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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट: किसानों के साथ धोखाधड़ी करने वालों को बक्शा नहीं जाएगा

हाईकोर्ट के जस्टिस एचएस मदान ने ये टिप्पणी संगरूर के अहमदगढ़ निवासी विजय कुमार और उसकी पत्नी दर्शन रानी की गिरफ्तारी पर रोक की मांग को खारिज कर दिया है. आरोपियों ने किसानों ने धान की फसल खरीदी थी लेकिन जे फर्म के अनुसार संबंधित किसानों को भुगतान नहीं किया.

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट: किसानों के साथ धोखाधड़ी करने वालों को बक्शा नहीं जाएगा
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Published : Jan 29, 2021, 4:06 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने किसानों से ठगी करने वाले आढ़ती दंपत्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए साफ कर दिया है कि जो किसान की फसल की कीमत हड़पता है,उसे अग्रिम जमानत का लाभ देना किसानों के साथ बहुत अन्याय होगा. हाईकोर्ट के जस्टिस एचएस मदान ने ये टिप्पणी संगरूर के अहमदगढ़ निवासी विजय कुमार और उसकी पत्नी दर्शन रानी की गिरफ्तारी पर रोक की मांग को खारिज करते हुए की.

आरोपित विजय कुमार और उसकी पत्नी दर्शनी रानी के खिलाफ पुलिस स्टेशन अहमदगढ़ संगरूर में किसानों की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. जिसमें आरोप लगाया गया था कि विजय कुमार और उसकी पत्नी दर्शनी रानी सहित पूरा परिवार गांव लसोई में कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहा था. आरोपियों ने धान की फसल खरीदी थी लेकिन जे फर्म के अनुसार संबंधित किसानों को भुगतान नहीं किया.

ये भी पढ़ें: किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में सरकारी गोदामों पर CBI का छापा, गेहूं और चावल के लिए गए सैंपल

हालांकि आढ़ती ने सरकार से किसानों द्वारा भेजी गई फसल का पैसा ले लिया लेकिन किसानों को ये राशि नहीं दी. विजय कुमार पर आरोप लगाया गया है कि उसने 70 लाख रुपय की कुल राशि में से 28 लाख रूपये का भुगतान किया था. इतना ही नहीं पहले की फसल के बकाया के साथ किसानों के साथ लगभग 87 लाख रूपये की धोखाधड़ी की गई है.

निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद किया हाई कोर्ट का रुख

शिकायत कर्ताओं द्वारा ये भी आरोप लगाया गया कि आरोपियों के पास काफी संपत्ति है जो उन्होंने किसानों के साथ ठगी करके हासिल की है. इस मामले में 29 दिसंबर 2020 को अतिरिक्त सत्र न्यायधीश संगरूर द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी जिसके बाद भी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट आए हैं.

ये भी पढ़ें: किसान आंदोलन को मिला कई खापों का समर्थन, सैकड़ों ट्रैक्टर के साथ किया सिंघु बॉर्डर का रुख

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि गांव में सामान्य व्यवहार के अनुसार किसानों को समय समय पर कमीशन एजेंट से पैसा मिलता है जो कि आखिरकार किसानों द्वारा बेची जाने वाली फसलों की कीमत के रूप में एजेंसी द्वारा किसानों को बेची जाने वाली धनराशि से समायोजित किया जाता है. याचिकाकर्ता की तरफ से कोई बकाया नहीं है याची दंपत्ति वृद्ध और बीमार है और वे जांच में शामिल होने के लिए तैयार.

जस्टिस मदान ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप हैं. उनकी वृद्ध अवस्था या बीमारी की दलील गिरफ्तारी और हिरासत से बचने में उनकी मदद नहीं कर सकती. किसानों की कड़ी मेहनत का पैसा गलत तरीके से हड़प कर बड़ी संपत्ति बनाने को अनदेखा नहीं किया जा सकता.

ये भी पढ़ें: दप्पर टोल प्लाजा किसानों से खाली करवाने HC पहुंची कंपनी, कोर्ट ने केंद्र और पंजाब से मांगा जवाब

कड़ी मेहनत से लगाकर किसान को उसकी फसल का दाम ना मिले तो ये अन्याय होगा. ऐसे ही लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगाकर किसानों के साथ अन्याय होगा. इसलिए हाईकोर्ट में याचिका खारिज करता है क्योंकि किसानों की फसल का पैसा हड़पने वाले राहत की हकदार नहीं है.

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने किसानों से ठगी करने वाले आढ़ती दंपत्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए साफ कर दिया है कि जो किसान की फसल की कीमत हड़पता है,उसे अग्रिम जमानत का लाभ देना किसानों के साथ बहुत अन्याय होगा. हाईकोर्ट के जस्टिस एचएस मदान ने ये टिप्पणी संगरूर के अहमदगढ़ निवासी विजय कुमार और उसकी पत्नी दर्शन रानी की गिरफ्तारी पर रोक की मांग को खारिज करते हुए की.

आरोपित विजय कुमार और उसकी पत्नी दर्शनी रानी के खिलाफ पुलिस स्टेशन अहमदगढ़ संगरूर में किसानों की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. जिसमें आरोप लगाया गया था कि विजय कुमार और उसकी पत्नी दर्शनी रानी सहित पूरा परिवार गांव लसोई में कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहा था. आरोपियों ने धान की फसल खरीदी थी लेकिन जे फर्म के अनुसार संबंधित किसानों को भुगतान नहीं किया.

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हालांकि आढ़ती ने सरकार से किसानों द्वारा भेजी गई फसल का पैसा ले लिया लेकिन किसानों को ये राशि नहीं दी. विजय कुमार पर आरोप लगाया गया है कि उसने 70 लाख रुपय की कुल राशि में से 28 लाख रूपये का भुगतान किया था. इतना ही नहीं पहले की फसल के बकाया के साथ किसानों के साथ लगभग 87 लाख रूपये की धोखाधड़ी की गई है.

निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद किया हाई कोर्ट का रुख

शिकायत कर्ताओं द्वारा ये भी आरोप लगाया गया कि आरोपियों के पास काफी संपत्ति है जो उन्होंने किसानों के साथ ठगी करके हासिल की है. इस मामले में 29 दिसंबर 2020 को अतिरिक्त सत्र न्यायधीश संगरूर द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी जिसके बाद भी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट आए हैं.

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याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि गांव में सामान्य व्यवहार के अनुसार किसानों को समय समय पर कमीशन एजेंट से पैसा मिलता है जो कि आखिरकार किसानों द्वारा बेची जाने वाली फसलों की कीमत के रूप में एजेंसी द्वारा किसानों को बेची जाने वाली धनराशि से समायोजित किया जाता है. याचिकाकर्ता की तरफ से कोई बकाया नहीं है याची दंपत्ति वृद्ध और बीमार है और वे जांच में शामिल होने के लिए तैयार.

जस्टिस मदान ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप हैं. उनकी वृद्ध अवस्था या बीमारी की दलील गिरफ्तारी और हिरासत से बचने में उनकी मदद नहीं कर सकती. किसानों की कड़ी मेहनत का पैसा गलत तरीके से हड़प कर बड़ी संपत्ति बनाने को अनदेखा नहीं किया जा सकता.

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कड़ी मेहनत से लगाकर किसान को उसकी फसल का दाम ना मिले तो ये अन्याय होगा. ऐसे ही लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगाकर किसानों के साथ अन्याय होगा. इसलिए हाईकोर्ट में याचिका खारिज करता है क्योंकि किसानों की फसल का पैसा हड़पने वाले राहत की हकदार नहीं है.

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