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हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम पर सियासत गरमाई, आंदोलन की तैयारी में कर्मचारी, सीएम और डिप्टी सीएम के अलग बयान - ओपीएस पर सीएम मनोहर लाल

हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम यानी ओपीएस को लेकर घमासान मचा है. एक तरफ सूबे के कर्मचारियों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है तो दूसरी तरफ विपक्ष भी सरकार पर इसे बहाल करने के लिए दबाब बनाए हुए है.

old pension scheme in haryana
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Published : Feb 5, 2023, 6:11 PM IST

चंडीगढ़: साल 2004 में बंद होने वाली ओल्ड पेंशन स्कीम से इन दिनों हरियाणा की सियासत का माहौल गरमाया हुआ है. नेता ही नहीं बल्कि कर्मचारी भी अब इसको बहाल करने के लिए लामबंद हो गए हैं. वे लगातार इसको लेकर अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं. आने वाले दिनों में इसको लेकर कर्मचारियों का प्रदर्शन और तेज हो सकता है. वहीं विपक्षी दल लगातार हरियाणा सरकार पर ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने का दबाव बना रहे हैं.

हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम पर 'जंग': दरअसल ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कुछ दिनों पहले एक पॉजिटिव संकेत प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने दिया था. ओल्ड पेंशन स्कीम पर दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि ओपीएस और एनपीएस में चार प्रतिशत का अंतर है. उन्होंने ये भी कहा था कि हरियाणा में इसमें बदलाव की जरूरत है. इसपर जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल का रिएक्शन लिया गया, तो उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने से देश 2030 तक बर्बाद हो जाएगा. एक तरफ सूबे के कर्मचारियों को मुख्यमंत्री का ये बयान रास नहीं आया. दूसरी तरफ इसको लेकर सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई. विपक्ष खासतौर पर इसको लेकर सरकार को घेरता नजर आ रहा है.

ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कांग्रेस शासित राज्य आगे बढ़ रहे हैं. वहीं आम आदमी पार्टी भी इसको लेकर सियासत कर रही ही, हालांकि अभी तक पंजाब में ओल्ड पेंशन स्कीम किस तरीके से देनी है, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है क्योंकि सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का गठन किया है, लेकिन सियासी माहौल है तो वो भी इसमें अपने हाथ सेकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. हरियाणा कर्मचारी महासंघ के नेता जोगिंदर बल्हारा ने इस मुद्दे पर कहा कि वर्तमान सरकार के पास 41 विधायक हैं. जहां तक दुष्यंत चौटाला की बात है, तो वो सिर्फ इसको लेकर राजनीति कर रहे हैं.

कर्मचारी नेता ने कहा कि सरकार इस बार के बजट सत्र में इसको लेकर प्रस्ताव लाए. अभी विधानसभा सत्र आएगा, तो हम चाहेंगे कि सभी विधायक इसके पक्ष में खड़े हों. जो ओपीएस लागू करेगा, वहीं अगला मुख्यमंत्री बनेगा. कर्मचारी नेता का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी वो मांग करेंगे और इसके लिए वे 1 दिन का धरना और भूख हड़ताल उनके आवास पर भी करेंगे. जोगिंदर बल्हारा ने कहा कि हम भूपेंद्र हुड्डा से मांग करेंगे कि कर्मचारियों की आवाज विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उठाएं. वे कहते हैं कि जब पंजाब सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम की ओर कदम बढ़ा सकती है. हिमाचल सरकार ऐसा कर सकती है और राजस्थान सरकार भी ऐसा कर चुकी है. तो फिर हरियाणा क्यों नहीं?

उनका तो यहां तक कहना है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में हरियाणा में मुख्यमंत्री वहीं बनेगा. जो पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करेगा. उन्होंने कहा कि इस बात का अहसास मुख्यमंत्री को भी है और उपमुख्यमंत्री को भी. कर्मचारी नेता तो यहां तक कहते हैं कि कर्मचारियों के पैसे को सरकार शेयर बाजार में लगा रही है और पूंजीपतियों को फायदा दे रही है. सांसद हो या विधायक, वो खुद पेंशन उठा रहे हैं. उन्हें सबसे पहले अपनी पेंशन को बंद करने के लिए प्रस्ताव लाना चाहिए. अपनी पेंशन तो ये लोग ले रहे हैं और कर्मचारियों को देने के लिए तैयार नहीं हैं.

ओपीएस को लेकर प्रदेश में प्रदर्शन: कर्मचारी नेता जोगिंदर बल्हारा ने कहा कि जहां तक आगामी रणनीति का सवाल है, तो प्रदेश का 1 लाख 74 हजार कर्मचारी प्रदर्शन की तैयारी में है. उनके साथ अब सेवानिवृत्त कर्मचारी भी खड़े हो गए हैं. हरियाणा कर्मचारी महासंघ हो या फिर हरियाणा सर्व कर्मचारी महासंघ, सभी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं. रोहतक में हरियाणा कर्मचारी महासंघ प्रदर्शन कर चुका है. अब करनाल और अंबाला में भी होगा.

ओपीएस पर सीएम मनोहर लाल का बयान: ओल्ड पेंशन स्कीम को हरियाणा में लागू करने के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि उन्होंने एक सोशल मीडिया पर पूर्व वित्त विभाग के अधिकारी के बयान को पढ़ा था. जिसमें उन्होंने लिखा था कि अगर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाती है, तो इससे 2030 तक देश दिवालिया हो जाएगा. इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री और जाने-माने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह भी इस संबंध में अपनी सरकार के वक्त स्पष्ट कर चुके हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम को देना मुश्किल है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि बिना पार्लियामेंट से इसे लागू नहीं किया जा सकता. यहां तक कि राजस्थान सरकार ने भी इस विषय को वापस ले लिया है.

ये भी पढ़ें- CM Manohar Lal on OPS: जानिए हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर क्या बोले मुख्यमंत्री मनोहर लाल?

ओपीएस पर दुष्यंत चौटाला का बयान: दरअसल हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बयान से कुछ दिन पहले मीडिया में एक बयान दिया था. जिसमें वे ओपीएस को लेकर सकारात्मक दिखाई दिए थे. उन्होंने कहा था कि उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बातचीत की है कि ओपीएसआर और न्यू पेंशन स्कीम में मात्र 4 फीसदी का अंतर है. इसके साथ में उन्होंने ये भी कहा था कि हरियाणा में इसमें बदलाव की जरूरत है और केंद्र से भी उन्होंने इस मामले में मांग की है.

ये भी पढ़ें- OPS और NPS में 4% का अंतर, हरियाणा में बदलाव की जरूरत: डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला

ओपीएस पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बयान: नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने रोहतक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बयान पर कहा कि सरकारी कर्मचारी लंबे वक्त से पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग कर रहे हैं, राजस्थान, हिमाचल और पंजाब में ओपीएस बहाल हो चुकी है. क्या ये राज्य ओपीएस को बहाल करने से बर्बाद हो गए हैं? उनका कहना है कि अगर उनकी सरकार प्रदेश में आती है, तो वे ओपीएस लागू करेंगे. वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएम मनोहर लाल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि राजस्थान में 62 सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ दिया जा चुका है, आगे भी सभी कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा. गहलोत ने ट्वीट कर लिखा था कि मैं आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि इस प्रकार का असत्य हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा चुनाव के दौरान बोला था. जिस पर मैंने विधानसभा चुनाव के दौरान शिमला में जाकर प्रेस वार्ता की और हिमाचल प्रदेश के लोगों को सच से अवगत कराया था.

चंडीगढ़: साल 2004 में बंद होने वाली ओल्ड पेंशन स्कीम से इन दिनों हरियाणा की सियासत का माहौल गरमाया हुआ है. नेता ही नहीं बल्कि कर्मचारी भी अब इसको बहाल करने के लिए लामबंद हो गए हैं. वे लगातार इसको लेकर अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं. आने वाले दिनों में इसको लेकर कर्मचारियों का प्रदर्शन और तेज हो सकता है. वहीं विपक्षी दल लगातार हरियाणा सरकार पर ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने का दबाव बना रहे हैं.

हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम पर 'जंग': दरअसल ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कुछ दिनों पहले एक पॉजिटिव संकेत प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने दिया था. ओल्ड पेंशन स्कीम पर दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि ओपीएस और एनपीएस में चार प्रतिशत का अंतर है. उन्होंने ये भी कहा था कि हरियाणा में इसमें बदलाव की जरूरत है. इसपर जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल का रिएक्शन लिया गया, तो उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने से देश 2030 तक बर्बाद हो जाएगा. एक तरफ सूबे के कर्मचारियों को मुख्यमंत्री का ये बयान रास नहीं आया. दूसरी तरफ इसको लेकर सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई. विपक्ष खासतौर पर इसको लेकर सरकार को घेरता नजर आ रहा है.

ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कांग्रेस शासित राज्य आगे बढ़ रहे हैं. वहीं आम आदमी पार्टी भी इसको लेकर सियासत कर रही ही, हालांकि अभी तक पंजाब में ओल्ड पेंशन स्कीम किस तरीके से देनी है, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है क्योंकि सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का गठन किया है, लेकिन सियासी माहौल है तो वो भी इसमें अपने हाथ सेकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. हरियाणा कर्मचारी महासंघ के नेता जोगिंदर बल्हारा ने इस मुद्दे पर कहा कि वर्तमान सरकार के पास 41 विधायक हैं. जहां तक दुष्यंत चौटाला की बात है, तो वो सिर्फ इसको लेकर राजनीति कर रहे हैं.

कर्मचारी नेता ने कहा कि सरकार इस बार के बजट सत्र में इसको लेकर प्रस्ताव लाए. अभी विधानसभा सत्र आएगा, तो हम चाहेंगे कि सभी विधायक इसके पक्ष में खड़े हों. जो ओपीएस लागू करेगा, वहीं अगला मुख्यमंत्री बनेगा. कर्मचारी नेता का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी वो मांग करेंगे और इसके लिए वे 1 दिन का धरना और भूख हड़ताल उनके आवास पर भी करेंगे. जोगिंदर बल्हारा ने कहा कि हम भूपेंद्र हुड्डा से मांग करेंगे कि कर्मचारियों की आवाज विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उठाएं. वे कहते हैं कि जब पंजाब सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम की ओर कदम बढ़ा सकती है. हिमाचल सरकार ऐसा कर सकती है और राजस्थान सरकार भी ऐसा कर चुकी है. तो फिर हरियाणा क्यों नहीं?

उनका तो यहां तक कहना है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में हरियाणा में मुख्यमंत्री वहीं बनेगा. जो पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करेगा. उन्होंने कहा कि इस बात का अहसास मुख्यमंत्री को भी है और उपमुख्यमंत्री को भी. कर्मचारी नेता तो यहां तक कहते हैं कि कर्मचारियों के पैसे को सरकार शेयर बाजार में लगा रही है और पूंजीपतियों को फायदा दे रही है. सांसद हो या विधायक, वो खुद पेंशन उठा रहे हैं. उन्हें सबसे पहले अपनी पेंशन को बंद करने के लिए प्रस्ताव लाना चाहिए. अपनी पेंशन तो ये लोग ले रहे हैं और कर्मचारियों को देने के लिए तैयार नहीं हैं.

ओपीएस को लेकर प्रदेश में प्रदर्शन: कर्मचारी नेता जोगिंदर बल्हारा ने कहा कि जहां तक आगामी रणनीति का सवाल है, तो प्रदेश का 1 लाख 74 हजार कर्मचारी प्रदर्शन की तैयारी में है. उनके साथ अब सेवानिवृत्त कर्मचारी भी खड़े हो गए हैं. हरियाणा कर्मचारी महासंघ हो या फिर हरियाणा सर्व कर्मचारी महासंघ, सभी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं. रोहतक में हरियाणा कर्मचारी महासंघ प्रदर्शन कर चुका है. अब करनाल और अंबाला में भी होगा.

ओपीएस पर सीएम मनोहर लाल का बयान: ओल्ड पेंशन स्कीम को हरियाणा में लागू करने के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि उन्होंने एक सोशल मीडिया पर पूर्व वित्त विभाग के अधिकारी के बयान को पढ़ा था. जिसमें उन्होंने लिखा था कि अगर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाती है, तो इससे 2030 तक देश दिवालिया हो जाएगा. इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री और जाने-माने अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह भी इस संबंध में अपनी सरकार के वक्त स्पष्ट कर चुके हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम को देना मुश्किल है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि बिना पार्लियामेंट से इसे लागू नहीं किया जा सकता. यहां तक कि राजस्थान सरकार ने भी इस विषय को वापस ले लिया है.

ये भी पढ़ें- CM Manohar Lal on OPS: जानिए हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर क्या बोले मुख्यमंत्री मनोहर लाल?

ओपीएस पर दुष्यंत चौटाला का बयान: दरअसल हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बयान से कुछ दिन पहले मीडिया में एक बयान दिया था. जिसमें वे ओपीएस को लेकर सकारात्मक दिखाई दिए थे. उन्होंने कहा था कि उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बातचीत की है कि ओपीएसआर और न्यू पेंशन स्कीम में मात्र 4 फीसदी का अंतर है. इसके साथ में उन्होंने ये भी कहा था कि हरियाणा में इसमें बदलाव की जरूरत है और केंद्र से भी उन्होंने इस मामले में मांग की है.

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ओपीएस पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बयान: नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने रोहतक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बयान पर कहा कि सरकारी कर्मचारी लंबे वक्त से पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग कर रहे हैं, राजस्थान, हिमाचल और पंजाब में ओपीएस बहाल हो चुकी है. क्या ये राज्य ओपीएस को बहाल करने से बर्बाद हो गए हैं? उनका कहना है कि अगर उनकी सरकार प्रदेश में आती है, तो वे ओपीएस लागू करेंगे. वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएम मनोहर लाल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि राजस्थान में 62 सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ दिया जा चुका है, आगे भी सभी कर्मियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा. गहलोत ने ट्वीट कर लिखा था कि मैं आपकी जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि इस प्रकार का असत्य हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा चुनाव के दौरान बोला था. जिस पर मैंने विधानसभा चुनाव के दौरान शिमला में जाकर प्रेस वार्ता की और हिमाचल प्रदेश के लोगों को सच से अवगत कराया था.

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