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चंडीगढ़ः प्रशासन की लापरवाही बढ़ा रही प्रवासियों की मुसीबतें - प्रवासियों की मुसीबतें चंडीगढ़

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर तो ऐसे ही परेशान हैं. लेकिन इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही उनकी मुसीबतों को और भी बढ़ा रही है. ऐसे ही एक मामला चंडीगढ़ से सामने आया है. जिसमें अधिकारियों की लापरवाही के चलते प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ सड़क पर भटकने के लिए मजबूर हो गए.

negligence of the administration increase problems of migrants
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Published : May 15, 2020, 5:28 PM IST

Updated : May 15, 2020, 7:28 PM IST

चंडीगढ़ः कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों को पहले से ही खाने, पीने और दूसरी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. वहीं प्रशासनिक लापरवाही मजदूरों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है.

प्रशासन ने भेजा था प्रवासी मजदूरों को मैसेज

ऐसा ही एक मामला चंडीगढ़ से सामने आया है. जहां यूपी के हरदोई के रहने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए प्रशासन ने मैसेज भेज कर चंडीगढ़ के सेक्टर - 43 के बस स्टैंड पर बुला लिया. मैसेज में मजदूरों को जानकारी दी गई थी कि बस से उन्हें रेलवे स्टेशन ले जाया जाएगा. जहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से उन्हें हरदोई ( उत्तर प्रदेश ) भेजा जाएगा.

चंडीगढ़ः प्रशासन की लापरवाही बढ़ा रही प्रवासियों की मुसीबतें

ना मेडिकल हुआ, ना भेजा गया घर

प्रशासन का मैसेज मिलने के बाद मजदूर अपना किराए का घर छोड़कर बच्चों और महिलाओं के साथ अपना सामान लेकर बस स्टैंड पर पहुंचे, लेकिन वहां पर प्रशासन ने ना तो उन लोगों का मेडिकल चेकअप कराया और ना ही मजदूरों को बस में जगह मिली. मेडिकल चेकअप ना होने के चलते प्रवासियों को बस में नहीं बैठाया गया और बाद में पुलिस ने मजदूरों को बस स्टैंड से भगा दिया.

उसके बाद यह प्रवासी रेलवे स्टेशन के लिए पैदल ही चल दिए. रेलवे स्टेशन पर भी प्रवासियों का मेडिकल चेकअप नहीं कराया गया और बिना मेडिकल के वहां पहुंचने के चलते पुलिस ने रेलवे स्टेशन से भी उन्हें भगा दिया.

सड़क पर भटकते रहे मजदूर

प्रशासन का मैसेज मिलने के बाद किराए का घर छोड़ देने के चलते मजदूर बेघर हो गए थे और उनके पास सड़कों पर भटकने के अलावा कोई चारा नहीं था. प्रवासी मजदूरों के साथ महिलाएं भी थी और बच्चे भी थे. मजदूर अपना घर छोड़ चुके थे, लिहाजा घर से निकलने के बाद से रात का घना अंधेरा हो जाने के बाद भी ये सभी लोग भूखे प्यासे सड़कों पर भटकने को मजबूर थे. एक बच्चे को गोद में लेकर चलते-चलते महिला जहां बेहाल हो गई थी, वहीं लगातार चलते रहने की वजह से दूसरे बच्चों के पैरों में छाले पड़ गए थे.

ईटीवी भारत की टीम ने की मदद

ईटीवी भारत की टीम को जब इनके बारे में जानकारी मिली तो वो इनकी मदद के लिए आगे आई और प्रशासन को उसकी गलती के बारे में बताया. जिसके बाद इन लोगों के लिए बस का इंतजाम कर इनको इनके ठिकाने तक पहुंचा दिया गया. साथ ही इनके लिए खान-पान की व्यवस्था की गई. मामले में ईटीवी भारत के दखल देने के बाद प्रशासन ने प्रवासियों के लिए इंतजाम किया, साथ मामले में हुई लापरवाही को भी माना.

लेकिन आपातकालीन स्थिति में प्रशासन की ये लापरवाही उसके काम काज और कोऑर्डिनेशन पर सवाल खड़े करता है. महामारी के दौर में कहीं पर भी प्रवासी मजदूरों का मेडिकल नहीं कराना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.

ये भी पढ़ेंः- MSME कारोबारियों को नहीं पता कैसे मिलेगा आर्थिक पैकेज के तहत लोन

चंडीगढ़ः कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों को पहले से ही खाने, पीने और दूसरी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. वहीं प्रशासनिक लापरवाही मजदूरों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है.

प्रशासन ने भेजा था प्रवासी मजदूरों को मैसेज

ऐसा ही एक मामला चंडीगढ़ से सामने आया है. जहां यूपी के हरदोई के रहने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए प्रशासन ने मैसेज भेज कर चंडीगढ़ के सेक्टर - 43 के बस स्टैंड पर बुला लिया. मैसेज में मजदूरों को जानकारी दी गई थी कि बस से उन्हें रेलवे स्टेशन ले जाया जाएगा. जहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से उन्हें हरदोई ( उत्तर प्रदेश ) भेजा जाएगा.

चंडीगढ़ः प्रशासन की लापरवाही बढ़ा रही प्रवासियों की मुसीबतें

ना मेडिकल हुआ, ना भेजा गया घर

प्रशासन का मैसेज मिलने के बाद मजदूर अपना किराए का घर छोड़कर बच्चों और महिलाओं के साथ अपना सामान लेकर बस स्टैंड पर पहुंचे, लेकिन वहां पर प्रशासन ने ना तो उन लोगों का मेडिकल चेकअप कराया और ना ही मजदूरों को बस में जगह मिली. मेडिकल चेकअप ना होने के चलते प्रवासियों को बस में नहीं बैठाया गया और बाद में पुलिस ने मजदूरों को बस स्टैंड से भगा दिया.

उसके बाद यह प्रवासी रेलवे स्टेशन के लिए पैदल ही चल दिए. रेलवे स्टेशन पर भी प्रवासियों का मेडिकल चेकअप नहीं कराया गया और बिना मेडिकल के वहां पहुंचने के चलते पुलिस ने रेलवे स्टेशन से भी उन्हें भगा दिया.

सड़क पर भटकते रहे मजदूर

प्रशासन का मैसेज मिलने के बाद किराए का घर छोड़ देने के चलते मजदूर बेघर हो गए थे और उनके पास सड़कों पर भटकने के अलावा कोई चारा नहीं था. प्रवासी मजदूरों के साथ महिलाएं भी थी और बच्चे भी थे. मजदूर अपना घर छोड़ चुके थे, लिहाजा घर से निकलने के बाद से रात का घना अंधेरा हो जाने के बाद भी ये सभी लोग भूखे प्यासे सड़कों पर भटकने को मजबूर थे. एक बच्चे को गोद में लेकर चलते-चलते महिला जहां बेहाल हो गई थी, वहीं लगातार चलते रहने की वजह से दूसरे बच्चों के पैरों में छाले पड़ गए थे.

ईटीवी भारत की टीम ने की मदद

ईटीवी भारत की टीम को जब इनके बारे में जानकारी मिली तो वो इनकी मदद के लिए आगे आई और प्रशासन को उसकी गलती के बारे में बताया. जिसके बाद इन लोगों के लिए बस का इंतजाम कर इनको इनके ठिकाने तक पहुंचा दिया गया. साथ ही इनके लिए खान-पान की व्यवस्था की गई. मामले में ईटीवी भारत के दखल देने के बाद प्रशासन ने प्रवासियों के लिए इंतजाम किया, साथ मामले में हुई लापरवाही को भी माना.

लेकिन आपातकालीन स्थिति में प्रशासन की ये लापरवाही उसके काम काज और कोऑर्डिनेशन पर सवाल खड़े करता है. महामारी के दौर में कहीं पर भी प्रवासी मजदूरों का मेडिकल नहीं कराना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.

ये भी पढ़ेंः- MSME कारोबारियों को नहीं पता कैसे मिलेगा आर्थिक पैकेज के तहत लोन

Last Updated : May 15, 2020, 7:28 PM IST
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