चंडीगढ़: हरियाणा में फसल बीमा की तर्ज पर अब फलों, सब्जियों और मसालों का भी बीमा किया जाएगा. इसके तहत किसानों से प्रति एकड़ 100 प्रतिशत खराब फसल पर एक हजार रुपये का प्रीमियम लिया जाएगा. खराबे की स्थिति में अधिकतम 40 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. इस बीमा योजना को निजी कंपनियों को नहीं दिया जाएगा, इस योजना को प्रदेश सरकार अपने स्तर पर चलाएगी.
इन फसलों का होगा बीमा
हरियाणा के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल ने इस योजना के बारे में जानकारी दी कि इस योजना के तहत 14 सब्जियां, चार फल और दो मसालों का बीमा किया जाएगा. सब्जियों में टमाटर, प्याज, आलू, बंद गोभी, मटर, गाजर, भिण्डी, लौकी, करेला, बैंगन, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, फूल गोभी तथा मूली शामिल है. फलों में किन्नू, अमरूद, आम और बेर को रखा गया है. मसालों में हल्दी और लहसुन का बीमा भी होगा.
'सरकार की मंशा किसानों को खुशहार बनाना है'
मंत्री ने कहा की नई बीमा योजना भावांतर भरपाई योजना से अलग होगी. योजना के क्रियान्वयन के लिए सरकार खुद एक एजेंसी भी बनाएगी. कृषि मंत्री दलाल ने कहा कि योजना के तहत ओलावृष्टि, जलभराव, आंधी तूफान की वजह से अगर फल सब्जियों और मसालों को नुकसान होता है तो उसका मुआवजा दिया जाएगा. सरकार की मंशा प्रदेश में किसानों को खुशहाल बनाना है.
'बीमा का 2.5 प्रतिशत का प्रीमियम देना होगा'
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे.पी. दलाल ने कहा है कि ज्यों-ज्यों सरकार किसान को जोखिम फ्री बनाने के लिए कोई फैसला लेती है त्यों-त्यों कांग्रेस की बेचैनी बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बाद हरियाणा सरकार ने अपने स्तर पर ट्रस्ट मॉडल आधार पर सब्जी एवं बागवानी फसलों को भी बीमा कवर देने का निर्णय लिया है. दलाल ने कहा कि इस नई बीमा योजना में किसानों को 2.5 प्रतिशत का प्रीमियम देना होगा.
'2943.92 करोड़ रुपये बीमा लाभ दिया गया'
दलाल ने कहा कि किसान हित के नाम पर कांग्रेस सिर्फ ढोंग करना जानती है. जबकि हकीकत में वह किसान के नाम पर साहूकारों के लिए बिचोलिए का काम करती है. उन्होंने कहा कि फसल बीमा के नाम पर कांग्रेस के वर्ष 2005 से वर्ष 2014 तक के कार्यकाल में 164.30 करोड़ रुपये मुआवजे के तौर पर दिए गए, जबकि हमारे कार्याकाल में किसानों से प्रीमियम के रूप में 914 करोड़ रुपये लिए गए तथा उन्हें बीमा लाभ के रूप में 2943.92 करोड़ रुपये दिए गए. इसी तरह, जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा नहीं करवाया था. उनको मुआवजे के रूप में वर्ष 2014 से वर्ष 2020 तक 2764.93 करोड़ रुपये वितरित किये गए, जबकि वर्ष 2005 से वर्ष 2014 के बीच में केवल 627.06 करोड़ रुपये ही दिए गए थे.
4853.40 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई
जे.पी. दलाल ने कहा कि न तो मंडियां बंद होंगी और ना ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बंद होगा. साल 2014 से वर्ष 2020 तक 21 नई अनाज मंडियों और 11 सब्जी मंडियों का निर्माण करवाया गया है. इसी तरह पिछली सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए प्रति वर्ष 4853.40 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी, जबकि हमारी सरकार ने पिछले वर्ष ही 6856.02 करोड़ रुपये बिजली सब्सिडी के रूप में दिए. इसके अलावा, बिजली सरचार्ज माफी योजना के तहत 1 लाख 11 हजार 617 उपभोक्ताओं को भी लाभांवित किया गया.
'किसानों के खातों में 450 करोड़ रुपये भेजी जा चुकी है'
अब तक 60,000 मीट्रिक टन बाजरा, 15 लाख मीट्रिक टन धान और 3 लाख क्विंटल कपास की खरीद की है और इसके लिए 450 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है. जो सीधे किसानों के खातों में पहुंचाई जाएगी. दलाल ने कहा कि कांग्रेस को तो यही बात हजम नहीं हो रही कि किस प्रकार वर्तमान सरकार ने किसानों को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए व्यवस्था आरंभ की है. एक सवाल के जवाब में मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि सब्जी और बागवानी फसलें पहले भावांतर भरपाई योजना में शामिल थी और केवल भाव के अंतराल को पूरा किया जाता था, लेकिन अब नई योजना के तहत इनका बीमा कवर करवाया जाएगा, उन्होंने कहा कि यह देश में अपने तरह की अनूठी योजना होगी.
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