. एक युवक का दिल चेन्नई में 13 साल की लड़की को लगाया गया.

chandigarh PGI brain dead three youths gave new life to 11 people
चंडीगढ़ पीजीआई: तीन युवाओं ने 11 लोगों को दिया नया जीवन, 2500 KM दूर चेन्नई में 13 साल की लड़की में धड़केगा नमन का दिल
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Published : Dec 9, 2022, 2:07 PM IST

चंडीगढ़: पीजीआई में 3 युवाओं के अंगों को ट्रांसप्लांट किया गया. इसमें एक दिल, 6 किडनी और 4 कॉर्निया शामिल थे. इन तीनों युवाओं ने मौत के बाद भी 11 लोगों को नया जीवन दिया है. पंचकूला के नमन के अलावा एसबीएस नगर के 20 वर्षीय अमनदीप सिंह और पटियाला के 28 वर्षीय बलिंदर सिंह के अंगों को ट्रांसप्लांट किया गया. इससे पहले इस वर्ष 36 युवाओं के परिवार अंगदान करने का निर्णय लेकर दूसरों के जीवन को रोशन कर चुके हैं.

पीजीआई (Chandigarh PGI News) के डॉक्टरों ने बताया कि नमन के दिल का मेल पीजीआई में किसी जरूरतमंद से मैच नहीं हुआ. इस पर उसे चेन्नई भेजा गया, जहां उसका दिल 13 वर्ष की लड़की को लगाया गया. पीजीआईएमईआर में ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के तहत 3 ब्रेन डेड युवाओं के अंग जरूरतमंद लोगों को लगाए गए, जिससे उन्हें नया जीवन मिल सका. तीनों युवक अलग-अलग सड़क हादसों में घायल होकर पीजीआई में भर्ती हुए थे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया था. इस पर उनके परिवारों ने उनके अंग दान करने का​ निर्णय लिया था. तीनों मृतकों के अंग निकालने और उन्हें ट्रांसप्लांट करने में पीजीआई के सीनियर डॉक्टर और विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ जुटे हुए थे.

chandigarh PGI brain dead three youths gave new life to 11 people
चंडीगढ़ पीजीआई: तीन युवाओं ने 11 लोगों को दिया नया जीवन, 2500 KM दूर चेन्नई में 13 साल की लड़की में धड़केगा नमन का दिल

पढ़ें: चंडीगढ़ पीजीआई की प्रोफेसर एएन चक्रवर्ती मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रोफेसर हैं कुसुम शर्मा

पीजीआई चंडीगगढ़ के चिकित्सा अधीक्षक व प्रोफेसर विपिन कौशल ने लोगों से अंग दान करने की अपील की. उन्होंने कहा कि हर वर्ष 5 लाख भारतीय अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करते हुए मर जाते हैं. क्योंकि कोई उपयुक्त अंगदाता नहीं मिल पाता है. इस बात को लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है, जिससे लोग अंगदान के प्रति जागरूक हो सके. उन्होंने कहा कि हम सभी के पास अपने हृदय, फेफड़े, यकृत, गुर्दे, अग्न्यासय और आंखों को दान करके दूसरे लोगों को नया जीवन देने की शक्ति है.

जानकारी के अनुसार पंचकूला सेक्टर 3 के देवी नगर गांव निवासी नमन के सिर में 22 नवंबर को गंभीर चोट लगी थी. उसके टू-व्हीलर को एक आवारा पशु ने टक्कर मार दी थी. उसके दोस्त और परिजन उसे तुरंत पीजीआई ले आए थे. जहां डॉक्टरों ने 2 सप्ताह तक उसे बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन 5 दिसंबर को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. उसके पिता सेवाराम और मां ईशा के लिए यह बेहद दुख की घड़ी थी. हालांकि पीजीआई के आग्रह पर परिवार उसके अंग दान करने के लिए राजी हो गया.

chandigarh PGI brain dead three youths gave new life to 11 people
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पढ़ें: कोरोना वैक्सीन पर चंडीगढ़ पीजीआई का शोध, बोले- सुरक्षित रहने के लिए दो डोज ही काफी

नमन ने दी 5 लोगों को नई जिंदगी: पीजीआई ने नमन का दिल ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 2 हजार 500 किलोमीटर दूर चेन्नई के एक अस्पताल में भेजा. जहां 13 वर्ष की बच्ची में अब नमन का दिल धड़क रहा है. वहीं उसकी दोनों किडनी पीजीआई में ही गंभीर रूप से बीमार किडनी मरीजों को लगाई गई. यह मरीज डायलिसिस पर थे. वहीं उसके दोनों कॉर्निया नेत्रहीन मरीजों को लगाए गए. ऐसे में नमन ने दुनिया से जाने के बाद भी 5 लोगों को नई जिंदगी दे गया. पीजीआई में नमन का दिल किसी मरीज के साथ मैच नहीं हुआ तो चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में एक मरीज के साथ मैच हो गया था. ऐसे में शहीद भगत सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट मोहाली तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 22 मिनट में दिल को एयरपोर्ट पहुंचाया गया. यहां से मंगलवार दोपहर 3 बजकर 25 मिनट पर फ्लाइट से दिल को रात को 8.30 बजे चेन्नई एयरपोर्ट पहुंचाया गया. इस दिल को 13 वर्ष की बच्ची में ट्रांसप्लांट किया गया.

दूसरे डोनर शहीद भगत सिंह नगर के लोधीपुर गांव निवासी अमनदीप सिंह भी सड़क दुर्घटना में गंभीर घायल हो गया था. इसे 3 दिसंबर को ब्रेन डेड घोषित किया गया था. उसके पिता कुलदीप सिंह ने बेटे अमनदीप सिंह की दोनों किडनियां भी डायलिसिस पर चल रहे 2 किडनी मरीजों को लगाने की सहमति दे दी. वहीं उसके दोनों कॉर्निया भी दो नेत्रहीन मरीजों को लगाए गए. बलजिंदर सिंह की दोनों किडनी भी किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को लगाई गई.

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पढ़ें: World Aids Day 2022: एचआईवी संक्रमित होने के बाद भी मुमकिन है जिंदगी, चंडीगढ़ पीजीआई में हुए कई शोध

तीसरा डोनर पटियाला में राजपुरा के मंडोली गांव का बलजिंदर सिंह है. वह सुबह की सैर पर निकला हुआ था, उस दौरान अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी. उसके सिर पर गंभीर चोट आई थी. उसे 1 दिसंबर को पीजीआई लाया गया, डॉक्टरों ने 2 दिसंबर को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. उसके पिता पखिर्या सिंह ने अंगदान करने का निर्णय लिया. बलिंदर सिंह के पिता पाखिर्या सिंह ने कहा कि अंगदान के जरिए ही सही मेरा बेटा जीवित रहे. लोगों को पता चले कि उन्हें अपने बेटे पर कितना गर्व है. अपनी जान गंवाने के बावजूद उसने दो अन्य लोगों का जीवन बचाया है.

चंडीगढ़: पीजीआई में 3 युवाओं के अंगों को ट्रांसप्लांट किया गया. इसमें एक दिल, 6 किडनी और 4 कॉर्निया शामिल थे. इन तीनों युवाओं ने मौत के बाद भी 11 लोगों को नया जीवन दिया है. पंचकूला के नमन के अलावा एसबीएस नगर के 20 वर्षीय अमनदीप सिंह और पटियाला के 28 वर्षीय बलिंदर सिंह के अंगों को ट्रांसप्लांट किया गया. इससे पहले इस वर्ष 36 युवाओं के परिवार अंगदान करने का निर्णय लेकर दूसरों के जीवन को रोशन कर चुके हैं.

पीजीआई (Chandigarh PGI News) के डॉक्टरों ने बताया कि नमन के दिल का मेल पीजीआई में किसी जरूरतमंद से मैच नहीं हुआ. इस पर उसे चेन्नई भेजा गया, जहां उसका दिल 13 वर्ष की लड़की को लगाया गया. पीजीआईएमईआर में ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के तहत 3 ब्रेन डेड युवाओं के अंग जरूरतमंद लोगों को लगाए गए, जिससे उन्हें नया जीवन मिल सका. तीनों युवक अलग-अलग सड़क हादसों में घायल होकर पीजीआई में भर्ती हुए थे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया था. इस पर उनके परिवारों ने उनके अंग दान करने का​ निर्णय लिया था. तीनों मृतकों के अंग निकालने और उन्हें ट्रांसप्लांट करने में पीजीआई के सीनियर डॉक्टर और विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ जुटे हुए थे.

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पीजीआई चंडीगगढ़ के चिकित्सा अधीक्षक व प्रोफेसर विपिन कौशल ने लोगों से अंग दान करने की अपील की. उन्होंने कहा कि हर वर्ष 5 लाख भारतीय अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा करते हुए मर जाते हैं. क्योंकि कोई उपयुक्त अंगदाता नहीं मिल पाता है. इस बात को लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है, जिससे लोग अंगदान के प्रति जागरूक हो सके. उन्होंने कहा कि हम सभी के पास अपने हृदय, फेफड़े, यकृत, गुर्दे, अग्न्यासय और आंखों को दान करके दूसरे लोगों को नया जीवन देने की शक्ति है.

जानकारी के अनुसार पंचकूला सेक्टर 3 के देवी नगर गांव निवासी नमन के सिर में 22 नवंबर को गंभीर चोट लगी थी. उसके टू-व्हीलर को एक आवारा पशु ने टक्कर मार दी थी. उसके दोस्त और परिजन उसे तुरंत पीजीआई ले आए थे. जहां डॉक्टरों ने 2 सप्ताह तक उसे बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन 5 दिसंबर को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. उसके पिता सेवाराम और मां ईशा के लिए यह बेहद दुख की घड़ी थी. हालांकि पीजीआई के आग्रह पर परिवार उसके अंग दान करने के लिए राजी हो गया.

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दूसरे डोनर शहीद भगत सिंह नगर के लोधीपुर गांव निवासी अमनदीप सिंह भी सड़क दुर्घटना में गंभीर घायल हो गया था. इसे 3 दिसंबर को ब्रेन डेड घोषित किया गया था. उसके पिता कुलदीप सिंह ने बेटे अमनदीप सिंह की दोनों किडनियां भी डायलिसिस पर चल रहे 2 किडनी मरीजों को लगाने की सहमति दे दी. वहीं उसके दोनों कॉर्निया भी दो नेत्रहीन मरीजों को लगाए गए. बलजिंदर सिंह की दोनों किडनी भी किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को लगाई गई.

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तीसरा डोनर पटियाला में राजपुरा के मंडोली गांव का बलजिंदर सिंह है. वह सुबह की सैर पर निकला हुआ था, उस दौरान अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी. उसके सिर पर गंभीर चोट आई थी. उसे 1 दिसंबर को पीजीआई लाया गया, डॉक्टरों ने 2 दिसंबर को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. उसके पिता पखिर्या सिंह ने अंगदान करने का निर्णय लिया. बलिंदर सिंह के पिता पाखिर्या सिंह ने कहा कि अंगदान के जरिए ही सही मेरा बेटा जीवित रहे. लोगों को पता चले कि उन्हें अपने बेटे पर कितना गर्व है. अपनी जान गंवाने के बावजूद उसने दो अन्य लोगों का जीवन बचाया है.

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