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कोरोना इफेक्टः चंडीगढ़ पीजीआई में बंद हुई ट्रांसप्लांट सर्जरी

चंडीगढ़ पीजीआई में 19 मार्च के बाद कोई भी ट्रांसप्लांट नहीं किया गया. जिन मरीजों के ट्रांसप्लांट पहले हो चुके थे वो अभी पीजीआई में ही भर्ती हैं लेकिन जिन मरीजों के ट्रांसप्लांट किए जाने थे फिलहाल उन्हें घर भेज दिया गया है.

No transplant was done after 19 March in Chandigarh pgi due to corona virus
कोरोना के बीच अन्य स्वास्थ्य सेवाएं ठप! देश के सबसे बड़े PGI में बंद हुए ट्रांसप्लांट
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Published : Apr 10, 2020, 5:18 PM IST

Updated : Apr 10, 2020, 5:38 PM IST

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर देखने को मिल रहा है. देश के साथ-साथ प्रदेश में भी कोरोनावायरस के बाद अस्पतालों में आपातकालीन सेवा ही जारी हैं. ऐसे में अन्य सेवाओं को बंद कर दिया गया है. चंडीगढ़ पीजीआई में हर महीने करीब 25 से 30 ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सभी ट्रांसप्लांट को बंद कर दिया गया है. इसके अलावा सभी मरीजों को उनके घर वापस भेज दिया गया है.

कोरोना के चलते लिया फैसला

चंडीगढ़ पीजीआई देश का ऐसा अस्पताल है जहां सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. बात चाहे किडनी ट्रांसप्लांट की हो पैनक्रियाज ट्रांसप्लांट की हो, लिवर ट्रांसप्लांट की हो या अन्य किसी अंग के ट्रांसप्लांट की हो. यहां पर जितने ट्रांसप्लांट किए जाते हैं देश में किसी और शहर में नहीं किए जाते. पूरे देश के मरीज ट्रांसप्लांट के लिए चंडीगढ़ पीजीआई पहुंचते हैं लेकिन कोरोना वायरस के खतरे के चलते यहां पर सभी ट्रांसप्लांट को बंद कर दिया गया है.

कोरोना के बीच अन्य स्वास्थ्य सेवाएं ठप! देश के सबसे बड़े PGI में बंद हुए ट्रांसप्लांट

19 मार्च के बाद नहीं कोई ट्रांसप्लांट

चंडीगढ़ पीजीआई में 19 मार्च के बाद कोई भी ट्रांसप्लांट नहीं किया गया हरा के जिन मरीजों के ट्रांसप्लांट पहले हो चुके थे वह अभी पीजीआई में ही भर्ती हैं लेकिन जिन मरीजों के ट्रांसप्लांट किए जाने थे फिलहाल उन्हें घर भेज दिया गया है डॉक्टर मरीजों की हालत पर नजर बनाए हुए हैं.

ये भी पढ़ेंः कोरोना से बचने का जुगाड़ः जींद पुलिस ने पंखे को बनाया सैनिटाइजिंग मशीन

क्या कहना है डॉक्टर्स का

इस बारे में हमने चंडीगढ़ पीजीआई के रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष प्रॉफेसर डॉ आशीष शर्मा से बात की. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस को देखते हुए हमने ट्रांसप्लांट ना करने का फैसला किया है क्योंकि जिन मरीजों का ट्रांसप्लांट होना है, उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम और डायलिसिस के द्वारा कुछ समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. जब कोरोनावायरस का खतरा टल जाएगा. उसके बाद उनका ट्रांसप्लांट किया जाएगा.

'लॉकडाउन से एक्सीडेंट हुए कम'

डॉ आशीष ने बताया कि चंडीगढ़ में किडनी ट्रांसप्लांट में मरीज को परिजनों से किडनी मिल जाती है. जिसके बाद ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है, लेकिन हार्ट और लीवर के मामले में ज्यादातर ट्रांसप्लांट मृतकों द्वारा दान किए गए अंगों से ही किए जाते हैं. ये ऐसे मरीज होते हैं जिनकी की दुर्घटना में मौत हो जाती है और उसके बाद उनके अंगों को दूसरे मरीजों में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है.

'साल में 350 से ज्यादा ट्रांसप्लांट होते हैं'

चंडीगढ़ पीजीआई में हर साल करीब ढाई सौ ट्रांसप्लांट किडनी के किए जाते हैं. इसके अलावा 80 ट्रांसप्लांट द्वारा दान किए गए अंगों से किए जाते हैं. वहीं आंखें, दिल और लीवर आदि के ट्रांसप्लांट सर्जरी अलग से की जाती है. इसी तरह चंडीगढ़ पीजीआई देश का ऐसा अस्पताल है जहां पर हर साल सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. यहां पर अलग-अलग अंगों के कुल मिलाकर हर साल करीब 350 से ज्यादा ट्रांसप्लांट किए जाते हैं.

ये भी पढ़ेंः मां तुझे सलाम : 1400 किमी स्कूटी चला लॉकडाउन में फंसे बेटे को घर वापस लाई मां

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस का असर स्वास्थ्य सेवाओं पर देखने को मिल रहा है. देश के साथ-साथ प्रदेश में भी कोरोनावायरस के बाद अस्पतालों में आपातकालीन सेवा ही जारी हैं. ऐसे में अन्य सेवाओं को बंद कर दिया गया है. चंडीगढ़ पीजीआई में हर महीने करीब 25 से 30 ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सभी ट्रांसप्लांट को बंद कर दिया गया है. इसके अलावा सभी मरीजों को उनके घर वापस भेज दिया गया है.

कोरोना के चलते लिया फैसला

चंडीगढ़ पीजीआई देश का ऐसा अस्पताल है जहां सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. बात चाहे किडनी ट्रांसप्लांट की हो पैनक्रियाज ट्रांसप्लांट की हो, लिवर ट्रांसप्लांट की हो या अन्य किसी अंग के ट्रांसप्लांट की हो. यहां पर जितने ट्रांसप्लांट किए जाते हैं देश में किसी और शहर में नहीं किए जाते. पूरे देश के मरीज ट्रांसप्लांट के लिए चंडीगढ़ पीजीआई पहुंचते हैं लेकिन कोरोना वायरस के खतरे के चलते यहां पर सभी ट्रांसप्लांट को बंद कर दिया गया है.

कोरोना के बीच अन्य स्वास्थ्य सेवाएं ठप! देश के सबसे बड़े PGI में बंद हुए ट्रांसप्लांट

19 मार्च के बाद नहीं कोई ट्रांसप्लांट

चंडीगढ़ पीजीआई में 19 मार्च के बाद कोई भी ट्रांसप्लांट नहीं किया गया हरा के जिन मरीजों के ट्रांसप्लांट पहले हो चुके थे वह अभी पीजीआई में ही भर्ती हैं लेकिन जिन मरीजों के ट्रांसप्लांट किए जाने थे फिलहाल उन्हें घर भेज दिया गया है डॉक्टर मरीजों की हालत पर नजर बनाए हुए हैं.

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क्या कहना है डॉक्टर्स का

इस बारे में हमने चंडीगढ़ पीजीआई के रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष प्रॉफेसर डॉ आशीष शर्मा से बात की. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस को देखते हुए हमने ट्रांसप्लांट ना करने का फैसला किया है क्योंकि जिन मरीजों का ट्रांसप्लांट होना है, उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम और डायलिसिस के द्वारा कुछ समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. जब कोरोनावायरस का खतरा टल जाएगा. उसके बाद उनका ट्रांसप्लांट किया जाएगा.

'लॉकडाउन से एक्सीडेंट हुए कम'

डॉ आशीष ने बताया कि चंडीगढ़ में किडनी ट्रांसप्लांट में मरीज को परिजनों से किडनी मिल जाती है. जिसके बाद ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है, लेकिन हार्ट और लीवर के मामले में ज्यादातर ट्रांसप्लांट मृतकों द्वारा दान किए गए अंगों से ही किए जाते हैं. ये ऐसे मरीज होते हैं जिनकी की दुर्घटना में मौत हो जाती है और उसके बाद उनके अंगों को दूसरे मरीजों में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है.

'साल में 350 से ज्यादा ट्रांसप्लांट होते हैं'

चंडीगढ़ पीजीआई में हर साल करीब ढाई सौ ट्रांसप्लांट किडनी के किए जाते हैं. इसके अलावा 80 ट्रांसप्लांट द्वारा दान किए गए अंगों से किए जाते हैं. वहीं आंखें, दिल और लीवर आदि के ट्रांसप्लांट सर्जरी अलग से की जाती है. इसी तरह चंडीगढ़ पीजीआई देश का ऐसा अस्पताल है जहां पर हर साल सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. यहां पर अलग-अलग अंगों के कुल मिलाकर हर साल करीब 350 से ज्यादा ट्रांसप्लांट किए जाते हैं.

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Last Updated : Apr 10, 2020, 5:38 PM IST
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