चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला के चुनाव लड़ने पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका दायर (OP Chautala Election Commission intervention petition) की गई है. ये याचिका देविंद्र बल्हारा के जरिए हाईकोर्ट के 5 वकीलों के माध्यम से दायर की गई है.
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इस याचिका में अपील की गई है कि उनके साथ राजनीति का अपराधिकरण किया है, जिसे रोका जाना चाहिए. अभी नियमों के मुताबिक भले ही ओपी चौटाला भ्रष्टाचार के आरोप में सजा पूरी कर चुके हों, लेकिन वो चुनाव लड़ने के लिए अभी भी प्रतिबंधित हैं. लोक प्रतिनिधित्व कानून की धारा 1951 (representation of the people act 1951) के मुताबिक सजा खत्म होने के बाद भी अगले 6 साल तक कोई भी आरोपी चुनाव नहीं लड़ सकता है, लेकिन चौटाला के पास सेक्शन 11 के तहत चुनाव लड़ने और प्रतिबंध को खत्म करने के लिए चुनाव आयोग को अर्जी दायर करने का विकल्प मौजूद है.
![op chautala filed intervention petition](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12359976_letter.jpg)
सेक्शन 11 के तहत एक विकल्प ओपी चौटाला के पास मौजूद है, जिसके तहत वो चुनाव आयोग को एप्लिकेशन लगाकर अपने प्रतिबंध को खत्म करने या फिर कम करने की मांग कर सकते हैं. इससे पहले सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (prem singh tamang) को भी चुनाव आयोग की तरफ इस तरह की राहत मिल चुकी है.
अगर चुनाव आयोग से नहीं मिली राहत?
अगर ओपी चौटाला को चुनाव आयोग से राहत नहीं मिलती है तो इसके बाद भी उनके पास दूसरा विकल्प मौजूद रहेगा. वो चुनाव आयोग की तरफ से सिक्किम के मौजूदा सीएम प्रेम सिंह तमांग के मामले को आधार बनाकर हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का भी रुख कर सकते हैं. हालांकि माना ये जा रहा है कि ओपी चौटाला को चुनाव आयोग से ही राहत मिल सकती है.
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रिहाई के बाद 6 साल तक क्यों नहीं लड़ा जा सकता चुनाव?
दरअसल, रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट 1951 की धारा 8 के तहत रिहाई के बाद भी सजायाफ्ता शख्स पर लगभग 6 साल के लिए चुनाव लड़ने का प्रतिबंध रहता है, लेकिन अब इसी कानून के तहत सेक्शन 11 के अंतर्गत प्रावधान है कि सजायाफ्ता शख्स अपने इस प्रतिबंध के समय को माफ करवाने या कम करने के लिए चुनाव आयोग के सामने अर्जी दायर कर सकता है.